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भारत में कैनन के कर्मचारियों ने एकजुट होकर पीएम केयर्स फंड में सहयोग दिया

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नयी दिल्ली - कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहयोग देते हुए इमेजिंग स्पेस में लीडर, कैनन इंडिया ने अपने एडॉप्टेड गांवों एवं एसओएस विलेज होम्स में लोगों को सशक्त बनाने के लिए अनेक अभियानों की घोषणा की। समुदाय के सदस्यों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आवश्यक संसाधन उपलब्ध रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए कंपनी गांवों में खाद्य एवं सैनिटेशन सामग्री वितरित कर रही है। अपने ‘क्योसेई’ के सिद्धांत, यानि ‘सभी के कल्याण के लिए मिलकर काम करने व जीवन जीने’ की भावना के साथ पूरे भारत में कैनन के कर्मचारी पूर्ण उत्साह के साथ एकत्रित होकर पीएम केयर्स फंड में भी अपना योगदान दे रहे हैं। कैनन इंडिया एडॉप्टेड गांवों में 3000 फूड पैकेट वितरित कर रहा है। इन फूड पैकेट्स में जरूरी राशन जैसे, चावल (5 किलो), आटा (5 किलो), दाल (1 किलो), नमक (1 किलो), चीनी (1 किलो) एवं कुकिंग ऑयल (1 किलो) शामिल है। गांवों में दैनिक मजदूर एवं गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले (बीपीएल) परिवारों को कंपनी के इन प्रयासों का लाभ मिलेगा। कैनन इंडिया का एनजीओ पार्टनर - ह्यूमन, ए पीपुल टू पीपुल, गांवों में फूड पैकेट्स पहुंचाक

भोजपुरिया कलाकारों ने बुलंद की कोरोना के खिलाफ आवाज

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मुंबई - केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में लागू  लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके बाद बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मो की अभिनेत्री गुंजन पंत और अभिनेता अमरीश सिंह समेत भोजपुरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री के तमाम कलाकारों ने लॉकडाउन का समर्थन करते हुए लोगों से अपील की है कि वे घरों में सुरक्षित रहें तभी  कोरोना हारेगा और देश जीतेगा। जानते हैं कि भोजपुरी के सुपर स्‍टार ने देश की जनता से क्‍या अपील की है।     मनोज तिवारी : हम सभी लॉकडाउन में हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और भारत इस जंग में जीत रहे हैं। रवि किशन : कोरोना हारेगा। भारत जीतेगा। बस आप लोगों को घर में रहना है। मेरी यही गुजारिश है। जय हिंद। कोरोना हारेगा मेरा भारत जीतेगा। खेसारीलाल यादव : कोरोना को हरा कर देश को बचाना है। अगर बात नहीं माना तो शमसान घाट जाना होगा। निरहुआ : कोरोना को हराना है। देश को जीतना है। घर पर रहें। सुरक्षित रहें। h पवन सिंह : कोरोना से लड़ाई में पूरा विश्व भारत की एकजुटता को देख रहा है, जब हम कोरोना से मजबूती से लड़ रहे हैं। पाखी हेगड़े : मेरी एक ही गुज

लॉकडाउन 19 दिनों के लिए बढ़ाया

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जब पत्नी ने पूछा किशोर की सेहत का राज़

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कोरोना को खुला चैलेंज

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बीरुपक्ष मिश्रा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक नियुक्त 

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मुंबई , बीरुपक्ष मिश्रा ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इससे पहले, बीरूपक्ष मिश्रा कॉर्पोरेशन बैंक में कार्यकारी निदेशक थे। बीरुपक्ष मिश्रा स्नातकोत्तर और सर्टिफाइड एसोसिएट इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकर्स (CAIIB) हैं। उन्होंने अपने बैंकिंग करियर की शुरुआत वर्ष 1984 में एक प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में की थी और उन्हें शाखा, क्षेत्रीय कार्यालयों और कॉर्पोरेट कार्यालय में विभिन्न प्रशासनिक और कार्यात्मक क्षमताओं में 35 से अधिक वर्षों का समृद्ध अनुभव है।  उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में काम किया है और बैंक के क्रेडिट और क्रेडिट मॉनिटरिंग पोर्टफोलियो को संभाला है और बैंक के आईटी वर्टिकल का नेतृत्व भी किया है।

