आज ही के दिन भागवान श्री कृष्ण ने गौ चराने की शुरुआत की थी

० आशा पटेल ० 
जयपुर। गोपाष्टमी के पावन पर्व पर हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गौ-पूजन और अन्नकूट प्रसादी की व्यवस्था की गयी। इसके साथ ही यहाँ पर गोबर से गिरिराज जी की बहुत ही सुंदर झांकी भी बनाई जिसे बाल गोपाल ने अपनी अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा रखा था इस झांकी में गोवर्धन परिक्रमा में आने वाले सभी मुख्य स्थलों को दर्शाया गया ।रघुपति दास ने बताया की यह कार्यक्रम हमने विशेष रूप से पुनर्वास केंद्र में कार्य कर रहे गोपालको को समर्पित किया है, क्यूँकि इन्हीं गौपलको के सहयोग से इतने बड़े केंद्र का संचालन हो पाता है, इस केंद्र के संचालन की मुख्य कड़ी ये गौपलक ही है ।

आज ही के दिन भागवान श्री कृष्ण ने गौ चराने की शुरुआत की थी। पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण की आयु मात्र छ: वर्ष की हुई तो उन्होने माता यशोदा से कहा, “मैया! अब मैं बड़ा हो गया हूँ। अब मैं भी गायों को चराने के लिये वन जाऊंगा।“ माता यशोदा ने नन्द बाबा को श्री कृष्ण के हठ के विषय में बताया तो वो गौ-चारण का शुभ मुहूर्त जानने के लिये ऋषि शांडिल्य के पास गयें।

ऋषि शांडिल्य जब गौ-चारण का शुभ मुहूर्त निकालने लगे तो, वो बहुत आश्चर्य में पड़ गये क्योकि उस दिन के अतिरिक्त कोई अन्य शुभ मुहूर्त नही निकल रहा था। ऋषि शांडिल्य ने नंद बाबा को कहा कि आज के अतिरिक्त कोई भी अन्य शुभ मुहूर्त नही हैं। उस दिन कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि थी। जिस दिन भगवान कुछ करना चाहे तो उससे शुभ मुहूर्त कोई और हो ही नही सकता।नंद बाबा ने घर आकर माता यशोदा को सारी बात बताई। तब मैया यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण का श्रृन्गार किया। और पूजा करा कर उन्हे गायों को चराने के लिये वन भेजा।

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