जवाहर कला केन्द्र में देश की आकर्षक आदिवासी चित्रों की प्रदर्शनी

० आशा पटेल ० 
जयपुर, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के ट्राइफेड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा जवाहर कला केंद्र में आदि चित्र महोत्सव का शुभारंभ हुआ। 18 दिसंबर तक चलने वाले पेंटिंग प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों की विशिष्ट आदिवासी पेंटिंग कला जैसे गोंड, भील, वार्ली, पिथोरा आदि पेंटिंग्स का प्रदर्शन व बिक्री की जाएगी। इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य आदिवासी चित्रकारों की कला को जन-जन तक पहुंचना और देश विदेश में ख्याति दिलवाना एवं उनको आजीविका उपलब्ध कराना है।
आदि चित्रों की इस प्रदर्शनी का जवाहर कला केंद्र की सुदर्शन कला दीर्घा में पत्र सूचना कार्यालय की निदेशक ऋतु शुक्ला ने उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए श्रीमती शुक्ला ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से आदिवासी कला को आगे लाने के अवसर मिलेंगे। युवा जनजातीय कला को देखें और प्रकृति के साथ जीवन का सामंजस्य स्थापित करने की कला को सीखें। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी को अधिक से अधिक लोग देखें ताकि जनजातीय कला को महत्वपूर्ण आयाम मिलें।
इस प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा और राजस्थान के आदिवासी चित्रकारों द्वारा बनाई गई लगभग 300 चित्रकारी प्रदर्शित की गई हइस प्रदर्शनी का क्युरेशन प्रो. चिन्मय मेहता, अध्यक्ष राजस्थान ललित कला अकादमी ने किया है। प्रदर्शनी का आयोजन क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप शर्मा के निर्देशन में किया जा रहा है ।

 गौरतलब है कि विश्व के धनी देशों ने ललित कला और शिल्प कला के बीच की दीवारों को तोड़ दिया है। वह लोक एवं आदिम कला को उतनी ही तवज्जों देते है जितनी उच्च श्रेणी की अन्य ललित कलाओं को देते है। उनका यह मानना है की क्रेएटीविटी का स्तर इनका भी उतना ही श्रेयस होता है। । आस्ट्रेलिया जैसे देश में अबोरजिनं आदिम कला को आधुनिक कला के समान 300 करोड़ डॉलर डॉलर की राष्ट्रीय आय अर्जित करता है। हमारे देश में ट्राईफेड की स्थापना आदिम जनजातियों द्वारा निर्मित कलाओं के प्रोत्साहन के लिए की गई है |

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