प्रधानमंत्री का सपना,नशा मुक्त भारत हो अपना

० विनोद तकियावाला ० 
नयी दिल्ली - भारत इन दिनों अपनी आजादी के 75वें बर्ष में प्रवेश कर अमृत महोत्सव मना रहा है।इस अमृत काल का श्रेय निश्चित रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह व उनके टीम के सभी सदस्यों को जाता है। जिन्होने राष्ट्र के चहुँ मुखी विकाश की दिशा में सरकार व जनता के बीच में ना केवल सम्पर्क,संवाद व सहयोग स्थापित बल्कि प्रधान मंत्री के सपनो को साकार करने के लिए दिन रात कडी मेहनत किया है।किसी भी राष्ट्र का विकाश वहाँ की जनता के विकास पर निर्भर करता है। खुशहाल जनता से समाज व राष्ट्र का विकाश होता है।इसमें स्वास्थ्य की अंहम भूमिका होती है।

यह तभी सम्भव है जब हमारा समाज नशा मुक्त हो। भारत विश्व गुरु बने,इसके लिए मोदी ने नशा मुक्त भारत का सपना देखा है।जिसे साकार के लिए दृढ इच्छा शक्ति व संकल्प जरूरत है।आप को बता दे कि इस दिशा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की बहु-आयामी व व्यापक रणनीतियाँ तैयारी की है।जिसके आशातीत परिणाम आ रहे है।शाह के कुशल नेतृत्व में नशीले पदार्थों के कारोबार को खत्म करने में अचुक हथियार साबित हो रही हैं।सर्व विदित रहे कि प्रधान मंत्री व गृह मंत्री के कुशल मार्गदर्शन में कुछ आशातीत आकंडे आये है।आइए हम इस एक निगाह डालते है।
भाजपा के शासन काल में सन 2014 से सन 2022 की अवधि के दौरान विभागीय अधिकारियों के द्वारा चलाये गये इस अभियान के तहत भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त किया गया।उसकी तुलना यूपीए शासन के वर्ष 2006 से वर्ष 2013 के बीच जब्त किए गए ड्रग्स की तुलना में 30 गुना है। बाजार में 22,000 करोड़ रुपये है।जहाँ तक गिरफ्तार किए गए अपराधी व्यक्तियों की संख्या में भी तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है।3.73 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए जा चुके हैं।साथ ही,पिछले 9 साल में कुल 3,544 मामले दर्ज किए गए हैं,जो वर्ष 2006 से वर्ष 2013 की अवधि के दौरान दर्ज की गई संख्या का लगभग दोगुना है।

अवैध ड्रग्स की खेती को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा पिछले तीन वर्षों में लगभग 36,000 एकड़अफीम की खेती और 82,769 एकड़ भांग की खेती को नष्ट कर दिया है।साथ ही दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध ड्रग्स की खेती की पहचान के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।आप को बता दे कि ड्रग्स का कारोबार एवं उसका दुरुपयोग देश और समाज के लिए नासूर है।नशे के कारोबार से हुई अवैध कमाई का उपयोग आतंकवाद का वित्त पोषण करने और उसकी नींव को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है।

अर्थात नशे के कारोबार से आतंकवाद को फलने-फूलने का मौका मिलता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती बन गया है।इस पर लगाम लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने 'मादक पदार्थों के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता(जीरो टॉलरेंस)की नीति'अपनाते हुए सहयोग,समन्वय और गठजोड़ के सिद्धांत पर एक त्रि-आयामी रणनीति तैयार की है।जिसके तहत केंद्रीय और राज्य ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्य और तालमेल सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत ढाँचे को मजबूत किया गया है।साथ ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी)कैडर का पुनर्गठन किया गया है,

जो मादक पदार्थो'नार्को -फंडिंगऔर नार्को-टेरर मामलों से संबंधित एक विस्तृत राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने की दिशा में में तेजी से जुटा हुआ है।देश में नशीले पदार्थों की 60-70 प्रतिशत तस्करी मुख्य रूप से समुद्री मार्ग से होती है।समुद्री मार्ग से तस्करी को खत्म करने के लिए अमित शाह के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में एक उच्च स्तरीय समर्पित कार्यबल का गठन किया गया है,जो समुद्री मार्ग से मादक पदार्थों की तस्करी का विश्लेषण करेगा।नशे के कारोबार से हुई कमाई की वित्तीय जाँच के अलावा एक पूर्ण ड्रग नेटवर्क चार्ट तैयार करने और ड्रग्स के स्रोत और गंतव्य का पता लगाने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।

गृह मंत्रालय ने ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के तहत,केंद्र और राज्य के स्तरों पर नार्को एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं,ताकि ये संस्थान एकजुटता और जवाबदेही के साथ काम कर सकें।सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समर्पित एंटी -नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ)इकाइयों का गठन किया गया है।अवैध ड्रग व्यापार में डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को रोकने पर भी तेजी से काम चल रहा है।नशे के खिलाफ इस लड़ाई मेंअपनी तीसरी रणनीति के तहत ड्रग्स के उपयोग के विरुद्ध आम लोगों को संवेदनशील बनाने पर जोर दिया है।देश भर की जनता में जन-जागरूकता भरी नीति को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। 

एनसीबी द्वारा शुरू किए गए ‘नशामुक्त भारत’ प्रतिज्ञा अभियान के तहत 30 लाख से अधिक लोगों ने ‘ई-शपथ’ के जरिए ड्रग्स के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का संकल्प लिया है।अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया को नियंत्रित करने के लिए ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन(डीईए)ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस(एएफपी)और रॉयल कैनेडियन माउंटेन पुलिस (आरसीएमपी)जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय सुनिश्चित करना और 44 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करना नशामुक्त भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में अमित शाह की दूरदर्शी सोच और उनकी रणनीतियों का अंहम हिस्सा है।

नशामुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में शाह ने जो बीज बोया,वो अब वटवृक्ष बन चुका है और उनकी नीतियों के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।वह दिन अब दूर नहीं जब नशा तस्करों पर नकेल कर समाज के भटके हुए लोग को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जायेगा तथा उनका भी सहयोग समाज व राष्ट्र के विकाश में लिया जाएगा।आये हम आप मिलकर प्रधान मंत्री जी के नशा मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लिए एक संकल्प ले कि प्रत्येक भारतीय का नशा मुक्ति आंदोलन को जन आन्दोलन बनाये।ताकि पुनःभारत विश्वगुरु बन कर विश्व का नेतृत्व कर पायेगा।

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