पंजाब विश्वविद्यालय में श्रीमंत शंकरदेव पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्रों ने असमिया संस्कृति को लेकर दिखाया उत्साह

० योगेश भट्ट ० 
चंडीगढ़ : पंजाब विश्वविद्यालय के श्रीमंत शंकरदेब आसन के सहयोग से पंजाब विश्वविद्यालय में कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमंत शंकरदेब आसन की कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर योजना रावत ने कर्मशाला के बारे में जानकारी दी। असम के अजंता बोरगुहाईं ने अपने शीर्षक "शंकरदेव-असम के संस्कृति पथ परदर्शक " के लेख से कर्मशाला को अवगत कराया और गोहाटी विश्वविद्यालय से डॉ दिलीप मेधी ने शंकरदेब की दर्शन पर अंतरदृष्टिपूर्ण और विचारात्मक विश्लेषण किया।

वर्कशॉप का उद्घाटन पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हर्ष नय्यर (निदेशक ,रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल) ने किया। इस कर्मशाला में काफी संख्या में छात्र और फैकल्टी सदस्य शामिल हुए। यह कर्मशाला शीर्षक "श्रीमंत शंकरदेब: असम संस्कृति के अग्रणीय" के साथ असम संस्कृति के कार्यक्रम से भी जुड़ा था। इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों ने बोड़गीत,रुक्मणि हरण,बिहू नृत्य और एक फैशन शो प्राचीन अवं पारम्परिक पहनावे का प्रभावशाली कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

 गुरु शंकरदेब एक साहित्य और उनके योगदान को आगे बढ़ाने के लिए साज सज्जा और सञ्चालन असम के लेखक और अनुवादक अजंता बोरगुहाईं के नेतृत्व में हुआ। इसमें पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी,संस्कृत,संगीत और भारतीय नाट्य विभाग ,फैकल्टी सदस्यों के सहयोग और उनकी रूचि से सफल रहा। इसमें पंजाब विश्वविद्यालय के उपस्थित १५० छात्रों में से करीब ५० छात्रों ने इस असमिया सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया।

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