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देहरादून : पत्रकार गाँधी पार्क पर करेंगें सांकेतिक धरना

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देहरादून । उत्तराखण्ड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में  'उज्जवल' में हुई एक आपात बैठक में लगभग डेढ़ दर्जन पत्रकार/ मीडिया संगठनों  की मध्यस्थता में एक राय होकर निर्णय लिया गया कि कल 26 नवम्बर मंगलवार को प्रातः 11 बजे से 1बजे तक दो घण्टे का सांकेतिक धरना राजपुर रोड स्थित गाँधी पार्क पर दिया जाएगा। मीटिंग में सम्मिलित सभी लगभग 50 से अधिक पत्रकारों ने मीडिया व पत्रकारों के साथ निरन्तर हो रहे उत्पीड़न व हाल ही में (चार दिन पूर्व) एक पत्रकार साथी शिव प्रशाद सेमवाल के विरुद्ध पुलिस के अनुचित, अव्यवहारिक, अमानवीय, एकपक्षीय क्रूरतम कार्यवाही के अन्तर्गत उत्पीड़न किये जाने व दुर्भावना से प्रेरित होकर तथाकथित निराधार व तथ्यहीन झूठी FIR पर की गई कार्यवाही  और गिरफ्तारी व गिरफ्तारी के तरीके जो एक शातिर अपराधी की भांति अपनाए जातें हैं, व्यवहार के साथ-साथ कुछ का कुछ दर्शा कर जो कार्यवाही की गई वह आपत्तिजनक व अपमानजनक है। यह भी संज्ञान में आया कि सम्वन्धित पुलिस अधिकारी किसी दुर्भावना से ग्रसित होकर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिशोधात्मक रुख अपनाए हुए किसी के इशारों पर दमनात्मक व उत्पीड़क क

समलैंगिकता अब भी एक संवेदनशील विषय है - मेरियस ओल्टेन्यू

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गोवा - ऐतिहासिक फिल्म बालुआं शोलाक इसी नाम के एक पहलवान से जुड़ी सत्य घटनाओं पर आधारित है। इसके निर्देशक नरजेल्डी शेडीगुलोव इससे पहले कई डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं। बालुआं शोलाक बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म है। फिल्म के बारे में बात करते हुए शेडीगुलोव ने कहा, 'बालुआं एक राष्ट्रीय नायक हैं। वह संगीतकार भी थे। वह एक ऐसे शख्स भी थे, जिन्होंने कजाखस्तान के लोगों की पहचान के लिए लड़ाई लड़ी।' 'कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें समाज सरासर गलत मानता है, जैसे समलैंगिकता और एक ऐसी महिला, जो बच्चे नहीं चाहती। मैं इन चीजों के बारे में और छानबीन करना चाहता हूं।' भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्‍सव (आईएफएफआई) गोवा में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया से बात करते हुए मेरियस ओल्टेन्यू ने यह बातें कहीं। अपनी फिल्म 'मॉन्स्टर' के बारे में बात करते हुए ओल्टेन्यू ने कहा, 'मैं यह पता लगाना चाहता हूं कि एक संबंध में कुछ समय के बाद क्या होता है, खासकर तब जब दो लोग एक दूसरे के अनुरूप नहीं होते।' यह फिल्म रिश्तों, एक-दूसरे को बर्दाश्त करने और स्वीकार करने की कहानी कहती है। फिल्म के मुख

