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मोटर वाहन दस्‍तावेजों की वैधता बढ़ाकर 30 सितम्‍बर की गई

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नयी दिल्ली - कोविड-19 की इन असामान्य परिस्थितियों के दौरान राज्य / संघ शासित प्रदेशों को मोटर वाहन कानून 1988 के तहत उपलब्ध प्रावधानों या अन्य कानूनों के तहत उपलब्ध ऐसे अन्य प्रावधानों,परमिट की आवश्यकता में छूट पर विचार के लिए,या परमिट के लिए नवीकरण / जुर्माना के लिए शुल्क या करों आदि से राहत प्रदान करने पर विचार करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मोटर वाहन दस्तावेजों की वैधता तिथि को और बढ़ाकर इस वर्ष सितंबर तक करने की घोषणा की। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को इस आशय के संबंध में एक परामर्श जारी किया है। इससे पहले,मंत्रालय ने 30 मार्च को सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें यह सलाह दी गई थी कि फिटनेस,परमिट (सभी प्रकार), ड्राइविंग लाइसेंस,पंजीकरण या किसी अन्य संबंधित दस्तावेज जिसकी वैधता का विस्तार लॉकडाउन के कारण नहीं हो सकाया जिसके होने की संभावना नहीं है और जिसकी वैधता 1 फरवरी,2020 से समाप्त हो गई थी या 31 मई, 2020 तक समाप्त हो जाएगी,

सुविधा-प्राप्त सम्मान...कितने सार्थक

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डॉ• मुक्ता 'भीख में प्राप्त मान-सम्मान प्रगति के पथ में अवरोधक होते हैं, जो आपकी प्रतिभा को कुंद कर देते हैं' यह कथन कोटिशः सत्य है। सन् 2011-12 में डॉ• नांदल द्वारा रचित एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी... 'अभिनन्दन करवा लो' बहुत सुंदर व्यंग्य-रचना थी, जिसमें आधुनिक साहित्यकारों की मनोवृत्ति व सोच का लेखा-जोखा बड़े सुंदर ढंग से रेखांकित किया गया था। आदिकाल व रीतिकाल … आश्रय- दाताओं का गुणगान...एक पुरातन परंपरा; जिसका भरपूर प्रचलन आज तक हो रहा है; जिसे देख कर हृदय ठगा-सा रह गया, परंतु वह आज भी समसामयिक है। साहित्य जगत् में अक्सर लोग इस दौड़ अथवा प्रतिस्पर्द्धा में बढ़-चढ़कर भाग ही नहीं लेते, सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने को भी आतुर रहते हैं। चंद कविता या कहानियां लिखीं या उनमें थोड़ा हेर-फेर कर अपने नाम से प्रकाशित करवा लीं...बस हो गए मूर्धन्य कवि व साहित्यकार...साहित्य जगत् के देदीप्यमान नक्षत्र, जिसकी रश्मियों का प्रकाश सीमित समय के लिए चहुंओर भासता है। अमावस के घने अंधकार में तो जुगनू भी राहत दिलाने में अहम् भूमिका निभाते हैं, भले ही वे पल-भर में अस्त हो जाते हैं, परंतु उनका महत्व स

लोग अभी भी बाहर निकलने से बच रहे हैं

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अमीर हो या गरीब सभी की कमर टूट गई

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बारिश से उजड़े आशियाने में चूल्हा जलाने की रिहाई मंच की कोशिश

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आजमगढ़ । रिहाई मंच ने निजामाबाद के गौसपुर घुरी गांव में बारिश से मकान ढहने की सूचना पर पीड़ितों से मुलाकात कर उनको राहत सामग्री और सहायता उपलब्ध कराई। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, बाकेलाल, अवधेश यादव, विनोद यादव और धीरेन्द्र यादव मौजूद थे।   रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि कोरोना महामारी में हमारी प्रतिबद्धता है कि जहां भी किसी जरुरतमंद को जरुरत है वहां हम उनके साथ खड़े हों। राजीव यादव ने जिलाधिकारी से मांग की कि मनीता यादव का घर जो बारिश में ढह गया है उसके पुर्ननिर्माण के लिए राशि प्रदान करें। मनीता विधवा हैं और उनपर चार बच्चों की जिम्मेदारी है ऐसे में उनके रोजगार के साथ उनके जीवन यापन के लिए जमीन आवंटित की जाए। वर्तमान में उनके घर में समुचित राशन की व्यवस्था हमने नहीं पाई ऐसे में उन्हें राशन भी उपलब्ध कराया जाए।   प्रतिनिधिमंडल के बाकेलाल, अवधेश यादव, विनोद यादव ने कहा कि पांच जून को बारिश में मकान ढहने की सूचना निजामाबाद के गौसपुर घुरी गांव की शबाना आजमी से मिली जिसके बाद हमने मनीता यादव से मुलाकात की। मनीता ने बताया कि सुबह आठ बजे के करीब जब वह चार बच्चों के

