“उजाडे गए खोरी वासियों का संपूर्ण पुनर्वास करे सरकार”= मेघा पाटकर

0आशा पटेल ० 
जयपुर - खोरी।खोरी के विस्थापितों द्वारा 26 से 30 जनवरी के बीच पलवल से दिल्ली तक होने वाली पदयात्रा में बड़ी संख्या में भागीदारी की जाएगी30 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर जाकर नफरत छोड़ो ,संविधान बचाओ अभियान के तहत सभा की जाएगी नफरत छोड़ो ,संविधान बचाओ अभियान के तहत खोरी के टीम साथी द्वारा 10 दिसंबर को, मानव अधिकार दिवस पर पदयात्रा का आयोजन किया गया। पदयात्रा में ख़ोरी गाँव के हजारों उजाड़े गए निवासी शामिल हुए। सभी के आवास के अधिकार और पुनर्वास की मांग को लेकर नफरत छोड़ो, संविधान बचाओ अभियान के बैनर तले लगभग 10 किलोमीटर का शांतिपूर्ण पैदल मार्च निकाला गया। यात्रा मार्ग में लाल कुआं, दिल्ली और सूरजकुंड के कुछ हिस्से को भी शामिल किया गया क्योंकि ख़ोरी गांव से बेघर हुए ज्यादातर परिवार दिल्ली के निवासी थे ।
इस यात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ,नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय; मध्यप्रदेश से डॉ सुनीलम,किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक; दिल्ली से समाजवादी समागम के महामंत्री अरुण श्रीवास्तव,असंगठित श्रमिकों के नेता; फरीदाबाद के जे एस वालिया, यूसुफ मेहर अली सेंटर; मुंबई की गुड्डी; दिल्ली, इंदौर, से सामाजिक कार्यकर्ता प्रभा एवं जयप्रकाश, शशि भूषण; दिल्ली समर्थक समूह के सोनू यादव; सामाजिक कार्यकर्ता विजयन; खनन ग्रस्त संघर्ष समिति कोटपुतली,राजस्थान शुक्लवावास के राधेश्याम; एवं टीम साथी के कार्यकर्ता और हजारों खोरीवासी शामिल हुए। पदयात्रा में जमाई कालोनी के साथी भी जुड़े ,जिन्होंने वहां पर हो रही विध्वंस की कार्यवाही के बारे में बात रखी।

पदयात्रा के शुरुवात विमल भाई को पुष्पांजलि अर्पित कर की गई और समापन बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने देश में धर्म ,वर्ग, जाति और लिंग आधारित भेदभाव और नफरत को लेकर चिंता व्यक्त की और प्रेम, शांति ,सद्भाव के साथ रहने का संकल्प लिया गया । वक्ताओं ने कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन सर्वाधिक सरकारों द्वारा किया जा रहा है। खासकर अल्पसंख्यकों ,दलितों,महिलाओं ,आदिवासियों को सुनियोजित तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।

सभी वक्ताओं ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ 10 दिसंबर 23 को दुनिया के सभी नागरिकों को गरिमापूर्ण, स्वतंत्र और न्यायपूर्ण जीवन सुनिश्चित करने की अपील कर रहा है परंतु भारत सरकार नीतिगत तौर पर इसके खिलाफ कार्य कर रही है। खोरी को उजाड़ना केवल एक उदाहरण मात्र है । वक्ताओं ने कहा कि हम चुनौतीपूर्ण राजनीतिक समय का सामना कर रहे हैं। नफ़रत की भाषा का इस्तेमाल समुदायों की समानता और गरिमा को नकारने के लिए एक सामाजिक और राजनीतिक उपकरण के रूप में किया जा रहा है। हिंसा के माध्यम से लोगों को चुप कराया जा रहा है और शक्तिहीन बनाया जा रहा है।

मेहनतकश लोगो के घरों को अवैध बता कर के बुलडोजर चला कर तोड़ा जा रहा है, लेकिन वही उसी ज़मीन पर फार्म हाउस और होटल, सरकारी संस्थायें जस के तस खड़े हैं इनको संरक्षण दिया जा रहा है। यह मेहनतकश पसीना बहाने वालों के साथ नफरत और घृणा का परिणाम है, जो लोग शहर बनाते हैं उनके लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है । ख़ोरी गाँव विध्वंस किए हुए 16 महीने से ज्यादा समय बीत गया हैं । अभी तक विध्वंस किए जा चुके क्षेत्रों का पूरी तरह पुनर्वास नहीं किया गया हैं। हर खोरी गांव निवासी ने अपनी जमीन खरीदी थी, फिर भी उन्हें अतिक्रमणकारी कहा गया। आवास का अधिकार हमारे संविधान में निहित है, और फिर भी खोरी गाँव के 90% से अधिक निवासियों को इस अधिकार से वंचित रखा गया है, यह तथ्य सभी वक्ताओं ने सभा के दौरान रखा।

ख़ोरी गाँव में 10 हजार घरों को तोड़कर मेहनतकश लोगों को गरीब बनाया गया I पुनर्वास के नाम पर सिर्फ 1009 परिवारों को पात्र माना गया जिन्हें डबुआ के फ्लैट में भेजा जा रहा है, जो रहने योग्य नहीं है I
पदयात्रियों ने कहा हम एकसाथ होकर खोरी गांव के सभी निवासियों के अधिकारों और पूर्ण पुनर्वास की मांग करते हैं।अगर केंद्र सरकार फार्म हाउस को वैध करने की सोच रही है तो उजाड़े गए खोरी वासियों का संपूर्ण पुनर्वास की योजना सरकार को लागू करनी होगी। पदयात्रा में निर्णय लिया गया कीविस्थापितों द्वारा 26 से 30 जनवरी के बीच पलवल से दिल्ली तक होने वाली पदयात्रा में बड़ी संख्या में भागीदारी की जाएगी ।30 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर जाकर नफरत छोड़ो ,संविधान बचाओ अभियान के तहत सभा की जाएगी।

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