नाट्यशास्त्र का सिर्फ़ अभ्यास ही नहीं ,अपितु देश विदेश में इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए

० योगेश भट्ट  ० 
भोपाल - 
नाट्य अनुसंधान केन्द्र के स्थापना उद्देश्य पर प्रकाश डालते कहा कि भोपाल में इस केन्द्र की स्थापना का बहुत बड़ा कारण यह भी है कि यह मध्य प्रदेश भारत का भव्य हृदय स्थल है ।केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली , के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने भोपाल परिसर के नाट्य अनुसंधान केन्द्र के द्वारा नाट्यशास्त्र और भारतीय रंगमंच में आचार्य ( एम ए) के अध्ययन की शुरुआत के उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि 

इस नये पाठ्यक्रम के श्रीगणेश से इस विद्या के प्रयोग, शास्त्र तथा दर्शन का समन्वित रुप से अध्ययन अध्यापन का सही अर्थों में उत्कर्ष होगा क्योंकि नाट्य प्रयोग कलाओं का सहकार होता है और इस केन्द्र के माध्यम से नाट्य विद्या पूरे विश्व में प्रतिष्ठित होगा और बहूचर्चित नाट्यविद् आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में इस अनुसंधान केन्द्र की जो स्थापना की गयी थी , उस लक्ष्य को भी पर्याप्त बल मिलेगा । 

कुलपति प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि यह विश्वविद्यालय संगीत नाटक अकादमी से भी समझौता ज्ञापन करने जा रहा है।आगे उन्होंने यह भी कहा कि लंदन के भारतीय विद्या भवन में संस्कृत नाटक के आयोजन होने वाला है जो संस्कृत नाटक की लोकप्रियता का ही सूचक है । कुलपति प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि आज के नाट्य मंचन में संस्कृत के साथ समकालीन भारतीय भाषाओं को भी संवाद के रुप में प्रयोग किया जाय,ताकि संस्कृत के साथ इन भाषाओं का सामंजस्य फिर से बन सके ।

जाने माने नाट्यशास्त्र विद्वान पद्मश्री अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने कहा कि सृष्टि विस्तार ही नाट्य है । उपनिषद में सृष्टि का मूल कारण परमात्मा का लीला विलास मात्र है । अतः यह विद्या पुरुषार्थ चतुष्टय का भी बोधक है भोपाल परिसर के संस्थापक आचार्य प्रो आजाद मिश्र ने सारस्वत अतिथि के रुप में इस नाट्य अनुसंधान केन्द्र के स्थापना उद्देश्य पर प्रकाश डालते कहा कि भोपाल में इस केन्द्र की स्थापना का बहुत बड़ा कारण यह भी है कि यह मध्य प्रदेश भारत का भव्य हृदय स्थल है । शिक्षाविद् जयपुर के निदेशक प्रो सुदेश कुमार ने विशिष्ट अतिथि के रुप में बोलते हुए कहा कि इस पाठ्यक्रम की शुरुआत बहुत ही अच्छा है ।इससे नाट्यशास्त्र का सिर्फ़ अभ्यास ही नहीं ,अपितु देश विदेश की संस्थाओं में भी इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए ।

सीएसयू भोपाल परिसर के निदेशक तथा नाट्य प्रयोग के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान् प्रो रमाकांत पाण्डेय ने कहा कि इस नये पाठ्यक्रम से नाट्य विद्या के शास्त्र तथा प्रयोग दोनों पक्षों का संमान्य कुलपति वरखेड़ी के मार्गदर्शन में उत्तरोत्तर उत्कर्ष होगा । यह पहल समय की मांग है । डा सुज्ञान कुमार माहान्ती तथा प्रो सुबोध शर्मा ने क्रम: कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन किया ।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर