प्रदेश, देश और समाज के लेखकों से अकादमी की विशिष्ट पहचान बनती है : बी. डी. कल्ला

० आशा पटेल ० 
जयपुर। कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि लेखक, पाठक और नागरिक साहित्यिक बिरादरी के तीन प्रमुख घटक हैं और कोई भी अकादमी या सरकार लेखक नहीं बनाती बल्कि प्रदेश, देश और समाज के लेखकों से अकादमी की विशिष्ट पहचान बनती है।कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री बी. डी. कल्ला ने कहा कि अकादमियों को स्वयं को प्रतिष्ठित ज्ञानकेंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने होंगे और उनकी इस पहल में सरकार कंधे से कंधा मिलाकर चलेगी। उन्होंने कहा कि किसी प्रदेश की अकादमी उस प्रदेश का सांस्कृतिक चेहरा होती है और तेजी से बदलते जा रहे समय के अनुरूप अकादमी को डिजिटल फ्रेंडली होने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
हरिश्चंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान के सभागार में आयोजित राजस्थान साहित्य अकादमी का वार्षिक पुरस्कार-सम्मान समारोह 2022-23 को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि लेखक, पाठक और नागरिक साहित्यिक बिरादरी के तीन प्रमुख घटक हैं और कोई भी अकादमी या सरकार लेखक नहीं बनाती बल्कि प्रदेश, देश और समाज के लेखकों से अकादमी की विशिष्ट पहचान बनती है। कल्ला ने कहा कि आज के वर्तमान समय में अच्छे साहित्य की बहुत आवश्यकता है जिससे सोशल मीडिया और मोबाइल के इस युग में आने वाली पीढ़ियों को इसके घातक परिणामों से बचाया जा सके।
समारोह में साहित्यकारों को संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री द्वारा बहुप्रतिष्ठित मीरा पुरस्कार, रति सक्सेना को उनकी कृति 'हंसी एक प्रार्थना के लिए' कथा एवं उपन्यास विधा में रांगेय राघव पुरूस्कार भरत चंद्र शर्मा को उनके उपन्यास ‘पीर परबत-सी’ के लिए, काव्य विधा में सुधींद्र पुरूस्कार जयपुर के कवि मायामृग को उनकी कविता संग्रह 'मुझमें मीठा तू है' के लिए प्रदान किया गया।देवीलाल सामर पुरुस्कार "रोंग नंबर " के लिए अजय अनुरागी , शम्भूदयाल सक्सेना पुरस्कार कांकरोली की कुसुम अग्रवाल को उनकी पुस्तक ‘हम सब एक हैं’ के लिए दिया गया। 

आलोचना क्षेत्र का प्रतिष्ठित देवराज उपाध्याय पुरस्कार भरतपुर मूल के राजाराम भादू को आलोचना-कृति ‘कविता के आयाम’ के लिए तथा विविध विधाओं का कन्हैयालाल सहल पुरस्कार जयपुर के व्यंग्यकार यश गोयल को कृति ‘नामुमकिन नेता’ के लिए दिया गया। सुमरेश जोशी पुरुस्कार " एक सों आठ "के लिए तराना परवीन को मिला। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी फारूक आफ़रीदी को भी साहित्य के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए विशिष्ट साहित्यकार सम्मान प्रदान किया गया।

इस अवसर पर विशिष्ठ साहित्यकार सम्मान भी दिए गए. जिनमे ये साहित्यकार शामिल थे -विद्या पालीवाल, रामस्वरूप किसान,महेंद्र भानावत,कुसुम मेघवाल,रेवतीरमण शर्मा,राजेन्द्र कसवा,केलाश मनहर ,सावित्री चौधरी ,गोपाल माथुर , डॉ सत्यनारायण ,गोरधन सिंह शेखावत ,राजन निर्मोही ,मालचंद तिवाड़ी , अजंता देव , बख्शीश सिंह , अतुल चतुर्वेदी , जीवन सिंह , हरिराम मीणा,अनीता वर्मा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने की। मुख्य वक्ता साहित्यकार-चिंतक प्रो अपूर्वानंद एवं विशिष्ठ अतिथि साहित्यकार डॉ. हेतु भारद्वाज, राजस्थान गांधी स्मारक निधि के मंत्री धर्मवीर कटेवा, शांति एवं अहिंसा निदेशालय के निदेशक मनीष कुमार शर्मा रहें।

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