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फिल्म "पंगेबाज" दर्शकों का भरपूर मनोरंजन के साथ

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पटना - भोजपुरी फिल्म पंगेबाज 28 फरवरी को बिहार,झारखंड के सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है। राउडी हीरो प्रेम सिंह से इस फिल्म को लेकर खास बातचीत हुई , उन्होंने कहा दर्शकों का प्रेम दुलार समय समय से मिला है।  यह भरसक प्रयास रहता है फिल्म लगन और मेहनत से करता हूं  मनोरंजन से भरपूर फिल्म में एक्ट्रेस ऋतु सिंह ने भी दमदार अभिनय किया है। निर्माता हिमांशु शेखर चौधरी व सुनील सिंह है। इस फिल्म के निर्देशक राम जे पटेल है। ये फिल्म पी.एच,एस फिल्म्स के बैनर तले और निर्देशक “राम पटेल” के निर्देशन में बनी है ! जिसके मुख्य भुमिका में रावडी हीरो “प्रेम सिंह” और अभिनेत्री “तनुश्री” नजर आएंगी साथ ही अहम किरदारो में अभिनेत्री “अम्रपाली दूबे”,आइटम क्वीन “ग्लोरी महंतो”,उमेश सिंह,धर्मेन्द्र सिंह,जे.पी सिंह,शाहेब लाल धारी,महेश आचार्य आदि कलाकार इस फिल्म में काम किए है l इस फिल्म की कहानी एक “लव स्टोरी  हैl जो दर्शकों को खूब पसंद आएगी संगीतकार “छोटे बाबा” फिल्म के लीड एक्टर प्रेम सिंह का मानना है की ये फिल्म भोजपुरी जगत के लिए नवीन है जिससे दर्शक सिनेमाघर मे बोर नहीं होंगे फिल्म के सभी गाने दर्शकों को मनोरंजन

आईडीबीआई फेडरल लाइफ़ इंश्योरेंस ने ‘गारंटीड लाइफ़टाइम इनकम प्लान’ को लॉन्च किया

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नयी दिल्ली : जीवन बीमा के क्षेत्र की निजी कंपनियों में अग्रणी, आईडीबीआई फेडरल लाइफ़ इंश्योरेंस ने एकल प्रीमियम वाले नॉन-पार्टिसिपेटिंग एवं नॉन-लिंक्ड प्लान,यानि आईडीबीआई फेडरल लाइफ़ इंश्योरेंस गारंटीड लाइफ़टाइम इनकम प्लान के शुभारंभ की घोषणा की, जो नियमित आमदनी प्रदान करने वाली सामान्य योजना है। इस योजना के तहत, रिटायरमेंट के बाद के चरण में खर्चों को पूरा करने में मदद करने के लिए पॉलिसीधारक को जीवनभर गारंटीकृत आय उपलब्ध कराई जाएगी। गारंटी के साथ प्राप्त होने वाली यह आय दरअसल वेतन प्राप्त करने के सामान होगी, जिसे पहले से निर्धारित अवधि–यानि कि मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।   आईडीबीआई फेडरल लाइफ़ इंश्योरेंस गारंटीड लाइफ़टाइम इनकम प्लान रिटायरमेंट के बाद पॉलिसीधारकों की मदद करने के लिए तीन विकल्प देता है– इमीडिएट लाइफ़ एन्यूइटी, खरीद मूल्य की वापसी के साथ इमीडिएट लाइफ़ एन्यूइटी, तथा खरीद मूल्य की वापसी के साथ डिफर्ड लाइफ़ एन्यूइटी, जिससे रिटायरमेंट के बाद की अवधि में उनकी आर्थिक स्वतंत्रता बरकरार रहे। पहले के दो इमीडिएट एन्यूइटी विकल्पों में अ

अनाथालय से लेकर पौधारोपण तक,आये फाइनेंस का समाजिक कार्यों में योगदान

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अपनी स्थापना से लेकर अब तक 6 वर्षों में आये फाइनेंस छोटे उद्यमियों के लिए फाइनेंस की सुविधा को सरल बनाते हुए सभी को समान अवसर प्रदान करने का प्रयास किया है। कंपनी ने इंडस्ट्री-क्लस्टर तरीका अपनाया और कई एल/एमएल मॉडल के माध्यम से 173 शहरों में 2 लाख से ज्यादा उद्यमियों के लिए बदलाव लाया है। नई दिल्ली : छोटी कंपनियों को फाइनेंस उपलब्ध करवाने वाले आये फाइनेंस के 3000 से ज्यादा कर्मचारियों ने संस्थान के मूल सिद्धांत ‘सामाजिक सरोकार’ का अनुसरण करते हुए 6वां स्थापना दिवस मनाया। यह कैपिटलजी द्वारा समर्थित फिनटेक कंपनी है। आये फाइनेंस की सभी 173 ब्रांच, 3 रीजनल ऑफिस और हेड ऑफिस ने स्थापना दिवस के अवसर पर समाज और पर्यावरण में सुधार के लिए सप्ताह के प्रत्येक दिन  किसी न किसी सामाजिक गतिविधि में भाग लिया। इस मौके पर ब्रांच के कर्मचारियों ने वृद्धा आश्रम जाकर न सिर्फ समय बिताया बल्कि आसपास की साफ-सफाई भी की ताकि वहां का वातावरण स्वच्छ रहे। दिव्यांग और गरीब तबकों के बच्चों के साथ समय बिताया। इसके अलावा बेघरों को कपड़े बांटने, पौधारोपण, स्कूल में फर्नीचर, स्कूल बैग और स्टेशनरी दान करने, अनाथालयों मे

