भारत में जनजाति वर्ग ने प्रकृति पूजक के रूप पूरे विश्व को सस्टेनेबिलिटी का संदेश दिया

० आशा पटेल ० 
जयपुर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का खुला अधिवेशन अल्बर्ट हॉल, जयपुर पर संपन्न हुआ, इसे खुले अधिवेशन में मंच पर उपस्थित छात्र नेताओं ने भारत में उभरती स्टार्टअप संस्कृति, युवाओं की वर्तमान समाज में स्थिति, भ्रष्टाचार खत्म करने, पेपर लीक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति,भारत की अर्थव्यवस्था, जनजाति समाज का भारत के विकास में योगदान, राज्य विश्वविद्यालयों की स्थिति सुधारने जैसे समसामयिक विषयों पर उपस्थित प्रतिनिधियों को संबोधित किया।  मंच पर अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, राष्ट्रीय मंत्री हुश्यार मीणा, राष्ट्रीय मंत्री गजेन्द्र तोमर, थिंक इंडिया संयोजक प्रतीक सुथार, अभाविप जयपुर प्रांत के मंत्री शौर्य जैमन, कुमारी गौरी दुबे, विराज विश्वास,प्रेमाश्री उपस्थित रहे।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने खुले अधिवेशन में कहा कि,"आज भारतीय संविधान दिवस है, मैं भारतीय संविधान के निर्माताओं को नमन करता हूं, भारत का संविधान सर्वसमावेशी तथा सभी नागरिकों को न्याय तथा समानता के पथ पर अग्रसर करने वाला है। वर्तमान में सरकारों द्वारा पोषित की जा रही 'रेवड़ी संस्कृति' की राजनीति पर लगाम लगाने की आवश्यकता है ,अब शिक्षा केन्द्रित राजनीति नए भारत का मुद्दा होना चाहिए। राज्य विश्वविद्यालयों की वर्तमान स्थिति सुधारने की आवश्यकता है,

 राज्य सरकारों को यह समझना होगा कि भारत की अधिकांश युवा आबादी इन्हीं राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ती है, इन राज्य विश्वविद्यालयों की अनियमितताओं को दूर कर युवाओं के अच्छे भविष्य के लिए बेहतर शिक्षा संस्कृति तथा ढांचागत सुविधाएं विकसित करनी होंगी। भारत की भूमि पर भारत विरोधी विचारों के कुत्सित प्रयास अब नहीं चलेंगे,भारत का युवा‌ ऐसा करने वालों के मंसूबों को‌ जान चुका है।"

अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री हुश्यार मीणा ने कहा कि," हमारे इतिहास ग्रंथों में अनेक महापुरुषों को उचित स्थान नहीं मिला। देशभर के अनेक राज्यों में ऐसे महापुरुष हुए जिनके राष्ट्र के प्रति योगदान का उचित मूल्यांकन होना शेष है। भारत में जनजाति वर्ग ने प्रकृतिपूजक के रूप पूरे विश्व को सस्टेनेबिलिटी का संदेश दिया है, कई बार जनजाति वर्ग को उनकी मान्यताओं तथा परम्पराओं कौन लेकर दिग्भ्रमित किया जाता है,यह बहुत ग़लत है।"

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