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विस्टाप्रिंट की पर्सनलाइज्ड मास्क और #MakeYourMask सोशल मीडिया कंटेस्ट

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नयी दिल्ली : फेस मास्क ड्रॉपलेट आधारित कोरोनावायर स के खिलाफ प्राथमिक ढाल हैं। वैश्विक कोविड-19 के प्रकोप के बीच भारत के विभिन्न हिस्सों में नागरिकों को इस प्रकोप से बचाने के लिए मास्क का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। डिजिटल मास्क बनाने वाली प्रमुख कंपनी फेस मास्क का उपयोग करने और अधिकाधिक लोगों से आग्रह करने के लिए अपने सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से एक अद्वितीय #MakeYourMask प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है। #MakeYourMask प्रतियोगिता के साथ विस्टाप्रिंट प्रतिभागियों को अपनी रचनात्मकता को सामने लाने और उन डिज़ाइन को साझा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिन्हें वे अपने मास्क पर दिखाना चाहते हैं। सबसे प्रभावी डिजाइन बनाने वाले को ब्रांड से एक पर्सनलाइज्ड फेस मास्क जीतने का मौका मिलेगा।   विस्टाप्रिंट इंडिया के सीईओ भरत शास्त्री ने कहा, “मौजूदा स्थिति में अपने आप को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। चूंकि, सार्वजनिक रूप से मास्क पहनने को प्रोत्साहित किया गया है, इसलिए मास्क को मजेदार बनाना, उनके जरिये या उन पर संदेश देना या अपनी अलग पहचान बनाना बहुत अच्छा होगा

बैंडिट शकुंतला' में अपनी एक्टिंग से मंत्रमुग्ध करेंगे अभिमन्यु सिंह

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अभिनेता-निर्देशक हैदर काजमी कहते हैं, "मुझे यकीन है कि इस फिल्म के बाद अभिमन्यु सिंह अपने फ़िल्मी करियर की सबसे यादगार भूमिका के साथ दर्शकों के दिल में एक खास जगह बनाएंगे।" जबकि बॉलीवुड उद्योग के विख्यात पीआर, 'बैंडिट शकुंतला' का निर्माण यूपीजे फिल्म्स प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है, जिसका निर्माण पिंटू कुमार, उपेंद्र कुमार और श्रवण कुमार ने किया है। फिल्म की कहानी शिवराम यादव, अमन श्लोक सह निर्माता लियाकत गोला का संगीत और परियोजना अभिनेता-निर्देशक हैदर काज़मी का मास्टर-ब्रेन है, जो बॉलीवुड फिल्म उद्योग के साथ-साथ अपनी टोपी में एक और पंख जोड़ना सुनिश्चित करता है। अभिमन्यु सिंह ने बिहार में अपनी आगामी बायो-पिक थ्रिलर-ड्रामा 'बैंडिट शकुंतला' की शूटिंग शुरू की है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्म निर्माता हैदर काजमी द्वारा निर्देशित है। वर्तमान में लोकप्रिय अभिनेता पहले से ही 2020 में बाद में रिलीज होने वाली फिल्म की शूटिंग के लिए बिहार में डेरा डाले हुए हैं। अभिमन्यु रविवार को जहानाबाद पहुंचे और पूरी तरह से पेशेवर होने के नाते, उन्होंने अगले ही दिन बै

गरीब मज़दूरों के लिए कब चलेगी ट्रेन

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'माँ नहीं मिलती दोबारा '

