ऑल राज.विवि पेन्शनर्स महासंघ लामबंद सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

० आशा पटेल ० 
जयपुर | ऑल राजस्थान विश्वविद्यालय पेन्शनर्स महासंघ के नेतृत्व में जयपुर के पिंक सिटी पैलेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जिसमें महासंघ के अध्यक्ष प्रो.एच.एस.शर्मा ने सभी सदस्यों के साथ जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की पेन्शनर्स सोसाइटी के अध्यक्ष एवं महासंघ के उपाध्यक्ष प्रो. रामनिवास शर्मा ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेन्शन भुगतान का उत्तरदायित्व राज्य सरकार तुरंत ले| क्योंकि राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों में 1990 में राज्य सरकार के आदेश से ही पेन्शन लागू की गयी थी, जिसे सभी विश्वविद्यालयों ने अपनी सक्षम बॉडीज़ से पारित कर लागू कर दिया था। 
साथ ही यह कहा गया था कि विश्वविद्यालय अपने स्तर पर पेन्शन का प्रबंधन करेंगे। सभी विश्वविद्यालय अपने अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेन्शन का भुगतान येनकेन प्रकारेण करते रहे परन्तु अब सभी की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि किसी भी प्रकार से पेन्शन का भुगतान नहीं कर सकते हैं।
 शर्मा ने कहा कि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति तो इतनी दयनीय हो चुकी है कि वह दो-दो तीन-तीन महीनों तक पेन्शन का भुगतान नहीं कर पाता है। इतना ही नहीं 2020 के पश्चात सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों यथा ग्रेच्युटी,कम्यूटेशन एवं सातवें वेतन आयोग के पेन्शन पुनर्निर्धारण एरियर की बकाया राशि का भुगतान भी नहीं कर पाया है।
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति के दयनीय होने का बहुत बड़ा कारण सरकार ही है क्योंकि यह तो सर्वविदित है कि विश्वविद्यालय एक राजकीय शैक्षणिक संस्थान होने के कारण छात्रों पर अतिरिक्त भार भी नहीं डाल सकता क्योंकि जो फीस छात्रों से ली जाती है वह बहुत ही कम है इस पर भी राज्य सरकार के आदेशानुसार छात्राओं, एस.सी. एवं एस.टी. के छात्रों की फीस या तो माफ है अथवा नगन्य है। ओ.बी.सी. के छात्रों की फीस में भी भारी छूट राज्य सरकार के आदेशानुसार दी जाती रही है। इस फीस के पुनर्भरण के लिये विश्वविद्यालय राज्य सरकार को समय समय पर लिखता रहा है लेकिन राज्य सरकार इस ओर कोई ध्यान नही दे रही है।
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के ही इस मद में पिछले मात्र पंद्रह साल का करीब 40 करोड़ रुपये राज्य सरकार में बकाया है। विश्वविद्यालय की आय का साधन केवल विद्यार्थियों एवम् सम्बद्ध कॉलेजों से प्राप्त संबद्धता शुल्क ही है और शुल्क में वृद्धि करना विश्वविद्यालय के लिए आसान नहीं है क्योंकि फीस वृद्धि विद्यार्थियों के आंदोलन के कारण राज्य सरकार निर्देशों से वापिस लेनी पड़ती है। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की पेन्शनर्स सोसाइटी के महा सचिव लोकेन्द्र शक्तावत ने कहा की राज्य वित्तपोषित सभी विश्वविद्यालयों को सरकार ब्लॉक अनुदान देती आई है जिसका 1984-85 के बाद पुनर्निधारण नहीं हुआ है। इसके बाद सिर्फ बजट फाईनलाइजेशन कमेटी के जरिये अनुदान दिया जाता है। 

वर्ष 2000 तक राज्य सरकार दो तरह की अनुदान देती थी- नॉन प्लांड अनुदान और पलान्ड अनुदान। नान प्लांड अनुदान सेलेरी एवं उससे जुड़े हुए भत्तों से सन्बधित होता था और प्लांड अनुदान अन्य विकास के कार्यों एवं सुविधाएं जैसे मेडिकल अनुदान, सेमीनार करवाने या उसमें भाग लेने के लिये अनुदान, पुस्तक छपवाने तथा शोध ग्रंथ छपवाने आदि के लिये देय होती थी। उन्होंने कहा की शनैः शनैः राज्य सरकार ने प्लांड अनुदान को समाप्त कर दिया और इस प्रकार कर्मचारियों का मेडिकल पुर्नभरण, छुट्टियों का पुनर्भरण, ग्रेच्युटी एवम् कॉम्यूटेशन आदि का भुगतान भी विश्वविद्यालयों का दायित्व हो गया। उपरोक्त कटौतियों से प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय पर लगभग 15 से 20 करोड़ का अतिरिक्त भार बढ़ गया जिसे विवि को स्वयं की आय से वहन करना पड़ता है।