फिनटेक कीअगले 3 वर्ष में 1 लाख एटीपी कियोस्क,पीओएस डिवाइस और मोबाइल वैंस शुरू करने की योजना

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नयी दिल्ली   : जीवन को सहज बनाने के लिए जिपि ने अपनी नई सर्विस एक्सपे.लाइफ भारत में लॉन्च कर दी है, जिसके माध्यम से यूजर विभिन्न प्रकार के बिल सिंगल विंडो की मदद से भर सकेंगे। ब्लॉकचेन आधारित ट्रांजेक्शन फ्रेमवर्क से लैस कंपनी विभिन्न प्रकार के डिजिटल बिल पेमेंट विकल्प जैसे टच स्क्रीन कियोस्क, वेब, मोबाइल एप, पीओएस डिवाइस और मोबाइल एटीपी वैन मुहैया कराएगी। एक्सपे.लाईफ बिज़नेस टू बिज़नेस और बिज़नेस टू कंज्यूमर दोनों सेगमेंट में अपनी सर्विसेस देगी। रोहित कुमार (सीईओ) और बोहितेश कुमार मिश्रा (सीओओ व सीटीओ) द्वारा स्थापित किया गया एक्सपे.लाइफ यूजर को टच स्क्रीन एटीपी कियोस्क, पीओएस मशीन और मोबाइल वैन के माध्यम से कैश और क्रेडिट या डेबिट कार्ड दोनों के जरिए बिल पेमेंट करने की सुविधा देगा। यह एएमबीआईसी मॉडल पर आधारित है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मोबिलिटी, ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है और ट्रांजेक्शन में उच्च स्तर की पारदर्शिता का प्रदर्शन करता है। अपनी तरह की यह इकलौती फिनटेक कंपनी है जो सभी डिजिटल माध्यमों के लिए वन क्लिक प्रोसेसिंग की सुविधा भी उपलब्ध कर

ब्रिजलैब्ज़ की वर्ष 20-21 में 2500 इंजीनियर को स्किल्ड बनाने और रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य

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मुंबई : देश की सबसे बड़ी आईपी-ड्रिवेन इंक्यूबेशन लैब ब्रिजलैब्ज़ सॉल्यूशन एलएलपी ने वित्त वर्ष 20-21 में नए इंजीनियर को स्किल बनाने और रोजगार देने का लक्ष्य तय किया है। इसके साथ ही कंपनी ने पुणे और हैदराबाद में दो नई लैब शुरू करने का फैसला किया है। इसकी मुख्य ऑफरिंग मेकर प्रोग्राम कंपनी के मूल प्रयासों में से एक है, जिसमें इंजीनियर को जरूरी स्किल की ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री के लिए तैयार किया जाता है। इसके साथ ही कंपनी कोडिंग बूटकैंप और अन्य गतिविधियां भी संचालित करती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर को रोजगार के लायक बनाया जा सके। मेकर प्रोग्राम की बदौलत वित्त वर्ष 19-20 में कंपनी की कमाई में 300 फीसदी का बड़ा इजाफा हुआ है। मौजूदा वित्त वर्ष में ही कंपनी ने 1100 से ज्यादा हाई स्किल्ड इंजीनियर तैयार किए हैं और इन्हें थॉटवर्क्स, बुकमायशो और अर्बन लैडर जैसी बड़ी कंपनियों में प्लेसमेंट दिलवाया है। कंपनी सक्रिय रूप से महिला इंजीनियर को भी प्रोत्साहित कर रही है और विभिन्न प्रोग्राम के माध्यम से कॅरिअर को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रही है। मौजूदा उम्मीदवारों में 45 फीसदी महिलाएं हैं। विस्त

कविता के माध्यम से बड़ा संदेश

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Bhojpuri Film के लिए फ़रीदाबाद में हुआ ऑडिशंस

