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सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

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किसानों को लाभ का कम से कम 50 प्रतिशत मार्जिन देने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने तथा किसानों के कल्याण में ठोस सुधार करने की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदमों में एक है नयी दिल्ली - किसानों की आमदनी को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2019-20 सत्र के लिए सभी खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इस कदम से निवेश में वृद्धि होगी और किसानों को निश्चित लाभ प्राप्त होने के माध्यम से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। 2018-19 के खरीफ मौसम में सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार बढ़ाया गया हैः- सरकार ने 2019-20 के लिए खरीफ फसल के तौर पर सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 311 रुपये प्रति क्विंटल,सूरजमुखी में 262 रुपये प्रति क्विंटल और तिल में 236 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर दी है। किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। सरकार ने तूर दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 125 रुपये और उड़द दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 100 रुपये प्रति क्विंटल वृद्धि की है। इससे

8 जुलाई को घोषित होंगे केन्द्रीय विद्यालय संगठन के भर्ती परिणाम

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केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा अधिकारियों, शिक्षकों एवं गैर-शैक्षिक कार्मिकों के पदों पर सीधी भर्ती द्वाराचयन करने हेतु 2018 में भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। अभी तक केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा कुल 1944 पदों के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं और नियुक्तियां प्रदान की जा चुकी हैं। नयी दिल्ली - केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन में सात हजार से अधिक शिक्षकों एवं अन्य कार्मिकों केरिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा विभिन्न पदों पर चयनहेतु आयोजित की गई परीक्षाओं के माध्यम से 7499 पदों के परिणाम 8 जुलाई को घोषित किये जाएंगे। केन्द्रीय मानवसंसाधन विकास मंत्री डॉ.   रमेश पोखरियाल निशंक ने नई दिल्ली में आयोजित केन्द्रीय विद्यालय संगठन के 8वें उपायुक्तसम्मेलन में यह घोषणा की। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय रिक्त पड़े पदों को शीघ्र भरने के लिए गंभीर है। रिक्त पदों को भरकर हम केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री ने देश क

तीन हवाई अड्डों को मैसर्स अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को 50 साल की लीज पर देने का फैसला

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नयी दिल्ली -  केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के तीन हवाई अड्डों अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरू को लीज पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत मैसर्स अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बोली दस्तावेजों के नियमों और शर्तों के अनुसार इन हवाई अड्डों के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए 50 साल की लीज अवधि के लिए सबसे अधिक बोली लगाई। ये परियोजनाएं सार्वजनिक क्षेत्र में आवश्यक निवेशों को काम में लाने के अलावा वितरण, विशेषज्ञता, उद्यम और व्यावसायिकता में दक्षता लायेंगी। इससे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे एएआई द्वारा टियर-2 और टियर-3 शहरों में निवेश किया जा सकता है और रोजगार सृजन व संबंधित बुनियादी ढांचे की दृष्टि से इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास होगा।

पद्म पुरस्कार-2020 के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 15 सितंबर

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इस संबंध में विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (www.mha.gov.in) पर शीर्षक 'पुरस्कार एवं पदक' के तहत उपलब्ध हैं। इन पुरस्कारों से संबंधित क़ानून और नियम वेबसाइट https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx के लिंक पर उपलब्ध हैं। नयी दिल्ली - पद्म पुरस्कार-2020 के लिए नामांकन/सिफारिशों की अंतिम तिथि 15 सितंबर है जो 1 मई, 2019 से शुरू की गई थी। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन/ सिफारिशें केवल पद्म पोर्टल https://padm aawards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्त की जाएंगी। पद्म पुरस्कार सभी क्षेत्रों/विषयों में प्रतिष्ठित और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए दिया जाता है। इन पुरस्कारों के लिए लिये व्यवसाय, स्थिति या लिंग आदि बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्ति पात्र हैं। सरकारी कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, डॉक्टर और वैज्ञानिक पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं। केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, भारत रत्न और पद्म विभूषण पुरस्कार प्राप्त करने वालों, विशिष्ट संस्थानों से प्रतिभाशाली व्यक्तियों, जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियों को पहचाना जाना वास्तव में आवश्यक है, की पहचान