 यही नहीं राज्य सरकार समय समय पर विश्वविद्यालय की जमीन (भू- भाग) अपने कार्यों के लिये ले लेती है और विश्वविद्यालय को उसका भी भुगतान नहीं किया जाता है। इस मद में राज्य सरकार से विश्वविद्यालय को भारी रकम देय है जो निम्नानुसार है -विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय के पास 18824 वर्ग फीट का भूखंड- कीमत - 5.302 करोड़। नाला निर्माण नया परिसर - 365900 वर्ग फीट क़ीमत 103.07 करोड़।
3. रेसीडेंसी रोड महेंद्र सर्किल से पीली टंकी मुख्य पाली रोड चौड़ी करने हेतु - 355080 वर्ग फीट कीमत 100.00 करोड़। ⁠विद्युत वितरण निगम कार्यालय निर्माण हेतु - कीमत लगभग 100 करोड़। ⁠M.B.M. विश्वविद्यालय की पृथक रूप से स्थापित करने हेतु ली गई भूमि एवम भवन आदि - कीमत लगभग 10000 करोड़ रुपये। यानि कुल धनराशि - 10,308.398 करोड़ रु होती है।

अतः विश्वविद्यालय को आर्थिक रूप से दयनीय स्थिति में लाने के लिए राज्य सरकार भी उत्तरदायी है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय वाणिज्यिक संस्थान नही है। राज्य सरकार के साथ 10 फरवरी 2020 को किये गए MOU, के अनुसार विश्वविद्यालय सिर्फ शैक्षणिक मामलों में ही स्वतन्त्र संस्थान है, वित्त के मामले में राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक है। यह इस बात को साबित करता है कि विश्वविद्यालय राज्य सरकार का ही एक अभिन्न अंग है, विशेष रूप से वित्त के मामलों में।राज्य सरकार ने सन् 2004 के बाद के नियुक्त कर्मचारियों के लिये नई पेंशन योजना लागू कर दी है। इससे पेंशन फण्ड में अंशदान की मात्रा भी बहुत कम हो गयी है।

उन्होंने बताया की जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के पेन्शनधारियों का वर्तमान में कुल पेंशन भार प्रतिवर्ष लगभग 88 करोड़ का है जो अगले कुछ वर्षों में बढ़ कर 100 करोड़ हो जाएगा। यह भार राज्य सरकार के कर्मचारियों को दी जा रही कुल पेन्शन 22500 करोड़ रूपये का 0.5 प्रतिशत के बराबर ही है। इसलिए हमारी माँग है कि राज्य सरकार जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह ही राजकीय कोष से पेंशन का भुगतान करावे। जिससे सभी वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध हो सके और वे अपना जीवन स्वाभिमान से जी सकें।

उन्होंने बताया की पेंशन Deferred salary ही है और यह कर्मचारियों द्वारा लम्बे समय तक सेवा करने के उपलक्ष् में देय होती है।इन्कम टैक्स अधिनियम 1961 की धारा 15 के अनुसार सैलेरी में पेंशन, भत्ते, बोनस, ग्रेच्युटी, छुट्टियों का नकद भुगतान, पेन्शन का कम्युटेशन आदि भी शामिल है। भारत के सुप्रीमकोर्ट ने भी इस बात की कई निर्णयों में पुष्टि की है और प्रतिपादित किया है कि कि पेन्शन सेलेरी का ही एक भाग है। अर्थात पेन्शन का भुगतान करना भी सरकार का उतना ही दायित्व है जितना कि सेलेरी का भुगतान करना।

उन्होंने क
हा की जब निदेशालय कॉलेज शिक्षा का सम्पूर्ण शिक्षण कार्य विश्वविद्यालय के अधीन होता है और जिसके कर्मचारियों की पेंशन राज्य सरकार वहन करती है तो फिर राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की पेन्शन का भार भी राज्य सरकार को वहन करना चाहिये। भारत में बहुत से बीजेपी शासित राज्य हैं जहाँ राज्य वित्तपोषित विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत शिक्षकों और कर्मचारियों की पेन्शन का संपूर्ण दायित्व राज्य सरकारों द्वारा ही वहन किया जा रहा है। महासंघ उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हमारा यह आग्रह है कि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन भुगतान का भार राज्य सरकार वहन करे और उसका भुगतान राजकीय कोषालय द्वारा करने की व्यवस्था करे।

इस अवसर पर पेंशनर्स महासंघ के जनरल सेक्रेटरी प्रों बी के शर्मा ने भी सन्बोधित किया | इस अवसर पर सभी कृषि विश्वविध्यालय के पेंशनर्स भी मोजूद थे |बीकानेर कृषि वि वि के पेंशनर्स प्रो आर बी एल गुप्ता ने महासंघ द्वरा कोर्ट में चल रहे केस की विस्तार से जानकारी दी | जोबने र कृषि वि वि के मूलचंद जाट ने भी संबोधित किया |जल्द ही महासघ सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने जा रहा है |

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