पालम क्षेत्र की महिलाओं की बैठक,महिला एकता मंच का गठन

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लक्ष्मी नेगी अध्यक्ष एवं आरती चौहान सचिव   नयी दिल्ली - पालम क्षेत्र की महिलाओं की एक बैठक अनिला रावत के निवास पर आहुत की गई। जिसमें बड़ी मात्रा में महिलाओं ने भाग लिया। इसके पूर्व सूत्रधार सुरेन्द्र सिंह नेगी ने इस का शुभारंभ किया। श्रीमती लक्ष्मी नेगी अध्यक्ष एवं श्रीमती आरती चौहान महा सचिव को मंच का नेतृत्व सौंपा गया। साथियों प्रदेश में निवास करना अकेले जीवन निर्वाह करना इतना सरल नहीं है।हमें अपने पास पड़ोस को लेकर चलना ही पड़ेगा। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज सामान्य विचारों का एक पुंज है। जो एक प्रकार के रीति-रिवाज, सामाजिक संस्कारों, भाषा और संस्कृति का निर्वाह करता है। इस संदर्भ में आज मातृशक्ति से यही निवेदन किया जा सकता है कि समय-समय पर उनका योगदान भिन्न भिन्न रूप में माना जाता है। भारतीय नारियों में लक्ष्मी बाई ने नारी शक्ति के आधार पर स्वतंत्रता-संग्राम लड़ा था। अकेली  गौरा देवी के आह्वान पर दरांतियों के दंम पर चिपको आन्दोलन लड़ा गया। प्रर्यावरण संमवर्धन की उन्हें नायक माना गया। उत्तराखंड की नारियों में अपूर्व शक्ति भरी है खेल कूद से लेकर पर्वतारोहण,स्वास्थ्य , शिक्षा सै

NCC ने अपना 71वां स्थापना दिवस मनाया

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नयी दिल्ली - इस साल एनसीसी के कैडेटों ने महाराष्ट्र, बिहार और केरल की बाढ़ के दौरान चलाए गए राहत अभियानों में अपना बड़ा योगदान दिया। कैडेटों ने खुले दिल से स्वच्छता अभियान, स्वच्छता साइकिल रैली, मेगा प्रदूषण पखवाड़े में हिस्सा लिया और डिजिटल साक्षरता, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, रक्तदान शिविर, पौधरोपण और टीकाकरण आदि सरकार की विभिन्न पहलों को लेकर जागरुकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई। एनसीसी की लड़कियों ने सिक्किम में माउंट टेनचेनखांग (6,010 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की वहीं लड़कों ने हिमाचल प्रदेश के माउंट हनुमार टिब्बा (5,982 मीटर) पर चढ़ने में सफलता पाई। विश्व का सबसे बड़ा वर्दीधारी युवा संगठन राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) आज अपना 71वां स्थापना दिवस मना रहा है। यह समारोह कल रक्षा सचिव डा. अजय कुमार और एनसीसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चोपड़ा द्वारा नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर राष्ट्र की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुआ। उन्होंने पूरी एनसीसी बिरादरी की ओर से शहीदों को पुष्प अर्पित किए। एनसीसी का स्थापना दिवस देश

डॉक्युमेंट्री फिल्‍म निर्माताओं को दर्शकों की कमी की समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है : ऊषा देशपांडे

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आईडीपीए आईएफएफआई के दौरान 25, 26 एवं 27 नवंबर को दोपहर 1.30 बजे ओपेन फोरम का भी आयोजन करेगा। ओपेन फोरम के शीर्षक होंगे, ' क्‍या देश भर में तेजी से खुल रहे विभिन्‍न फिल्‍म स्‍कूलों द्वारा दी जा रही शिक्षा की गुणवत्‍ता की कोई निगरानी की जा रही है?, रियलिटी आधारित फिल्‍में कितनी वास्‍तविक हैं?, क्‍या स्‍वतंत्र फिल्‍मकार डिजिटल वितरण मंचों से लाभान्वित हो रहे हैं? पणजी -वृत्‍त फिल्‍म निर्माता एसोसिएशन (आईडीपीए) की अध्‍यक्ष श्रीमती ऊषा देशपांडे ने कहा है कि वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माताओं को वित्‍त पोषण और दर्शकों की कमी जैसी कई समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है। वह पणजी में 50वें भारतीय अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह में आईडीपीए के महासचिव श्री संस्‍कार देसाई के साथ एक मीडिया सम्‍मेलन को संबोधित कर रही थीं। उन्‍होंने कहा, ' किसी वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माता की मुख्‍य आवश्‍यकता दर्शकों तक पहुंचना है। हम वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माताओं के लिए मंच मुहैया कराने के लिए देश भर में स्क्रीनिंग और फिल्‍म समारोहों का आयोजन कर रहे हैं। फिल्‍म समारोहों के सहयोग से, प्रत्‍येक महीने के दूसरे और चौ

 दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में बनेगी जाट आरक्षण आन्दोलन की रणनीति-यशपाल मलिक

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जसिया-रोहतक , अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति हरियाणा द्वारा आयोजित हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीनबन्धु चौ. छोटूराम की 139वीं जयन्ती पर व छोटूराम धाम की स्थापना की तीसरी वर्षगांठ पर चौ. छोटूराम जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में कई राज्यों से उनके अनुयायी, वैज्ञानिक, खिलाड़ी, अधिकारी, व्यापारी व विभिन्न दलों के राजनीतिक नेताओं ने भाग लिया और सभी ने कहा छोटूराम धाम के निर्माण की आवष्यकता है। इसके निर्माण से जाट कौम के  सामाजिक, शैक्षणिक व अर्थिक उत्थान  की दिषा में यह धाम मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर समिति के  राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री यषपाल मलिक  ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में जाट समाज की  सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक उत्थान  के लिये एक सामाजिक संगठन की आवष्कता है जिसके लिये जाट सेवा संघ का गठन किया गया। जाट सेवा संघ की पहली परियोजना जसिया में  25 एकड़ जमीन पर  “छोटूराम धाम”  का निर्माण किया जा रहा है। छोटूराम धाम की विस्तृत व्याख्या करते हुऐ उन्होंने बताया कि  छोटूराम धाम  जाट समाज की सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक तरक्की के लिये नये आयाम स्थापित करेगा। इस अव

पार्षद भूपेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल की खोली पोल Delhi BJP Councillor

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BJP Leader सत्य प्रकाश राणा का राज नगर वालों ने किया अभिनंदन

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औरत के होने या न होने की दुविधा Khuda ke Drbaar me Pahuncha Insaan

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फेडरेशन ऑफ फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया ने ‘फोरम मंच-2019’ का आयोजन किया

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'खुला मंच' के संयोजक प्रकाश रेड्डी ने फेडरेशन के इतिहास के बारे में जानकारी दी। इस सोसाइटी को भारत के महान फिल्‍मकार सत्यजीत रे ने 1959 में की थी और इसमें 350 से अधिक फिल्म सोसाइटी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 'फोरम मंच' को 1988 में 'प्रयोग' के रूप में शुरू किया गया था और तब से यह एक नियमित कार्यक्रम बन गया है। उन्होंने कहा कि मंच, फिल्म निर्माताओं के लिए साथी फिल्म निर्माताओं, शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करना और लेखकों को अपनी किताबें जारी करने के लिए प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है। पिछले 31 वर्षों से 'फोरम मंच' भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्‍सव में एक नियमित कार्यक्रम रहा है। फेडरेशन ऑफ फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया ने  'फोरम मंच-2019' का आयोजन किया है। इसका विषय है आईएफएफआई @ 50: फ्लैश बैक एंड मूविंग फॉरवर्ड।  फिल्म महोत्सव निदेशक और महोत्सव निदेशालय (डीएफएफ) के एडीजी चैतन्य प्रसाद, फेडरेशन ऑफ फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष किरण शांताराम, फिल्म निर्माता और आईएफएफआई 2019 की तकनीकी समिति के अध्यक्ष ए.के बीर, किनोएटर पत्रिका, रूस के कार्यका