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अभिमान अक्ल को खा जाता है

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एक घर के मुखिया को यह अभिमान हो गया कि उसके बिना उसके परिवार का काम नहीं चल सकता। उसकी छोटी सी दुकान थी। उससे जो आय होती थी, उसी से उसके परिवार का गुजारा चलता था। चूंकि कमाने वाला वह अकेला ही था इसलिए उसे लगता था कि उसके बगैर कुछ नहीं हो सकता।वह लोगों के सामने डींग हांका करता था। एक दिन वह एक संत के सत्संग में पहुंचा। संत कह रहे थे, “दुनिया में किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता।यह अभिमान व्यर्थ है कि मेरे बिना परिवार या समाज ठहर जाएगा।सभी को अपने भाग्य के अनुसार प्राप्त होता है।” सत्संग समाप्त होने के बाद मुखिया ने संत से कहा, “मैं दिन भर कमाकर जो पैसे लाता हूं उसी से मेरे घर का खर्च चलता है। मेरे बिना तो मेरे परिवार के लोग भूखे मर जाएंगे।”संत बोले, “यह तुम्हारा भ्रम है।हर कोई अपने भाग्य का खाता है।” इस पर मुखिया ने कहा, “आप इसे प्रमाणित करके दिखाइए।” संत ने कहा, “ठीक है। तुम बिना किसी को बताए घर से एक महीने के लिए गायब हो जाओ। ”उसने ऐसा ही किया। संत ने यह बात फैला दी कि उसे बाघ ने अपना भोजन बना लिया है। मुखिया के परिवार वाले कई दिनों तकशोक संतप्त रहे। गांव वाले आखिरकार उनकी मदद के ल

इंडिया फैमिली मार्ट का ऑल न्यू स्प्रिंग 2020 कलेक्शन

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नयी दिल्ली - वैल्यू फैशन रिटेल चेन मुख्य रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में संचालित हो रही है और 99 रुपए से शुरू होने वाले कपड़ों के तौर पर पॉकेट-फ्रेंडली ट्रेंड्स से परिचय करा रही है अपने स्प्रिंग कलेक्शन 2020 के साथ 1-इंडिया फैमिली मार्ट (भारत में सबसे तेजी से बढ़ती वैल्यू रिटेल चेन) अपने भावी ग्राहकों की फैशन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयासरत है। अपने जीवन में रंगों को शामिल करने के लिए ब्रांड ने वैल्यू-ड्रिवन प्राइज रेंज पर अपने नए स्प्रिंग कलेक्शन में नवीनतम ट्रेंड्स और विविधता को पेश किया है। जैसा कि हम जानते हैं हम वसंत ऋतु का स्वागत कर रहे हैं, 1-इंडिया फैमिली मार्ट फ्लोरल कुर्ती (349 रुपए से शुरू), स्टेटमेंट टी-शर्ट (199 रुपए से शुरू), प्रिंटेड शर्ट (249 रुपए से शुरू), ब्राइट ब्लश और अलमारी के लिए आकर्षक कपड़े प्रस्तुत करता है। यह कलेक्शन अब लखनऊ (यूपी), बिहटा (बिहार), उदलगुरी (असम) जैसे 90 से अधिक शहरों में 1-इंडिया फैमिली मार्ट के 100+ स्टोर में उपलब्ध है।

देर आऐ, दुरुस्त आऐ

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एक मछुआरे ने अपना जाल उठाया और नदी की ओर चल पड़ा। नदी पहुंचकर उसने देखा कि अभी दिन पूरी तरह से नहीं निकला है तो वह नदी के किनारे-किनारे टहलने लगा। टहलते-टहलते अचानक उसके पैरों से कोई सख्त सी चीज टकराई। उसने झुककर वह चीज उठाई तो पाया कि नन्हे-नन्हे पत्थरों से भरी हुई एक छोटी-सी थैली है। सूरज निकलने में अभी भी कुछ देर थी इसलिए मछुआरे ने जाल एक तरफ रख दिया और समय गुजारने के लिए उन छोटे-छोटे पत्थरों से खेलने लगा। फिर वह एक के बाद एक उन पत्थरों को नदी में फेंकने लगा। ऐसा करते-करते आखिर में अब मछुआरे के हाथ में अंतिम पत्थर बचा था। इसे भी वह फेंकने जा रहा था लेकिन तभी सूरज निकल आया। सूरज की रोशनी में उसने देखा कि उसके हाथ में पत्थर नहीं बल्कि एक बहुमूल्य हीरा था।  मछुआरे को अपनी नादानी पर बहुत अफसोस हुआ कि वह बेशकीमती हीरों को यूं ही फेंकता रहा। लेकिन अब "पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।"हमारे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है। हम मछुआरे की तरह ही हीरे जैसी कीमती चीजों को अपनी अज्ञानता के कारण नष्ट करते रहते हैं अथवा उनका सदुपयोग नहीं करते।  ऐसी बहुत सी चीजें और कार्य होते हैं। समय

सैकड़ों किस्म के फूलों की प्रदर्शनी

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जब तक हम लड़ेंगें नहीं,सरकार सुनेगी नहीं

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"सैफ़ी" नाम के संस्थापकों में से एक मो०युसूफ सैफ़ी

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