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कानून व्यवस्था,अमन शांति भाईचारे को मज़बूत बनाने के लिए समर्पित हूँ - SHO सूबे सिंह

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नयी दिल्ली , दक्षिण पश्चिम जिले के अंतर्गत आने वाले वाले थाना सागर पुर में एस एच ओ का पदभार संभालने वाले  इंस्पेक्टर सूबे सिंह का पुलिस स्टेशन में अमन चैन कमेटी के सदस्यों ने मुलाक़ात कर उनका स्वागत कर उन्हें मुबारकबाद पेश की । इस मौके पर एस एच ओ सूबे सिंह ने अपना परिचय दिया और संक्षिप्त में अपने बारे में महत्वपूर्ण और रोचक बातें बताईं। एस एच ओ सूबे सिंह ने कहा कि मैं कानून व्यवस्था,अमन शांति भाईचारे को मज़बूत बनाने के लिए समर्पित हूँ आप भी अपने अपने मोहल्ले ब्लाकों तथा क्षेत्र में शांति भाईचारे और कानून व्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए काम करो । मीटिंग में एडिशनल एस एच ओ विनय कुमार ने भी अमन चैन कमेटी के सदस्यों की लाॅक डाऊन में पुलिस का महत्वपूर्ण सहयोग करने के लिए तारीफ़ की। इस अवसर पर इस अवसर पर अमन चैन कमेटी के सदस्यों में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के मुस्लिम एडवाइज़री कमेटी के सदस्य इरफान राही सैदपुरी सैफ़ी , नूरानी मस्जिद के इमाम व अमन चैन कमेटी के मेम्बर मौलाना यहया अरसलानी, एंटी क्रप्शन के सलीम मलिक, सोशल वर्कर रियाज़ अंसारी, आर डबल्यू ए से  नरेश करोटिया, सुभाष जैन,अनीस सैफ़ी सहित

जो कानून घटना के समय था ही नहीं उसके तहत कार्रवाई कैसे की जा सकती है

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रिहाई मंच ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यायदेश 2020 बदनाम ज़माना यूएपीए कानून जैसा क्रूर है जिसके तहत आरोप लगाने वाले के बजाए आरोपी को ही अपनी बेगुनाही सिद्ध करने का प्रावधान है। इसके कानून बनने के बाद राजनीतिक विरोधियों के दमन के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की संभावना बहुत प्रबल हो जाती है। इसी विवादस्पद कानून की बुनियाद पर लखनऊ प्रशासन क्षतिपूर्ति के नाम पर सम्पत्तियों को सील और कुर्क करने की कार्रवाई कर रहा है। इसी कानून का सहारा लेकर लखनऊ में तीन दुकानों को सील करने और रिक्शा चालक मोहम्मद कलीम को गिरफ्तार करने की कार्रवाई सामने आई। लखनऊ । रिहाई मंच ने कहा कि लखनऊ प्रशासन की क्षतिपूर्ति के नाम पर सम्पत्तियों को सील और कुर्क करने की कार्रवाई कानूनी कुतर्को पर आधारित अन्यायपूर्ण, दमनकारी और विरोध के स्वर का गला घोंटने वाली है। क्षतिपूर्ति के नाम पर जिस कानून के तहत यह सब किया जा रहा वह न्याय की अवधारणा के विपरीत, लोकतंत्र और न्याय विरोधी क्रूर कानूनों की श्रंखला की एक और कड़ी है। जो कानून घटना के समय था ही नहीं उसके तहत कार्रवाई कैसे की जा सकती है। इस क