‘मैं 'दृष्टिहीन' शब्द का उपयोग नहीं करना चाहती-अभिनेत्री तापसी पन्‍नू

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गोवा - अभिनेत्री तापसी पन्‍नू ने कहा, 'मैं 'दृष्टिहीन' शब्द का उपयोग नहीं करना चाहती। वास्तव में आपकी अन्य इंद्रियां हमारे मुकाबले कहीं अधिक मजबूत हैं। मुझे खुशी है कि ऐसी फिल्में आप तक पहुंच सकती हैं।' उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि भविष्‍य में उानकी फिल्मों को भी ऑडियो फिल्मों में भी बदली जाएंगी। आईएफएफआई के 50वें महोत्‍सव को एक समावेशी आयोजन बनाने के लिए 'एक्सेसिबल इंडिया- एक्सेसिबल फिल्म्स' श्रेणी के तहत विशेष आवश्यकता वाली तीन फिल्मों का प्रदर्शन किया रहा है। यह आईएफएफआई, सक्षम भारत और यूनेस्को का एक संयुक्त भागीदारी है। इसका उद्देश्य ऑडियो के जरिये दिव्‍यांग लोगों के लिए समावेशी जगहों के सृजन को बढ़ावा देना है। राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' के साथ इस श्रेणी का उद्घाटन हुआ। इसे इस महोत्‍सव के निदेशक चैतन्य प्रसाद, ईएसजी के वाइस-चेयरमैन सुभाष फलदेसाई, ईएसजी के सीईओ अमित सतीजा और अभिनेत्री तापसी पन्नू ने लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में लोकविश्‍वास प्रतिष्‍ठान, दृष्टिहीन स्कूल, पोंडा और नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के छात्रों ने भाग ल

मां की मृत्यु पर तुम चले जाओ मैं पिता की मृत्यु पर चला जाऊंगा

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हमारे बुजुर्ग एक कहानी सुनाया करते थे। श्रवण कुमा र और उनके अंधे माता की। तब उस कहानी का अर्थ हमें नहीं आता था।मग्गा धरती,उसका नाम आता था। जिसका अर्थ "बेपीर धरती"था। कहते थे उसमें ही महाभारत का युद्ध लड़ा गया। जो चंद धरती के लिए लड़ी गई। उसमें भाई भाई आपस में लड़ें ,नारी धर्म की रक्षा तो दूर उसे भरी सभा में वस्त्र हीन करना बहादुरी  दिखाना था।          कहानी आगे कहती है कि श्रवण कांवर में रख कर माता पिता को देशाटन करवाया करते थे।जब वे इस धरती से गुजर रहे थे तब उनका मन भ्रांति में फंस गया कि इन्हें कंधे में लादकर ले जा कर मुझे क्या लाभ है। अच्छा है इन्हें किसी कुंए बावड़ी में डाल दूं, इसी उहापोह में वह अगली धरती में पग बढ़ाने लगा, उसकी तंद्रा टूटी माता पिता को झटके के साथ कुछ आभास हुआ तो पूछ बैठे बेटा क्या हुआ तब श्रवण ने मन की बात कह डाली कि मेरे मन में पाप  बैठ गया था ,वे बोले यह तुम्हारा दोष नहीं इस धरती का कसूर है।        यही कहानियां हमने पढ़ी और पढ़ाई हैं किंतु आज हम देखते हैं कि वे श्रवण पूरी तरह बदल गये हैं। मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जिनकी कहानी आहत करने वाली है। सिद्ध

प्रतिष्ठित और चर्चित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ उनकी कथाकृति स्वप्नपाश के लिए 28वें बिहारी पुरस्कार से सम्मानित

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जयपुर - के. के.बिरला फाउंडेशन की ओर से हिंदी की प्रतिष्ठितऔर चर्चित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ को उनकी कथाकृति स्वप्नपाश के लिए 28वें बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार हिन्दी की प्रसिद्ध साहित्यकार ममता कालिया तथा चयन समिति के अध्यक्ष ओम थानवी द्वारा एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया । जयपुर की प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के हिन्दी उपन्यास 'स्वप्नपाश' का प्रकाशन वर्ष 2016 है। 'स्वप्नपाश' मनीषा कुलश्रेष्ठ के पिछले उपन्यासों से एकदम अलग किस्म का उपन्यास है जिसकी नायिका शिजोफ्रेनिया की शिकार है। इस पुरस्कार के तहत एक प्रशस्ति पत्र, एक प्रतीक चिह्न और ढाई लाख रुपये की राशि भेंट की जाती है। इस पुरस्कार की शुरूआत 1991 में की गई थी।