संदेश

प्रणेता साहित्य संस्थान,दिल्ली द्वारा ऑनलाइन जश्ने-आज़ादी और पुस्तक विमोचन समारोह

चित्र
नयी दिल्ली - प्रणेता साहित्य संस्थान,दिल्ली द्वारा ऑनलाइन जश्ने आज़ादी काव्य गोष्ठी  और पुस्तक विमोचन का सफल आयोजन संस्थान के संस्थापक एवं महासचिव एस जी एस सिसोदिया के मार्गदर्शन और सक्रिय प्रयासों  से सफलता पूर्वक  संपन्न हुआ,जिसमें विभिन्न राज्यों के रचनाकारों ने अपनी देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं से समां बांध दिया।  कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं नीतिका सिसोदिया  द्वारा माँ शारदे की वंदना तथा अतिथियों  द्वारा माल्यार्पण  के साथ हुआ। सरस्वती वंदना के पश्चात संस्थान के संस्थापक और महासचिव एस जी एस सिसोदिया  ने अपने  सभी उपस्थित साहित्यकारों को शुभकामनाएँ प्रेषित की। यह गोष्ठी  प्रतिष्ठित कवि डाक्टर रामनिवास इंडिया की अध्यक्षता में संपन्न  हुई। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कवि एवं गज़लकार राजेन्द्र 'राज निगम  ने अपनी गरिमामय  उपस्थिति से मंच को सुशोभित किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में जानी मानी कवयित्री श्रीमती इन्दु 'राज' निगम और कहानीकार मीनू त्रिपाठी उपस्थित थीं।  प्रणेता साहित्य संस्थान की इस काव्य गोष्ठी का संचालन सुप्रसिद्ध समाजसेविका और शिक्षाविद शकुंतला मित्

भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को सरकार से आधिकारिक मान्यता दिए जाने की मांग

चित्र
भारत में गूंगे और बहरे लोगों की उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा स्कोप नहीं है क्योंकि बहुत कम कॉलेज और संस्थान दुभाषियों या सांकेतिक भाषा में पढ़ा सकते हैं। इस प्रकार छात्रों को अन्य स्रोतों की ओर रुख करना पड़ता है जिसमें अधिकांश छात्र के अभिभावक उतना खर्च नहीं कर सकते हैं। विकलांगता अधिनियम 1995 वाले व्यक्तियों के अनुसार सरकारी और निजी एजेंसियों में एक प्रतिशत नौकरियां उनके लिए आरक्षित हैं। लेकिन उन नौकरियों में देशभर के किसी भी विश्वविद्यालयों से डिग्री एवं प्रमाणपत्र होने जैसी शर्तें भी शामिल हैं। कोलकाता : 135 करोड़ घनी आबादी वाला देश भारतवर्ष, जिसमें 1.3 मिलियन से अधिक दिव्यांग नागरिक शामिल हैं। इन नागरिकों की सुविधार्थ केंद्र सरकार को भारतीय संविधान के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को 23वीं आधिकारिक भाषा बनाना चाहिए। कोलकाता के सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ता संदीप भूतोरिया द्वारा आयोजित ‘विनिंग चैलेंज’ नामक वेबिनार में प्रधान अतिथि के तौर पर उपस्थित मूक और बधिर उद्यमी, इंजीनियर और प्रेरक वक्ता वैभव कोठारी ने वेबिनार में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते समय यह बातें कही। उन्होंने

कविता // एकाकी जीवन जीना सीखें

चित्र
विजय सिंह बिष्ट एकाकी जीवन जीना सीखें। जीवन साथी कब बिछुड़ जाये, पग पग पर मौत खड़ी है, जाने कब बुलावा आ जाये। उगता सूरज लिए लालिमा, सांझ ढले धीरे ढल जाए। अपना भी उदय हुआ है, कब मौत गले लग जाये। एकाकी जीवन जीना सीखें, जीवन पथ पर कौन भला , किस राह पर कहां रुक जाये। खिलता धीरे पूनम चांद कभी, अमावास में पूरा छिप जाये। नदिया बहती पर्वत शिखर से, घुलते मिलते सागर में मिल जाते। अपना भी जीवन बहता पानी, जाने कहां तिल तिल मर जाये। खिलते पत्ते नव योवन लेकर, जाने कब पतझड़ में गिर जाये। भव सागर में जीवन नाव खड़ी है।  ईश्वर जाने डूबे या पार लग जाये। साथ उड़ते पंछी नील गगन में, उड़ते थकते कहीं बिछुड़ न पाये। हम भी साथी जीवन भर के, पता नहीं कौन दिशा कब भटक जाये। एकाकी जीवन जीना सीखें, कब जोड़ा छूटे या रह जाये। यह श्रृष्टि का खेल अनोखा, कोई आये कोई जाए। जीवन जीना एकाकी सीखें, हंसों का जोड़ा कब छूट जाये।          

कविता // कोरोना और काव्य

चित्र
● डॉ• मुक्ता ● कोरोना और काव्य बन गये एक-दूसरे के पर्याय ऑन-लाइन गोष्ठियों का सिलसिला चल निकला नहीं समझ पाता मन क्यों मानव रहता विकल करने को अपने उद्गार व्यक्त शायद!लॉक-डाउन में नहीं उसे कोई काम काव्य-गोष्ठियों में वह व्यस्त रहता सुबहोशाम पगले!यह स्वर्णिम अवसर नहीं लौट कर आयेगा दोबारा तू बचपन में लौट कर बच्चों-संग मान-मनुहार मिटा ग़िले-शिक़वे तज माया-मोह के बंधन उठ राग-द्वेष से ऊपर थाम इन लम्हों को कर खुद से ख़ुद की मुलाक़ात कर उसकी हर पल इबादत मिटा अहं, नमन कर प्रभु की रज़ा को  अपनी रज़ा समझ  घर में रह,खत्म कर द्वंद्व और सुक़ून से जी अपनों संग 

शब्दाक्षर द्वारा ऑनलाइन ‘जश्न-ए-आजादी

चित्र

Dehradun दिवंगत आत्माओं की स्मृति में वृक्षारोपण

चित्र

Uttarakhand रोज़गार के अनेक अवसर पैदा किये जा सकते हैं

चित्र