गौपाष्ठमी पर श्री पिंजरापोल गौशाला में होगा राज्यस्तरीय गौ-मेले का आय

० आशा पटेल ० 
जयपुर। पिंजरापोल गोशाला गोपाष्ठमी महोत्सव समिति के सौजन्य से आज एक नवंबर को गौपाष्ठमी के अवसर पर राज्यस्तरीय गौ-मेले का आयोजन श्रीपिंजरापोल गौशाला परिसर में किया जाएगा। इस दौरान भव्य भक्ति संगीत संध्या का आयोजन भी होगा। एक प्रेस वार्ता के दौरान गौशाला समिति के अध्यक्ष नारायणमल अग्रवाल ने बताया कि इस दिन विभिन्न स्टॉल्स के जरिए गौभक्तों को गो-उत्पाद उपलब्ध करवाये जाएंगे। सांस्कृतिक संध्या के भक्तिमय वातावरण में गौ-सेवा और संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण मसले पर सार्थक चर्चा की जाएगी।

पिंजरापोल गौशाला को आर्थिक रूप से सुदढ करने की दिशा में गौशाला समिति की ओर से प्रस्तावित योजनाओं पर चर्चा करते हुए नारायणमल अग्रवाल ने कहा कि निकट भविष्य में एक और गोबर गैस प्लांट स्थापित किया जाएगा। गौमूत्र का अधिकाधिक उपयोग हो इसके लिए उसे रिफाइंड करने का संयत्र भी लगाया जाएगा, ताकि उसका उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों में किया जा सके।गौशाला के महामंत्री शिवरतन चितलांगिया ने बताया कि गोपाष्ठमी के दिन श्रीगोविंद देव जी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी एवं मानस गोस्वामी द्धारा श्रीगोविंददेवजी मंदिर में गौमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। उन्होंने बताया कि गौमेले के दौरान आने वाले भक्तों को गौशाला का शुद्ध दूध, ऑर्गेनिक ज्यूस व शिकंजी का वितरण भगवान की प्रसादि के साथ किया जाएगा।

कार्यक्रम के संयोजक राजू मंगोड़ीवाला ने कहा कि गौ-सेवा ही गोविंद सेवा है। गौमाता का सम्मान ईश्वर का सम्मान है। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर से कागज के निर्माण की योजना बनाई जा रही है, जिससे प्राप्त आय को गौ संवर्धन पर ही खर्च किया जाएगा। कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा कि गौमाता पशुपालकों के लिए मजबूत आर्थिक समृद्धि का आधार है, लेकिन जानकारी के अभाव की वजह से उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से किसान वर्मी कम्पोस्ट व गौमूत्र से कीटनाशक बनाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढा सकते हैं। 

साथ ही गोबर से गोकाष्ठ, गमले, धूप बनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, गाय के गोबर से लाख के चूड़े का व्यवसाय करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेले के दौरान गाय के गोबर से निर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। साथ ही पशुपालकों को गोबर व गौमूत्र से निर्मित किए जाने वाले उत्पादों के बारे में मार्गदर्शन दिया जाएगा।

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