लॉकडाउन विस्तार के बीच निफ्टी 9,000 से नीचे; सेंसेक्स 469 अंक गिरा

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पिछले सप्ताह अपेक्षाकृत अच्छे प्रदर्शन के बाद भारतीय शेयर बाजारों ने कोई राहत नहीं दी. सेंसेक्स 1.5% या 469 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि इसका एनएसई समकक्ष निफ्टी-50 भी 1.3% की गिरावट के साथ 9,000 अंक से नीचे आ गया। मोटे तौर पर बाजार के रुझान कोरोनावायरस लॉकडाउन के विस्तार की संभावनाओं पर आधारित रहे, जो देश में बढ़ते मामलों को देखते हुए अब अपरिहार्य लग रहा है। प्रथमेश माल्या, चीफ एनालिस्ट, नॉन-एग्री कमोडिटी एंड करेंसी, एंजिल ब्रोकिंग लिमिटेड ने बताया कि   भारतीय इक्विटी बाजारों ने अन्य एशियाई बाजारों के शुरुआती संकेतों से लेत हुए सप्ताह के पहले दिन ट्रेडिंग की। कोरोनोवायरस प्रकोप के मामलों में कमी आने के बाद भी सभी एशियाई बाजारों में आज कमजोरी के संकेत मिले। पिछले हफ्ते जापान ने अपने व्यवसायों को चीन से बाहर शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहन पैकेज के तौर पर 243.5 येन का पैकेज दिया था। वैश्विक बाजार के भीतर बढ़ता टकराव अनिश्चितता का कारण बन रहा है क्योंकि चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है। ये घटनाक्रम निवेशकों को थोड़ा आशंकित कर रहे हैं, और यह ट्रेडिंग पैटर्न हम निकट अवधि में देख

बुलियन सपोर्ट लेवल के पास और कच्चा तेल 5% तेज

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प्रथमेश माल्या, चीफ एनालिस्ट,नॉन-एग्री कमोडिटी एंड करेंसी, एंजिल ब्रोकिंग लिमिटेड का कहना है कि पिछले हफ्ते दुनिया भर में कुछ दिलचस्प घटनाक्रम हुए। अब हम कोरोनोवायरस प्रकोप के कमजोर पड़ने की स्थिति देख रहे हैं और उद्योग के परिदृश्य में जल्द ही सुधार की उम्मीद है। चीन ने हुबेई प्रांत के बंद को भी खत्म कर दिया है और देश अब सामान्य स्थिति में लौट रहा है। तो आइए हम इस बात पर ध्यान दें कि कैसे इन घटनाओं ने कमोडिटी बाजार को प्रभावित किया है। बुलियन धातु  पिछले हफ्ते स्पॉट गोल्ड की कीमत 2.5 प्रतिशत अधिक पर बंद हुई थी। केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक प्रोत्साहन उपायों की उम्मीद के बीच बुलियन मेटल की कीमतों को अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट का समर्थन मिला। एमएक्ससी फ्यूचर्स ने जून फ्यूचर में 1% उछाल के बाद 45,800 रुपये प्रति 10 ग्राम जबकि सिल्वर फ़्यूचर मई में 0.4% की रैली के साथ 43,670 रुपए के साथ बंद हुआ।  इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले हफ्ते बुधवार को अपनी पिछले महीने की पॉलिसी मीटिंग के मिनट जारी किए। यह मिनट दिखाते हैं कि यू.एस. फेड ने जोरदार पॉलिसी रेस्पांस की आवश्यकता को अनुभव