आखिर उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी कहां है

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विजय सिंह बिष्ट उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण। उत्तराखंड के राज्यपाल ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को अनुमोदित कर उत्तराखण्ड सरकार को एक बहुत बड़ा तोहफा दे दिया है। लेकिन जन भावनाओं को किसी भी मानक पर नहीं तोला गया। आज वर्षो पहले चलाये गये जन आन्दोलन का ह्रस बंदर बांट के रूप में उन आंदोलनकारियों का बलिदान नहीं,वरन सत्तासीन सरकारों की उदासीनता ही मानी जायेगी। आज किसी महानुभाव का एक वाक्य कि अठ्ठनी तो मिली क्या उस समय के मुलायम सिंह यादव की क्रूरता भरे अत्याचार का पारितोषिक है, नहीं उत्तराखण्ड के वलिदानियों के खून की कीमत केवल गैरसैंण राजधानी थी और होनी चाहिए। उस समय जो जन शैलाव गुफाओं और कंदराओं से सड़कों पर उतर आया था एक ही नारा था उत्तराखंण्ड राज्य और प्र्रदेश की राजधानी गैरसैंण हो, राज्य प्राप्ति के बाद दोनों सरकारें देहरादून में सत्तासीन हुई और इतने लम्बे समय के बाद भी गैरसैंण की राजधानी को भूलकर केवल देहरादून की भीषण गरमी से बचने के लिए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने जा रही है। यह अंग्रेजी राज्य की याद दिलाता है जो इतिहास के पन्नों में सिमट कर गया है। देहरादून

60,000 ट्रांजेक्शन के साथ एक्सपे.लाइफ की कमाई में 142% का इजाफा

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बेंगलुरु : एक्सपे.लाइफ, एक एनपीसीआई स्वीकृत मल्टी बिल पेमेंट प्लेटफॉर्म है जो ग्राहकों को वन स्टॉप सॉल्यूशन मुहैया कराता है। मई के महीने में एक्सपे.लाइफ ने 60 हजार ट्रांजेक्शन के साथ 3 करोड़ रुपए की कमाई की है। ब्लॉकचेन आधारित ट्रांजेक्शन फ्रेमवर्क पर काम करने वाली इस कंपनी ने गौर किया है कि इसमें से ज्यादातर ट्रांजेक्शन इलेक्ट्रिसिटी बिल पेमेंट से संबंधित थे। अन्य कैटेगरी में 23 लाख रुपए के ट्रांजेक्शन मोबाइल वैन के माध्यम से किए गए।  एक्सपे.लाइफ द्वारा शुरू की गई वैन झारखंड के कई रिमोट एरिया जैसे रांची, रामगढ़ और हजारीबाग में आरबीआई की गाइडलांइस के तहत कैश मुहैया कराती हैं। इन वैन के माध्यम से औसतन प्रत्येक दिन 50-60 ट्रांजेक्शन किए जाते हैं। टियर-1 और टियर-2 शहरों में 253 एक्सपे बिलर्स के साथ-साथ टियर-3 व टियर-4 के शहरों में 50 हजार से ज्यादा पिनकोड तक इसकी पहुंच है। प्लेटफॉर्म में 55,790 रुपए के अधिकतम ट्रांजेक्शन के साथ पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन सबसे बड़ा बिलर रहा है। डेटा के मुताबिक राज्यों में भी खपत बढ़ी है। पंजाब 28 फीसदी खपत के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद राजस्थान, पश