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सुरेखा शर्मा स्वतंत्र लेखन /समीक्षक सुबह-सुबह फोन की घंटी घनघना उठी। फोन पर कंपकंपाती आवाज  सुनते ही रिसीवर हाथ से छूट गया। इतनी जल्दी ? ऐसा कैसे हो सकता है ••••?  गाड़ी में बैठते ही,  'ड्राइवर गाड़ी तेजी से चलाओ।' जबकि ड्राइवर अपनी  ओर से गाड़ी भगा ले जा रहा था ।मुझे कुछ  नही सूझ रहा था। दिल में दर्द की टीस -सी उठ रही थी ।माँ सच में  हम सब को छोड़कर चली गईं?अब कभी  नहीं मिलेंगी •••••? नहीं •••नहीं ••   ऐसा नहीं हो सकता? कल  तो मिल कर  आई थी।कितनी बातें कर रही  थीं । जब उन्होंने कहा ,'' बहुत जीवन जी  लिया  मैंने ,और कितना जीऊँगी ?" कितना खराब लगा था हमें । पिता जी भी बोले ,"सच में ही,  अब तो  मुक्ति मिल  जाए।कितनी तकलीफ झेल रही है तुम्हारी माँ •••। मुझसे भी अब देखा नही जाता ।" नहीं••••नहीं ,जरूर कोई धोखा हुआ है ,मां जल्दी ही फिर से स्वस्थ हो जाएंगी ••••झटके  से गाड़ी रुकी । ••माँ की निष्प्राण देह आंगन के बीच रखी हुई थी ।शांत वातावरण में चिड़िया की चूं -चूं  व कबूतर की गुटर गूं  सुनाई दे रही थी, जो पिछले दिन का डाला हुआ दाना चुग रहे थे, तभी पशुशाला में बं

ऑन लाइन ग़ज़लों की महफ़िल 

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नयी दिल्ली - ग़ज़लों की महफ़िल (दिल्ली) के तत्वाधान में ऑनलाइन मुशायरे का आयोजन डॉ अमर पंकज ( दिल्ली विश्वविद्यालय)की देख - रेख मे हुआ। यह महफ़िल का पहला आडॅयो मुशायरा* था  । इस मुशायरे का आनंद लेने के लिये विभिन्न राज्यों के शायर/ शायरा इस महफिल में शामिल हुए । सभी ग़ज़लकारों ने अपनी अपनी  ग़ज़ल की आॅडियो क्लिपिंग व टाइप की हुई टैक्स्ट और अपनी फोटो पोस्ट की। साथ ही सभी ने अपनी-अपनी ग़ज़ल पोस्ट करने के साथ दूसरे शायरों की ग़ज़लों को सुना और उनकी हौसला-अफ़जाई की। इस शाम को एक यादगार शाम बनाते हुए महफ़िल के इस प्रथम आॅडियो मुशायरे को बड़ी कामयाबी हासिल हुई  । इस आन लाइन मुशायरे की अध्यक्षता राजेश कुमारी ने की,और मुशायरे के विशिष्ट अतिथि के रूप में हेमंत कुमार 'दिल'* उपास्थित रहे। मुशायरे के संरक्षक की भूमिका में शरद तैलंग मौजूद रहे। इस ऑनलाइन आडियो- मुशायरे में शिरक़त करने वाले जो शोरा हज़रात मौजूद थे उनके नाम इस तरह से हैं शरद तैलंग, कोटा। राजेश कुमारी राज, मुंबई। एच के शर्मा 'दिल' दिल्ली। पंकज त्यागी 'असीम ' रुड़की। विजयलक्ष्मी विजया, नई दिल्ली। अजय त्रिपाठी 'व

ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन

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विजय सिंह बिष्ट ऐ मां तेरी गोदी से जन्में, तुमने ही हमको पनपाया। खिले तुम्हारे आंगन में, भांति भांति के रूपों में पाया। ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन।। तेरी मिट्टी में अमृत भरा है, हर श्रृंगार से हमें सजाया, कितनी पीयूष शक्ति है मां, तेरे रंगों में जो हमने पाया। ऐ मां तुझे शत् शत् नमन। गर्जन तर्जन में भी जन्मे, नया रूप दे हमें उगाया। इंद्रधनुषी रूप निखारा, भांति भांति से हमें पुकारा। हर बीज में भ्रूण छिपा है, नृत्य करता वह धरती में आया। हवा ,पानी ,गर्मी ने फिर उसे जगाया। रत्न गर्भा मां तेरी अनोखी माया। उससे ही हम सबने जीवन पाया।  ऐ धरणी मां शत् शत् नमन।

सोशल डिस्टेंसिंग लागू क्यों नहीं

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