एनएमआर शुद्धता जाँच में शहद के 5 में से 2 ब्रांड फेल

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली। शोध, समर्थन, शिक्षा, व संरक्षा द्वारा उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने के लिए नीति आयोग, भारत सरकार के अंतर्गत पंजीकृत नॉन- प्रॉफिट कंज्यूमर संगठनों के संघ, एसोसिएशन ऑफ कंज़्यूमर प्रोटेक्शन (एसीपी) ने शहद में मिलावट की जाँच करने के लिए भारत में एक अध्ययन किया। इस अध्ययन के अंतर्गत बड़े ब्रांड्स के शहद के नमूनों को पाँच राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को भेजा गया और इस शुद्धता जाँच के परिणामों की घोषणा दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई।

शहद के ब्रांड्स के विभिन्न नमूने एईएस लैबोरेटरीज़ (प्राईवेट) लिमिटेड (एनएबीएल एवं एफएसएसएआई अधिसूचित प्रयोगशाला), नोएडा, उत्तर प्रदेश, भारत, स्टेट गवर्नमेंट फूड लैब, मेरठ, (फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, उत्तर प्रदेश, भारत), स्टेड गवर्नमेंट फूड लैब, आगरा (फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, उत्तर प्रदेश, भारत), और फॉरेस्ट लैब, दिल्ली, भारत के अलावा जर्मनी की मशहूर फूड टेस्टिंग लैबोरेटरी (आईलैक-एमआरए से संबद्ध) में भी भेजे गए। एनएमआर-सर्टिफाईड ब्रांड्स सफोला, डॉ. मोरपैन , झंडू प्योर हनी, नेचर्स नेक्टर और डालमिया के नमूने न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेज़ोनैंस (एनएमआर) प्रोफाईलिंग के लिए जर्मन लैब भेजे गए। एनएमआर टेस्टिंग में इन 5 ब्रांड्स में से 2 ब्रांड मिलावटी पाए गए। झंडू प्योर हनी और सफोला में शहद में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई, जबकि ये ब्रांड शहद के शुद्ध होने का दावा करते हैं।

18 नमूने एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित गुणवत्ता और मिलावट के मानकों के तहत जाँच के लिए चार राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में भेजे गए। विभिन्न ब्रांड्स के इन 18 नमूनों में से 6 नमूनों में मिलावट या फिर एफएसएसएआई मानकों के तहत गलत ब्रांडिंग पाई गई। इनमें सफोला हनी, रसना हनी, भारत हनी और डालमिया उत्सव हनी शामिल हैं। जाँच के परिणामों के बारे में डॉ. संदीप पहल, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, एडवाईज़री, एसीपी ने कहा, आज ब्रांड शुद्ध और ऑर्गेनिक होने का मार्केटिंग का हथकंडा आजमाने लगे हैं क्योंकि लोगों ने अपना ध्यान शुद्ध उत्पादों की ओर केंद्रित कर लिया है। जब उन ब्रांड्स की न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेज़ोनैंस (एनएमआर) प्रोफाईलिंग की गई, जिन्होंने अपने पैक और एडवरटाईजिंग में एनएमआर अनुपालन में होने का दावा किया है, तो चौंकानेवाले परिणाम मिले कि इनमें से कुछ ब्रांड्स ने अपने शहद में शुगर सिरप मिलाया हुआ है। कोविड के दौरान इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उपभोक्ताओं के बीच शहद की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी।

शहद की मांग बढ़ने के साथ मिलावट में भी वृद्धि हुई । दूध और घी के बाद शहद तीसरा सबसे ज्यादा मिलावट किया जाने वाला उत्पाद है। दुख की बात यह है कि बड़े ब्रांड्स अत्यधिक फ्रक्टोज़ वाले कॉर्न सिरप और राईस सिरप जैसे शुगर सिरप अपने शहद में मिला रहे हैं , और उसे शुद्ध हनी होने का दावा करके बाजार में बेच रहे हैं। मिलावट सामूहिक हत्या है। कई देशों में मिलावट हत्या से भी बड़ा अपराध माना जाता है

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