सेंसेक्स, निफ्टी 2% फिसला; बैंकिंग सेक्टर को हुआ भारी नुकसान

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लेखक - अमर देव सिंह, हेड एडवायजरी, एंजिल ब्रोकिंग लिमिटेड   अमेरिकी बाजारों के संकेतों को ध्यान में रखते हुए एशियाई शेयर बाजार ने आज बड़े पैमाने पर बराबरी से ट्रेडिंग की। हालांकि, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में लगभग 2% की गिरावट दर्ज हुई। दिन के ट्रेड में सेंसेक्स 674 अंकों की गिरावट के साथ 27,590 अंक पर 2.39% नीचे बंद हुआ, जबकि निफ्टी 170 अंकों की गिरावट के साथ 8083 पर बंद हुआ।  कोरोनावायरस: तत्काल राहत के कोई संकेत नहीं  कोरोनावायरस दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। अब तक एक मिलियन संक्रमणों के मनोवैज्ञानिक आंकड़ों को पार कर लिया है। डब्ल्यूएचओ सहित प्रमुख वैश्विक निकाय संकेत दे रहे हैं कि वायरस से तत्काल राहत नहीं मिल सकती है। भारत में चिंताएं विशेष रूप से बहुत ज्यादा हैं क्योंकि धार्मिक सभा और मजदूरों के व्यापक पलायन से संक्रमण के परीक्षण के परिणामों की प्रतीक्षा की जा रही है, जो भारतीय आंकड़ों में तेजी से वृद्धि कर सकते हैं। ईरान में पिछले 24 घंटों में एक ही मण्डली से जुड़े 2,700 से अधिक नए मामलों की पुष्टि हुई है। इसके बराबर या इससे भी अधिक संख्या में मामले हमारे देश में भी सामने आ सकत

भारतीय मुसलमानों से अपील रमजान के पवित्र महीने के दौरान लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करें

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नयी दिल्ली - हिन्दुस्तान में भी लाखों मस्जिद, दरगाहें, इमामबाड़े, ईदगाहे, मदरसे एवं अन्य धार्मिक स्थल है जहां रमजान के पवित्र महीने में इबादत, तराबी, इफ़्तार आदि का आयोजन होता है, जहां बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की परम्परा रही है। लेकिन कोराना महामारी के मद्देनजर देश भर में लॉकडाउन, कर्फ्यू, सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देश केन्द्र एवं सभी राज्यों सरकारों द्वारा लागू किये गए हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपील की, कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए 24 अप्रैल से शुरू हो रहे रमजान के पवित्र महीने के दौरान भारतीय मुसलमान, लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए अपने-अपने घरों पर ही इबादत करें। मुख्तार अब्बास नकवी, जो कि राज्यों के वक्फ बोर्डों की रेगुलेटरी बॉडी (नियामक संस्था) सेंट्रल वक्फ काउंसिल के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों के विभिन्न वक्फ बोर्डों के अंतर्गत देश भर में 7 लाख से ज्यादा पंजीकृत मस्जिदें, ईदगाहें, इमामबाड़े, दरगाहें एवं अन्य धार्मिक संस्थान आते हैं। कोरोना महामारी के मद्देनजर

स्टैंज़ा लिविंग हर हफ़्ते दिहाड़ी मजदूरों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को 5000 मील पैकेट बांटेगा 

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नयी दिल्ली : भारत की सबसे बड़ी शेयर्ड लिविंग कंपनी स्टैंज़ा लिविंग ने दिल्ली, बैंगलोर, पुणे, हैदराबाद और इंदौर में प्रत्येक सप्ताह 5000 मील पैकेट्स की आपूर्ति के लिए फूड डिस्ट्रिब्यूशन अभियान शुरू किया है। स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ हाथ मिलाकर कंपनी लॉकडाउन में फंसे और संसाधनों की कमी से प्रतिकूलता का सामना  कर रहे लोगों को भोजन उपलब्ध कराएगी। स्टैंज़ा लिविंग अधिकारियों द्वारा चिन्हित क्षेत्रों में स्वच्छता से तैयार भोजन की आपूर्ति करेगी, जहां प्रवासी श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों जैसे महामारी से प्रभावित लोगों की मदद की जा सकेगी। यह स्थानीय निकायों के ऑन-ग्राउंड स्टाफ, फ्रंटलाइन सिविल वर्कर्स और अन्य को भी भोजन उपलब्ध कराएगी। अपनी इस पहल के बारे में बात करते हुए स्टैंज़ा लिविंग के एमडी और सह-संस्थापक संदीप डालमिया ने कहा, “एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के रूप में हमारा मानना है कि हमें कठिन समय में समुदाय के साथ देने के लिए अपने संसाधनों का लाभ उठाना चाहिए। हमारा फूड डिस्ट्रिब्यूशन अभियान इस दिशा में एक छोटी-सी कोशिश है ताकि हम सबसे कमजोर तबके और सीमित समर्थन के साथ जमीन पर लगातार काम कर