प्रणेता द्वारा सार्थक ऑनलाईन काव्य गोष्ठी का आयोजन

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नयी दिल्ली - प्रणेता ऑनलाईन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम पटल पर विराजमान सभी मेहमान मेजबान भी थे। अध्यक्षता : शकुंतला मित्तल,मुख्य अतिथि : सुषमा भंडारी ,विशिष्ट अतिथि: डॉ. भावना शुक्ल ,संस्थापक एवं महासचिव:- एस.जी.एस. सिसोदिया 'निसार',संचालिका: सरिता गुप्ता ,सभी प्रणेता के कार्यकर्ता हैं उच्च पदों पर विराजित है। ये एक पारिवारिक गोष्ठी थी । इसमें शिरकत करने वाले सभी साहित्यकार भी प्रणेता पारिवार से ही है। प्रति वर्ष की भान्ति प्रणेता साहित्य संस्थान द्वारा प्रकाशित होने वाले साझा संकलन के ये सभी सदस्य हैं। इन्ही सदस्यो द्वारा आज काव्यपाठ किया गया जिसका कुशल संचालन सरिता गुप्ता जी ने किया। आदरणीय अशोक पाहुजा ने सस्वर सरस्वती माँ का आह्वान किया तत्पश्चात संस्थान के संस्थापक एस जी एस सिसोदिया ने संस्था के उद्देश्यों , क्रिया कलापों से अवगत कराया व गोष्ठी का शुभारंभ करवाया। उपास्थित रचनाकार थे- 1. शारदा मिश्रा ,2. लाडो कटारिया ,3. कुसुम 'मंजरी',4. अतुल सिंह 'अक्स',5. चन्नी वालिया ,6. परिणीता सिन्हा , गुरूग्राम,7. रशीद ग़ौरी ,8. चंचल पाहुजा,9. कुमार जित

स्वावलंबन" शब्द सार" द्वारा राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन

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गुरुग्राम  -  स्वावलंबन" शब्द सार" संस्था( साहित्यिक शाखा, स्वावलंबन ट्रस्ट (रजि०) ) के द्वारा भव्य राष्ट्रीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ,जिसमे पूरे देश के  कलमकारों ने शिरकत की | कार्यक्रम का शुभारंभ  दीप प्रज्वलन व कमल धमीजा द्वारा  माँ शारदे की अराधना एवम माल्यार्पण के साथ हुआ ၊ यह गोष्ठी शकुंतला मित्तल की अध्यक्षता मे सम्पन्न  हुई |  मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार  डा० दुर्गा सिन्हा "उदार"  ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम को सुशोभित किया  |  विशिष्ट अतिथि के रूप मे डा० विष्णु सक्सेना ,डा०सुषमा भंडारी, सुरेखा शर्मा , सविता स्याल ,आभा कुलश्रेष्ठ ,अभय सिंह उयस्थित थे | यह गोष्ठी राष्ट्रीय अध्यक्षा ( स्वावलंबन ट्रस्ट) मेघना श्रीवास्तव एवं महामंत्री (स्वावलंबन ट्रस्ट) राघवेंद्र मिश्रा  , हरियाणा के मार्गदर्शन में , राष्ट्रीय संयोजिका (स्वावलंबन" शब्द सार" ) परिणीता सिन्हा एवं प्रांत संयोजिका (हरियाणा) कमल धमीजा द्वारा आयोजित  की गई| राष्ट्रीय संयोजिका परिणीता सिन्हा द्वारा डिजिटल काव्य गोष्ठी का कुशल संचालन किया ၊ कवियो ने अपने सुंदर काव्य

NTPC प्रतिष्ठित सीआईआई-आईटीसी सस्टेनेबिलिटी पुरस्कार से सम्मानित

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62,110 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ, एनटीपीसी समूह के पास 70 पावर स्टेशन हैं, जिनमें 24 कोयला, 7 संयुक्त चक्र गैस/ तरल ईंधन, 1 हाइड्रो, 13 नवीकरणीय और 25 सहायक एवं जेवी पावर स्टेशन शामिल हैं। नयी दिल्ली - एनटीपीसी लिमिटेड, भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी ने, कॉर्पोरेट उत्कृष्टता श्रेणी के अंतर्गत उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए, प्रतिष्ठित सीआईआई-आईटीसी सस्टेनेबिलिटी पुरस्कार 2019 जीता है। एनटीपीसी हमेशा ही पावर स्टेशनों के आसपास अपने समुदायों के विकास के लिए प्रयासरत रहता है। इसने अपने प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम, जीईएम (गर्ल एम्पावरमेंट मिशन) को अपने पावर स्टेशन के आसपास प्रतिष्ठापित किया है, 4 सप्ताह का आवासीय कार्यक्रम, वंचित पृष्ठभूमि से आनेवाली और स्कूल जानेवाली लड़कियों को लाभ पहुंचाकर उनके समग्र विकास को समर्थन प्रदान करने के लिए। एनटीपीसी द्वारा ठेकेदार श्रम सूचना प्रबंधन प्रणाली (सीएलआईएमएस) की भी शुरुआत की है, जिसके माध्यम से ठेका श्रमिकों को परियोजना स्थलों पर महीने के अंतिम दिन भुगतान किया जाता है। सीआईआई-आईटीसी सस्टेनेबिलिटी पुरस्कार, निरंतरता में उत्कृष्ट प्रथाओं की प

