संदेश

आलोचना करने के बजाय चुनी हुई सरकार से दबाव डाल कर जनहित में काम करवाया जाय

चित्र
यह तो समय के खेल हैं। जीतने वाला अपनी सारी बुराईयों को छिपाने  तो सक्षम हो जाता है और हारने वाला गड़े मुर्दे भी उखाड़ने लगता है। वर्तमान चुनावों में ऐसा ही देखने को मिला है। भारत में लिखने और बोलने की स्वतंत्रता ने ऐसा  बीभत्स दृश्य खड़ा कर दिया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। गांधी नेहरू, हिंदुस्तान और पाकिस्तान की चर्चा   संसद भवन से लेकर गलियारों तक बड़े अजीबोगरीब ढंग से व्यक्त न की गई हो। अखबार,व्यंगकार, कविता, पुराने से पुराने मुगलिया चित्रों की प्रर्दशनी हर टीबी चेनलों ह्वटस अप पर इतनी शान और शौकत से परोसी गई जिसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। देश के प्रधानमंत्री जी को चोर ,हत्यारा और कितने ही द्रुबचनों से पुकारा जाना शोभा नहीं देता।मान और माननीय सभी हैं चाहे वह सांसद हैं अथवा किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री हर भारतीय का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। किसी को बेइज्जत करना अपना ही सम्मान खोना है। अभी भी लोगों के मन में दिल्ली की राजनीति को लेकर घृणा और अवसाद भरा हुआ है।अपना अपने को ही काफ़िर और मुसलमान कह कर उलाहना दे रहा है।जितने लोगों की वोट से केजरीवाल जीता है वे सब निकमें और जाहिल हिंदू  हैं,

ढ़ाई आखर प्रेम का

चित्र
शर्मा ,स्वतंत्र लेखन /समीक्षक प्रेम के कई रूप हैं। प्रेम शब्द ढाई आखर का होते हुए भी अपने अंदर विशालता समेटे हुए है । यह एक ऐसा भाव है,जो स्वतः ही प्रस्फुटित होता है। इसे करना जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किल है इस पर कुछ कहना व लिखना।प्रेम जीवन को सुखद और जीने योग्य बनाता है। हर काल,हर भाषा और हर समाज का साहित्य  इस अद्भुत भाव से भरा पड़ा है । प्रेम के विभिन्न रूप हैं। प्रेम प्रकृति की देन है।प्रेम को किसी सीमा या सिद्धांत में नहीं बांधा जा सकता । प्रेम शाश्वत भाव है जिसको पाने के लिए विचारों में प्रेम- भाव मुख्य हैं। इसमें पवित्रता और सत्यता जरूरी है । जहां प्रेम होता है वहां का परिवेश सकारात्मक ऊर्जा लिए हुए होता है। अतः हम यहां जिस प्रेम की बात कर रहे है वह है - फरवरी मास में चहूं ओर प्रेम की सुवास से  सुगंधित करने वाला ,सराबोर करने वाला प्रेम अर्थात् 'ऋतुराज बसंत' यानि प्रेम का महीना । देखा जाए तो हमारा भारत देश ऋतुओं व त्योहारों का देश कहलाता है ।इसमें कोई अतिशयोक्ति भी नही है ।   हर मास कोई न कोई पर्व आता रहता है।मन में जब भावनाओं की कोपलें फूटने लगे तो समझो वसंत आ गया।इ

नार्वे में हिंदी का परचम फहराने वाले डॉ०सुरेश चंद्र शुक्ल

चित्र

World Unani Medicine Day 2020 @ Delhi यूनानी दवाओं के प्रोत्साहन के लिए

चित्र

भाजपा नेताओं ने फालतु बयानबाजी न की होती तो केजरीवाल को दिल्ली में बहुमत के बराबर सीट नहीं मिलती

चित्र
आरिफ़ जमाल आज इस बात को लेकर एक बड़ा तबका खुश है कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में तीसरी बार मुख्यमंत्री और दिल्ली में सरकार बन रही है । ध्यान रहे जिस पार्टी की कोई विचार धारा नहीं होती, कोई जड़ नहीं होती उसका कोई लंबा सफर भी नहीं होता । केजरीवाल और उनके अनेक विधायक पिछली सरकार में कितने विवादों में रहे हैं वह किसी से छुपा नहीं है । आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के विकास ,निर्माण,रोज़गार,महंगाई पर कितना काम या प्रयास किया है यह भी किसी से छुपा नहीं है।  अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में साढ़े चार साल सिर्फ इस शिकायत और आलोचना में गुजार दिए कि दिल्ली के उप-राज्यपाल और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें काम नहीं करने दे रहे या उनके काम में रोड़ा अटकाया जाता रहा। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से छह माह पहले ही कैसे पूरी दिल्ली को वह सारी सुविधाएँ मिलने लगी या पूरी हो गई जिसका दावा केजरीवाल और उनकी पार्टी खूब ढोल नगाड़े बजा कर करने लगी।  आम आदमी पार्टी का जन्म ही पार्टी के विरोध से हुआ है ।। इसकी विचार धारा यह है जब यह डूबने पर आएगी तो किसी भ

आलस का परिणाम

चित्र
संत कुमार गोस्वामी गोपाल बहुत आलसी व्यक्ति था। घरवाले भी उसकी इस आदत से परेशान थे। वह हमेशा से ही चाहता था कि उसे एक ऐसा जीवन मिले, जिसमें वह दिनभर सोए और जो चीज चाहे उसे बिस्तर में ही मिल जाए। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद वह स्वर्ग में पहुंच गया, जो उसकी कल्पना से भी सुंदर था। गोपाल सोचने लगा काश! मैं इस सुंदर स्थान पर पहले आ गया होता। बेकार में धरती पर रहकर काम करना पड़ता था। खैर, अब मैं आराम की ज़िंदगी जिऊंगा वह यह सब सोच ही रहा था कि एक देवदूत उसके पास आया और हीरे-जवाहरात जड़े बिस्तर की ओर इशारा करते हुए बोला- आप इस पर आराम करें। आपको जो कुछ भी चाहिए होगा, बिस्तर पर ही मिल जाएगा। यह सुनकर गोपाल बहुत खुश हुआ। अब वह दिन-रात खूब सोता। उसे जो चाहिए होता, बिस्तर पर मंगवा लेता। कुछ दिन इसी तरह चलता रहा। लेकिन अब वह उकताने लगा था। उसे न दिन में चैन था न रात में नींद। जैसे ही वह बिस्तर से उठने लगता दास-दासी उसे रोक देते। इस तरह कई महीने बीत गए। गोपाल को आराम की ज़िंदगी बोझ लगने लगी। स्वर्ग उसे बेचैन करने लगा था। वह कुछ काम करके अपना दिन बिताना चाहता था। ए

Delhi केजरीवाल की जबरदस्त जीत पर जनता बोली नफरत की हार मोहब्बत की जीत

चित्र