एंड गेम से मनोरंजक शुरुआत, सर्द रात में चमके जुगनू -

० अशोक चतुर्वेदी ० 
जयपुरः कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान व जवाहर कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जयरंगम जयपुर थिएटर फेस्टिवल के तीसरे दिन जीवन के कई रंग देखने को मिले। तीन नाटकों ने दर्शकों को खूब हंसाया, कभी रुलाया और पूरा मनोरंजन किया। ‘एंड गेम’ मशहूर फ्रांसीसी लेखक सैमुअल बेकेट द्वारा लिखित नाटक है। कृष्णायन में पहुॅंचते ही हाॅलीवुड फिल्मों सा दृश्य नजर आता है। हुक्मरानी औरत, एकांतिका को ऊलजलूल हुक्म देती है। हुक्मरानी ना चल सकती है और ना देख सकती है। हुक्मरानी के जिंदा माॅं-पिता पास-पास रखे ताबूतों में बंद हैं। नाटक में लाॅकडाउन के माहौल जब मानवीय अनुभवों को बयां करने में भाषा असफल रही, अकेलापन, निर्भरता और टूटते रिश्ते से उपजे दर्द को जाहिर किया गया। नाटक कभी हंसाता है और कभी इसमें विवशता दिखती है।
अंतहीन कहानियां सुनाने वाली हुक्मरानी अंत में मासूमियत और रिश्तों को जिंदा रखने का संदेश देने के साथ दुनिया को अलविदा कहती है। एस. एम. अजहर आलम के निर्देशन में ने उमा झुनझुनवाला, चंद्रयी दत्ता मित्रा, इंतेखाब वारसी और प्रियंका सिंह ने बेजोड़ डायलाॅग डिलीवरी, हाव-भाव और वाइस वर्क के साथ अभिनय किया। रंगायन सभागार में नाटक ‘आधे-अधूरे’ ने दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ कई सीख भी दी। मोहन राकेश की कहानी को वरिष्ठ नाट्य निर्देशक साबिर खान के निर्देशन में कलाकारों ने मंच पर जाहिर किया। 

भावुक करने के साथ तंज भरे संवादों ने हंसने का अवसर भी दिया। श्आधे-अधूरेश् शहरी मध्यवर्गीय परिवार में मूल्यों के परिवर्तन को दर्शाता है। सावित्री-महेंद्रनाथ व उनके तीन बच्चों के माध्यम से इस विशेष वर्ग की समस्याओं को उजागर किया गया। आजादी के बाद उभरे मध्यवर्गीय परिवार की मूल्य व्यवस्था की निराशा, टूटन, बिखराव को उजागर करते हुए मार्मिक ढंग से पेश किया गया। नाटक में वरिष्ठ रंगकर्मी रुचि भार्गव ने सावित्रि जबकि साहिल अहूजा ने महेन्द्रनाथ का किरदार निभाया। वहीं आयुषी दिक्षित, संदीप स्वामी व लक्ष्मी तिवारी ने बच्चों के किरदार निभाएं।

शाम को माया नगरी से आए सिने सितारों ने श्महानगर के जुगनूश् में अपने अभिनय की रोशनी से मध्यवर्ती को रोशन किया। अमितोष नागपाल के निर्देशन में कलाकारों ने मुंबई जैसे महानगरों में अपने सपनों को साकार करने में जुटे लोगों की कहानियों को दर्शाया है। जुगनुओं की तरह टिमटिमाते ये सभी सपने देखते हैं, उन्हें जी भी रहे हैं। इनके सपनों और वास्तविकता के बीच जद्दोजहद मनोरंजक तरीके से मंच पर साकार किया। दर्शकों को खूब हंसने का मौका भी मिला।

 ‘अपने मन की कब करोगे यार’ जैसे स्वरचित गानों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। नाटक में अमितोष नागपाल, गिरिजा ओक गोड़बोले, साखी, देवेंद्र, महादेव, तुषार, रजत तिवारी, शिमली बसू, केवल कार्तिक, जाहन्वी मराठे, महादेव व सायन जैसे कलाकारों ने अभिनय की छाप छोड़ी।  21 दिसंबर को जयरंगम के चौथे दिन 12 बजे कृष्णायन में ‘द डेथ ऑफ गैलिलियो’, 4 बजे रंगायन में ‘अंबा’ व शाम 7 बजे ‘21वीं सदी’ नाटक का मध्यवर्ती में मंचन होगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर