पटना में आज से 'किताब उत्सव' का आयोजन

०योगेश भट्ट ० 
पटना। किताबों की दुनिया में पचहत्तर साल का अपना सफर पूरा करते हुए साहित्य और प्रकाशन जगत का अग्रणी नाम राजकमल प्रकाशन 9 दिवसीय 'किताब उत्सव' और पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर, सांस्कृतिक परिसर फ्रेज़र रोड में कर रहा है। इस आयोजन में केवल बिहार से 40 से अधिक लेखक, रंगकर्मी, पत्रकार, राजनीतिकर्मी, संस्कृतिकर्मी शामिल हो रहे हैं। इनके अलावा बिहार के सात प्रवासी लेखक भी होंगे। बिहार समेत कुल 8 राज्यों के प्रतिष्ठित लेखक यहां जुटेंगे। बिहार और बिहार से बाहर के चर्चित नौजवान लेखकों से मिलने का अवसर भी इस अवसर पर पाठकों को मिलेगा।

5 नवम्बर से 13 नवम्बर तक आयोजित होने वाले इस उत्सव में लेखकों से पाठकों के संवाद को प्रमुखता दी गई है। रचना पाठ के साथ यहाँ चुनिंदा कृतियों पर बातचीत और रचनात्मक विषयों पर गंभीर विमर्श भी होंगे। कश्मीर, नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ और देश की बदलती हुई सियासत जैसे ज्वलंत विषयों के साथ इस उत्सव में 'हमारा शहर हमारे गौरव' श्रृंखला के तहत रेणु, रामधारी सिंह दिनकर, हरिमोहन झा, नागार्जुन, बेनीपुरी, राजकमल चौधरी, शिवपूजन सहाय और नलिन विलोचन शर्मा जैसे कालजयी लेखकों की कृतियों पर चर

 कालजयी लेखकों की कृतियों पर चर्चाएँ भी कराई जाएंगी। 'किताब उत्सव' में शामिल होने मराठी के यशस्वी लेखक विश्वास पाटिल पटना आ रहे हैं। 'पानीपत', 'महानायक' और 'संभाजी' जैसे उपन्यासों से विख्यात श्री पाटिल नक्सल समस्या पर लिखे गए अपने उपन्यास 'दुड़िया' के हिंदी संस्करण पर बात करने आ रहे हैं। चर्चित युवा गीतकार राजशेखर फणीश्वरनाथ रेणु पर बात करने आ रहे हैं। भोजपुरी कविता के नए प्रस्थान और आदिवासी समाज की विश्व दृष्टि पर विशेष सत्र हैं। पेरियार पर एक अलग सत्र है। लेखक के समय, उपन्यास के समकाल जैसे विषयों के साथ 'पहली किताब के पहले' जैसे विषय पर एक रोचक बातचीत है जो युवतर पीढ़ी की लेखक बनने के सपनों और तैयारियों को लेकर हैं।

किताब उत्सव का शुभारम्भ 5 नवम्बर बिहार के सूचना आयुक्त त्रिपुरारी शरण करेंगे। मुख्य अतिथि के रूप में बंदना प्रेयषी, सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार, होंगी। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से पुरस्कृत वरिष्ठ कथाकार उषाकिरण खान एवं सुप्रसिद्ध कवि आलोकधन्वा की भी विशिष्ट उपस्थिति रहेगी। राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने किताब उत्सव पर अपने विचार रखते हुए कहा, "यह राजकमल प्रकाशन की स्थापना का 75 वां वर्ष हैं । इस उपलक्ष्य में हम पाठक-लेखक-मिलन के लिए विभिन्न शहरों में 'किताब उत्सव' का आयोजन कर रहे हैं । पहला 'किताब उत्सव' नौ दिन भोपाल में मनाया गया और दूसरा बनारस में। 

बनारस में सभागार से बाहर गंगा किनारे अस्सी घाट पर भी यह सम्पन्न हुआ। अब हम पटना में 'किताब उत्सव' मनाने जा रहे हैं। हम बिहार सरकार, तक्षशिला एजुकेशनल सोसाइटी और पाटल के सहयोग के लिए आभारी हैं। पटना में राजकमल का शाखा कार्यालय 1956 से है। बिहार का संस्कृति संकुल और राजकमल जैसे एक दूसरे के पर्याय हैं। युवतर और युवा पीढ़ी पटना में राजकमल के होने के सांस्कृतिक महत्व को अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ियों से जानती रही है। हम प्रत्यक्ष और परस्पर संवाद के इस सुअवसर को लेकर बहुत उत्साहित हैं।"

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