विश्व मैत्री मंच द्वारा ऑनलाइन ऑडियो लघुकथा गोष्ठी 

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विश्व मैत्री मंच द्वारा ऑनलाइन ऑडियो लघुकथा गोष्ठी का (विषय- शरणार्थी) आयोजन किया गया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता  सुप्रसिद्ध कवयित्री - अनुवादक  मीता दास ने की। उन्होंने  लघुकथा विधा को एक सजग तथा महत्वपूर्ण विधा के रूप में बताया तथा बांग्ला लेखक बनफूल की लघुकथाओं का ज़िक्र करते हुए सदाअत हसन मंटो तथा खलील जिब्रान की लघुकथाओं का उल्लेख किया।  मुख्य अतिथि मुंबई से सुप्रसिद्ध पत्रकार अमर त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि लघुकथा पत्र-पत्रिकाओं में केवल स्थान पूर्ति  के लिए  जगह पाती हैं ।उनके लिए अलग से कोई कॉलम आदि नहीं होते। जबकि होने चाहिए। पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथाओं के लिए विशेष स्थान की ओर उन्होंने ध्यानाकर्षण करवाया। सारस्वत अतिथि साधना वैद्य ने ऑनलाइन गोष्ठियों को सार्थक बताया, कि कोरोना काल के बाद भी इस तरह की गोष्ठियाँ अधिक सार्थक होंगी। आयोजन में लगभग तीस लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथा सुनाई। गोष्ठी का आभार प्रदर्शन रानी मोटवानी ने किया तथा संचालन रूपेंद्र राज तिवारी ने किया।संतोष श्रीवास्तव, कविता वर्मा,अनिता मंदिलवार सपना,पूर्ति वैभव खरे,नीलिमा मिश्रि,संतोष झांझी,मनोज देशमुख,अनुपम

1982 गोंडा एनकाउंटर की पटकथा से मिलती है बिकरु, कानपुर की कहानी

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लखनऊ . रिहाई मंच ने कहा कि पहले पुलिस कर्मियों की जानें गईं और अब उनको मारने के आरोप में ताबड़तोड़ एनकाउंटर का दावा. विकास मुठभेड़ कांड की सच्चाई छुपी नहीं है, देश में संविधान-कानून को मानते हुए पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की रिहाई मंच मांग करता है. मंच ने कहा कि कानपुर कांड जिसमें पुलिस कर्मियों की जाने गईं न सिर्फ वो सवालों के घेरे में है बल्कि ऐसे अपरिपक्व आपरेशन के लिए जिम्मेदार कौन है. वहीं पुलिस के मनोबल के नाम पर हत्याओं का जो सिलसिला चल रहा उसे तत्काल रोका जाए क्योंकि इससे आम जनता में दहशत पैदा हो रही है. जो न जनता के हित में है न पुलिस के.  रिहाई मंच महासचिव राजीय यादव ने कहा कि माधवपुर, गोंडा 1982 फर्जी मुठभेड़ कांड को नहीं भूलना चाहिए जिसमें डीएसपी केपी सिंह की हत्या के आरोप में पुलिस वालों को फांसी और उम्र कैद की सजा हुई. कानपुर मुठभेड़ या अन्य मुठभेड़ों की जांच हो जाए तो इस स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता. यहां गौर करने की बात है कि पूरी कहानी में सिर्फ विकास को ही मुख्य किरदार बनाया गया. क्या 1982 माधवपुर, गोंडा एनकाउंटर की तरह बिकरू, कानपुर एनकाउंटर नहीं हो सकता. वहां भी