20+ शहर से बढ़कर 33 शहरों में सक्रिय हुई 'सबकी रसोई'

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नयी दिल्ली - लोगों की भारी मांग को देखते हुए 'सबकी रसोई' ने 20+ शहर से बढ़ाकर 33 शहर में जरूरतमंदों को भोजन मुहैया कराने का फैसला किया है।इसके तहत प्रतिदिन 1.50 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य था, लेकिन 'सबकी रसोई' के हेल्पलाइन नंबर 6900869008 पर आ रही लोगों की मांग को देखते हुए 1.50 लाख भोजन प्रतिदिन के लक्ष्य से अधिक अब 1.80 लाख से ज्यादा लोगो को भोजन प्रतिदिन उपलब्ध कराया जा रहा है।   I-PAC 7 दिन में ही 10 लाख से अधिक भोजन उपलब्ध करा चुकी है। अब तक पिछले 8 दिनों में देश के 33 शहरों में 11.94 लाख भोजन मुहैया कराया जा चुका है। अगर दिल्ली की बात करें, तो पिछले 8 दिनों में दिल्ली में 2 Lakh भोजन प्रदान किया जा चुका है। आईपैक ने सबकी रसोई पहल की शुरुआत 5 अप्रैल को की थी। इस पहल के तहत जरूरतमंदों को 10 दिनों में (14 अप्रैल तक) कम से कम 15 लाख ताजा भोजन (1.5 लाख प्रतिदिन) उपलब्ध कराना था।   

दलितो के उद्दार के साथ समाजिक भाईचारे को बढावा देने में आगे रहे भीमराव अंबेडकर

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लाल बिहारी लाल   नई दिल्ली। बाबा साहव डा. भीमराव अंबेडकर दलितों के अभिमन्यु संविधान के बास्तुकार और युग निर्माता थे। डा. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में आधुनिक मध्य प्रदेश के मऊ नामक स्थान पर हुआ था । महार परिवार में जन्में डा.अंबेडकर के पिता राम  जी सकपाल ब्रिटीश फौज में सुबेदार थे जबकि माता भीमा बाई ईश्वर भक्त  गृहिणी थी। एक संत ने भविष्यवाणी करते हुए भीमा बाई को आशीर्वाद देते हुए  कहा था कि तुम्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ती होगी। भीमा बाई के पुत्र का नाम भीम रखा गया। इनके पिता रामजी सकपाल सेवा निवृत होने के बाद महाराष्ट्र  के कोंकण क्षेत्र में अम्बावडे गाँव में बस गये। इस कारण इनका नाम स्कूल में भर्ती करवाते समय भीम राव रामजी अम्बावडे लिखा गया। नाम के उच्चारण  में परेशानी होने के कारण स्कूल के एक ब्राहम्ण शिक्षक- रामचंद्र भागवत अंबेडकर ने अपना उपनाम इन्हें रख दिया । तभी से इनका नाम अंबेडकर पडा। डा. अंबेडकर को महार जाति में पैदा होने के कारण स्कूली शिक्षा के दौरान  उन्हें कई कटू अनुभव हुए । उन्हें कमरा में पीछे बैठाया जाता था,पानी पीने  की अलग ब्यवस्था थी। उस समय समाज में काफी