वैदिक की हिन्दी सेवा और पत्रकारिता के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान का स्मरण

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली के प्रेस क्लब में पर्वतीय लोक विकास समिति ने अपने 19 वें स्थापना दिवस समारोह में शीर्ष पत्रकार, हिन्दी भाषा के योद्धा और अपने संरक्षक प्रो.वेदप्रताप वैदिक की स्मृति में एक चर्चा गोष्ठी आयोजित की जिनमें वैदिक जी से जुड़े बुद्धिजीवियों और उनके साथ कार्य करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने जीवंत स्मरण प्रस्तुत कर वैदिक की हिन्दी सेवा और पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान का स्मरण किया। स्मृति सभा में उपस्थित लोगों ने डॉ.वेदप्रताप वैदिक के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की तो आचार्य महावीर नैनवाल ने शांतिपाठ किया।

स्मृति सभा का विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय संयोजक सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी के शोध प्रबंध को हिंदी में न केवल लिखना बल्कि एक राष्ट्रीय बहस के बाद उसे स्वीकृत करवाना ऐसा साहस वैदिक जी में ही था। देश के तीन -तीन प्रधानमंत्रियों के साथ निकटता के वावजूद व्यक्तिगत नहीं लोकहित और देशहित वैदिक जी का लक्ष्य था। प्रमुख उद्योगपति बीकानेरवाला फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक औरभारत विकास परिषद सेवा प्रकल्प के चेयरमैन नवरतन अग्रवाल ने कहा कि वैदिक का व्यक्तित्व बहुत विराट,उनका कृतित्व लोक विख्यात और उनका आचरण और व्यवहार अप्रतिम था।

नेशनल एक्सप्रेस प्रकाशन समूह के संस्थापक तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय मतदाता संगठन विपिन गुप्ता ने कहा कि देश ,भाषा,समाज,राजनीति,विदेश नीति हो या मीडिया सबके चहेते थे वेदप्रताप वैदिक लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत अपने लिए सम्बन्ध नहीं भुनाए व्यापक समाज और राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी। डॉ.वेदप्रताप वैदिक और उनकी सहधर्मिणी डॉ. वेदवती वैदिक की शिष्या डीयू के संस्कृत विभाग की प्राध्यापिका प्रो.सुषमा चौधरी ने कहा कि वैदिक जी सहज,सरल स्वभाव के धनी थे,नियम और आदर्श के पक्के थे। हम लोगों को उन्होंने अपनी संतान मानकर सदैव विश्वास किया।

वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश चंद्र जुगरान ने कहा कि उनका रिश्ता वैदिक से पत्रकारिता के एक छात्र जैसा रहा और जब वे नवभारत टाइम्स में कार्यरत थे तब उन्होंने भाषा के एक इम्तिहान को पास किया तब वैदिकजी ने उन्हें बतौर प्रशिक्षु पत्रकार भाषा ज्वाइन करने को कहा था . व्योमेश ने कहा की उन्होंने पत्रकारिता वैदिक जी किताब हिंदी पत्रकारिता के विविध आयाम से सीखी , तब वे गढ़वाल विश्व विद्यालय में पत्रकारिता के छात्र थे. वरिष्ठ पत्रकार देव सिंह रावत ने वैदिकजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा की हिंदी पत्रकारिता को विश्वस्तरीय आयाम देने और हिंदी के संरक्षण और राष्ट्रीय भाषा के दर्जा देने की दिशा में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष सुनील नेगी ने कहा कि डॉ.वेदप्रताप वैदिक अपने में एक बड़ी संस्था थे,सब प्रकार की विचारधारा वाले लोगों से निकटता के वावजूद उन्हें देश का विचार सबसे बड़ा लगता था। पर्वतीय लोकविकास समिति के चेयरमैन विनोद नौटियाल ने कहा कि डॉ.वैदिक एक बड़े बौद्धिक योद्धा थे लेकिन भावना और कमिटमेंट के लिए विख्यात । पर्वतीय लोकविकास समिति के आयोजनों में अभिभावक के रूप में डॉ.वैदिक चाहे उत्तरायणी हो,

 डॉ.मुरली मनोहर जोशी अभिनंदन अथवा सुदूर क्षेत्रों में समिति के छोटे आयोजन, वे पहुंचकर हमें चकित करते थे। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक आचार्य विष्णु गुप्त ने वैदिक की भूरी भूरी प्रसंशा करते हुए उन्हें हिंदी पत्रकारिता का पुरोधा बताया और कहा कि वैदिकजी के हिंदी भाषा के प्रति उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता . चर्चा गोष्ठी का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और गणेश कथा के मर्मज्ञ भानुप्रताप मिश्र ने कहा कि वेद प्रताप वैदिक का जाना भाषा और पत्रकारिता जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

स्मृति सभा की अध्यक्षता पर्वतीय लोकविकास समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने की। पर्वतीय लोकविकास समिति के महासचिव दीवान सिंह रावत ने समिति की 19 वर्ष की कार्य उपलब्धियों का वृत्त प्रस्तुत किया। समिति के स्थापना दिवस पर राष्ट्र गौरव,दिल्ली गौरव और उत्तराखंड गौरव से कई विभूतियों को सम्मानित किया गया। समिति ने इस अवसर पर कई प्रतिभाओं को डॉ.वेदप्रताप वैदिक स्मृति सम्मान से भी सम्मानित किया। समारोह के अंत में उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार दिवंगत हरीश चंदोला को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा ।

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