कृषि भारत की रीढ़ है तो सहकारिता आंदोलन देश की आत्‍मा

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वर्ष 2022 तक कृषि निर्यात को मौजूदा 30 बिलियन डॉलर से 60 बिलियन अमरीकी डॉलर यानी दोगुना करने में सहकारी क्षेत्र की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। यह पहल कृषि निर्यात नीति 2018 का एक हिस्‍सा है, जिसका उद्देश्‍य कृषि निर्यात को दोगुना करना और भारतीय किसानों और कृषि उत्‍पादों को वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला के साथ एकीकृत करना है। नयी दिल्ली - केन्‍द्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कहा कि यह सरदार पटेल का दृष्टिकोण था कि देश में सहकारी समितियों के माध्‍यम से किसानों को मजबूत बनाया जाना चाहिए। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि भारत की रीढ़ है तो सहकारिता आंदोलन देश की आत्‍मा है।  तोमर ने यह बात केन्‍द्रीय वाणिज्‍य, उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ एक पूर्वालोकन कार्यक्रम के दौरान कही। उन्‍होंने भारत अंतर्राष्‍ट्रीय सहकारी व्‍यापार मेले (आईआईसीटीएफ) की घोषणा की। यह मेला अक्‍टूबर, 2019 में नई दिल्‍ली के प्रगति मैदान में आयोजित किया जाएगा। तोमर ने कहा कि यह मेला सहकारी समितियों को अपने उत्‍पादों का भारी संख्‍या में दर्शकों के सामने प्रदर्शन करने का एक अच्‍छा अवसर उपलब्‍ध क

सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र 2.5 लाख रोजगार के अवसर प्रदान करेगा

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देश में डिजिटल प्रौद्योगिकी में तेजी से हुई प्रगति से भारत इस क्षेत्र को  2018 के 2.5 बिलियन डॉलर के स्‍तर से 7.2 बिलियन डॉलर तक ले जा सकता है। इसका कारण क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग, टीओटी, बिग डाटा, मशीन लर्निंग, ब्‍लॉक चेन सहित कौशल विकास और प्रशिक्षण के विभिन्‍न 52 क्षेत्रों में स्‍वस्‍थ समापन है। आने वाले वर्षों में भारत आईटी क्षेत्र में सबसे अधिक विकसित देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा नयी दिल्ली - केन्‍द्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री महेन्‍द्र नाथ पांडेय ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में व्‍यापक कौशल विकास कार्यक्रम के माध्‍यम से आईटी क्षेत्र लगभग ढाई लाख नये रोजगार जुटाएगा। उन्‍होंने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी युवा ताकत को वास्‍तव में कुशल बल में बदलना प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में एनडीए सरकार का विजन है। 'विश्‍व कौशल भारत' -इंटरनेशनल क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग चैलेंज, 2019 को संबोधित करते हुए पांडेय ने कहा कि देश में डिजिटल प्रौद्योगिकी में तेजी से हुई प्रगति से भारत इस क्षेत्र को  2018 के 2.5 बिलियन डॉलर के स्‍तर से 7.2 बिलियन डॉलर तक ले जा सकता है। इ

मनरेगा ग्रामीण भारत में जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है

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पानी की समस्या से जूझ रहे 1593 ब्लॉकों को कवर किया जाएगा और जिसके तहत जल संरक्षण एवं वर्षा जल के संचय पर फोकस किया जाएगा। देश में स्वच्छता अभियान की भांति ही जल संरक्षण को भी एक 'जन आंदोलन' का रूप देने का प्रयास किया जाएगा। मनरेगा दरअसल 'जल शक्ति अभियान (जेएसए)' में एक प्रमुख साझेदार है और इसे सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है नयी दिल्ली - पिछले पांच वर्षों के दौरान मनरेगा एक ऐसी प्रमुख ताकत बनकर उभरी है जो समस्त ग्रामीण भारत में जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। इस योजना के जरिए पहले मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में गहराए संकट को कम करने पर ध्यान दिया जाता रहा है, लेकिन अब यह राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से जुड़े कार्यों के जरिए ग्रामीण आमदनी बढ़ाने के एक ध्यान केन्द्रित अभियान में तब्दील हो गई है। वर्ष 2014 में मनरेगा अनुसूची-I में संशोधन किया गया जिसके तहत यह अनिवार्य किया गया है कि कम से कम 60 प्रतिशत व्यय कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों पर करना होगा। इसके परिणामस्वरूप अधिनियम के तहत स्वीकृति योग्य कार्यों की एक सूची तैयार की गई है जिसमें ऐसी लगभग 75 प्रतिशत