सामाजिक समरसता के बिना राजनीतिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता पूर्ण नहीं होती -शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली। गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर महाराज  मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती , का कहना है कि सामाजिक समरसता के बिना राजनीतिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता पूर्ण नहीं होती है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी का कहना है कि हमने भारत की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष, अमृत महोत्सव के रूप में मनाया, विष्व मंच पर सम्मान हासिल किया है, लेकिन कटु सत्य यह है कि राष्ट्र-समाज में एकता के अभाव के कारण भारत शंताब्दियों तक गुलाम रहा है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती आदि शंकराचार्य की 2530 वें जयन्ती महोत्सव के षुभअवसर पर दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में दिव्य तथा भव्य भारत के निर्माण को लेकर राष्ट्रोत्कर्ष महाधिवेशन में अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि महापुरुषों की कल्पना का भारतवर्ष बनाना राष्ट्रोत्कर्ष महाधिवेशन का संकल्प है। उन्होंने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र बनकर रहेगा और इसमें जिसकी भागीदारी होगी वह परमतत्व को प्राप्त करेगा। उन्होंने वेद के सिद्वांत को बिना परिष्कृत करते हुए अपनाने की बात कही। कार्यक्रम की षुरुआत हम हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे, भारत भव्य बनाएंगे के उद्घोष के साथ हुआ। महाधिवेशन इस कार्यक्रम में देष-विदेष से बड़ी संख्या में राष्ट्रप्रेमी एवं सनातन धर्म को मानने वाले प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज के बारे में परिचय देते हुए कहा कि पुरी पीठाधीश्वर मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती आदि शंकराचार्य के परम्परा को शत-प्रतिशत पालन करते हुए भारत-नेपाल की यात्रा करते हुए दिल्ली पहुंचे हैं। आदि शंकराचार्य का प्राकटय ईसा से 507 वर्ष पूर्व हुआ था। यदि आदि शंकराचार्य नहीं होते तो आज हम लोग हिन्दू नहीं होते, आज हम जगन्नाथपुरी की यात्रा करते हैं अगर आदि शंकराचार्य नहीं होते तो यह संभव नहीं होता क्योंकि 164 वर्षों तक आतातायियों ने इस पर अपना कब्जा जमाए हुए था। यही बात बदरीनाथ, नेपाल के काठमांडू के पशुपति नाथ महादेव हैं वहां भी विधर्मियों ने कब्जा जमा रखा था। आदि शंकराचार्य न हिंसा, न गोली और न हीं गाली का प्रयोग करते हुए सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में ही चारों धाम का पुनरुद्वार कर पीठ बनाकर कैलाश गमन किए।

 शंकराचार्य स्वागत समिति के अध्यक्ष एवं युग संस्कृति न्यास के संस्थापक आचार्य धर्मवीर ने कहा कि महाराजश्री का संकल्प है भारत को संपूर्ण हिन्दू राष्ट्र बनाने का इसी के निमित यह विषाल राष्ट्रोत्कर्ष महाधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में देष भर के संत षामिल हुए एवं कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए कई देषों के राष्ट्राध्यक्षों एवं प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने अपनी उपस्थिति प्रदान की। उन्होनें कहा इसके अलावे मिथिलांचल, नेपाल एवं अन्य राज्यांे एवं देषों के महाराजश्री के समर्थक एवं भक्तजन आ आए। आचार्य धर्मवीर ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए जन-जन को शभकामना देते हुए शंकराचार्य स्वागत समिति के प्रति आभार जताया। आचार्य जी ने कहा कि कार्यक्रम का आरंभ 251 महिला टीम के द्वारा भव्य कलष यात्रा से हुई। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा को आगे बढ़ाते हुए यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा।

इस अवसर पर करनैल सिंह, मंदिर प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी ने महाराजश्री के चरणों में दंडवत प्रणाम करते हुए कार्यक्रम में अपनी सहभागिता के लिए धर्मवीर आचार्य  एवं स्वागत समिति का आभार जताया।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष, पीठ परिषद अष्विनी कुमार मलिक ने कहा कि सनातन आर्य वैदिक ' शस्त्रसम्मत शसनतंत्र की प्रतिष्ठा कर भारत को एक सूत्र में पिरोने वाले आदि षंकराचार्य जी की पावन परंपरा में ऋग्वेदीय पूर्वान्माय श्रीगोवद्र्वनमठ के 145वें शंकराचार्य पुरीपीठाधीष्वर अनन्तश्री विभूषित स्वामी निष्चलानंद सरस्वती जी आदि शंकराचार्य जी के ही पद्चिन्हों का अनुसरण करते हुए सनातन शस्त्रसम्मत षासनतंत्र अखंड भारत के लक्ष्य की पूर्ति हेतु विगत 30 वर्षों से भी अधिक समय से वर्ष में 250 से भी अधिक दिनों तक राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के अंतर्गत पूरे भारत में जन-जागरण कर स्वस्थ वैचारिक क्रांति का सूत्रपात कर रहे हैं।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुब्रमणयम स्वामी सहित सैकड़ों की संख्या में राजनतिक एवं सामजिक क्षेत्र से जुड़े हस्तियां उपस्थित होकर कार्यक्रम की सफलता में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिए। इस अवसर पर मज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वागत समिति के राकेश शंर्मा, महेन्द्र लडडा, रजत कुमार मिश्रा, प्रवीण गुप्ता, मनोज अग्रवाल, संजय उपाध्याय, सुधाकर सिंह, महेष अग्रवाल, अजय मित्तल सहित सभी पदाधिकारी एवं मीडिया संयोजक त्रिलोक कुमार झा सहित शंकराचार्य स्वागत समिति के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

राजस्थान चैम्बर युवा महिलाओं की प्रतिभाओं को पुरस्कार