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क्लीन एयर प्लान पर ठोस अमल को सर्वोच्च प्राथमिकता दे यूपी सरकार

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लखनऊ : सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और कौंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के द्वारा आज संयुक्त रूप से "उत्तर प्रदेश में क्लीन एयर एक्शन प्लान की वर्तमान स्थिति और भावी दिशा" पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश (यूपी) के अलग-अलग हिस्सों से स्वच्छ पर्यावरण और स्वच्छ हवा पर काम करने वाले 80 से ज्यादा नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस वेबिनार का उद्देश्य नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान के तहत 'नॉन अटेनमेंट सिटीज' में आने वाले यूपी के 15 शहरों के लिए क्लीन एयर एक्शन प्लान के क्रियान्यवन में दिख रही त्रुटियों को उजागर करना और साथ ही राज्य भर में इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने पर पर सुझाव देना था. वेबिनार में शामिल ये सिविल सोसाइटी संगठन "क्लीन एयर इम्प्लीमेंटेशन नेटवर्क-यूपी (कैन-यूपी)" का हिस्सा थे, जो सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट की एक पहल है. इसके तहत ये संगठन नागरिकों के प्रतिनिधि के रूप में स्वच्छ आबोहवा को सुनिश्चित करने के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं. कैन-यूपी के एक सदस्य और स

सिद्धार्थनगर के हथपरा गांव में असामाजिक तत्वों ने साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा

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सिद्धार्थनगर . सिद्धार्थनगर के त्रिलोकपुर थाना के अंतर्गत हथपरा गाँव में जमीनी विवाद को लेकर दो पक्षों में मारपीट को असामाजिक तत्वों ने संप्रदायिक रूप दे दिया. उपद्रवियों ने गांव की स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया और घरों में तोड़-फोड़ और आगजनी की. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि हथपरा गाँव में जमीन विवाद को लेकर गुरुवार शाम को तनाव पैदा हो गया. जिसमें कई लोग घायल हो गए और एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. इस घटना को लेकर असामाजिक तत्व साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में लगे हुए हैं. उपद्रवियों ने गांव की स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया है. घरों में तोड़-फोड़ और आगजनी की भी सूचना है. गांव के हालात अभी भी तनावपूर्ण है, ग्रामवासी खौफ़ में हैं. रिहाई मंच ने शासन- प्रशासन से मांग की है कि गाँव में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के ऊपर सख्त कार्यवाही करे. हथपरा ग्रामवासियों के जान-माल की सुरक्षा को चाकचौबंद बनाया जाए और उनके अंदर से खौफ़ को निकाला जाए. जिले में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारगी, अमन- चैन और साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की रिहाई मंच ने अपील की.

कविता // नभ में सप्त इंद्र धनुषी आभा

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विजय सिंह बिष्ट दूर क्षैतिज में स्वच्छ नीले आकाश में, बादलों का चित्रांकन ,स्वर्णिम रश्मियों से। बन बैठता हिमालयी सुंदर चित्रण, नभ में सप्त इंद्र धनुषी आभा, पहाड़ों के ऊपर सूर्य किरणों से, रिम झिम बर्षा की फुहार, केवल परछाइयां सी लगती है, अब तो स्वपनिल सी लगती हैं। हरित भूमि उसमें घनेरे चीड़ बृक्ष, कर देती गांवों की यादों से उदास, कल कल करती बहती बक्री नदियां, याद दिलाती अपने पहाड़  की, अब तो दूर देश में स्वपनिल लगती हैं। केवल परछाइयां सी लगती हैं। हरित भूमि उसमें उगी घास, कर देती गांव की यादों को उदास, ये हमने देखी और परखी थी, अब तो  स्वपनिल सी लगती हैं। कलरव करते विहंग बृन्द, इन ईंट गारों से बनी गगन चुम्बी इमारतें, उनके ऊपर बने बादलों का चित्रांकन बीते दिनों अपने गांव की याद दिलाता है।  अब प्र्रदेश में रहकर परछायी सी लगती है।   केवल स्वपनिल सी लगती है बिष्ट।

EWS के छात्रों को सरकारी नौकरी में आयु सीमा और आवेदन शुल्क में छूट की मांग

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नयी दिल्ली - राष्ट्रीय जन जन पार्टी (RJJP) ने राजधानी दिल्ली समेत बिहार और उत्तर प्रदेश में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के अधिकारों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली में विजय चौक पर राष्ट्रीय जन जन पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कोरोना के मद्देनजर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए गरीब सवर्ण (EWS) वर्ग के छात्रों की मांग को सरकार के सामने रखा।   पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष कुमार की अगुवाई में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार से अपील की कि EWS के छात्रों को सरकारी नौकरी में आवेदन के दौरान आयु सीमा और आवेदन शुल्क में छूट दी जाए। आशुतोष कुमार ने कहा कि दूसरे आरक्षित वर्गों की तरह गरीब सवर्ण वर्ग के छात्र भी आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों की वजह से सही दिशा में आगे नहीं बढ़ पाते और मज़बूरन पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं। आशुतोष कुमार ने कहा कि सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण के नाम पर लॉलीपॉप दिया है जिसका कोई लाभ छात्रों को नहीं मिल रहा। उन्होंने ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब EWS के छात्रों को आयु सीमा और आवेदन शुल्क में कोई छूट नहीं दी जा रही तो आरक

गांधी की आत्म निर्भरता से प्रेरित होकर महिलाएं ‘सुई-धागा’ से तैयार कर रही है सूती खादी मास्क

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  कोलकाता .  गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित होकर उत्तराखंड में आत्मनिर्भर, सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद् और शास्त्रीय कथक नृत्यांगना आरुषि निशंक ने पुन: प्रयोज्य होनेवाले खादी और सूती मास्क बनाने के लिए उत्तराखंड में हजारों ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के इरादे से  ‘सुई-धागा’  देकर प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं द्वारा निर्मित सूती मास्क सेना के जवानों, पुलिस, ग्रामीण श्रमिकों और बॉर्डर इलाकों में ड्यूटी करनेवाले कोविड योद्धाओं को मुफ्त में वितरण किया गया है। अब तक एक लाख से ज्यादा सूती मास्क दिल्ली, मुंबई और उत्तराखंड के शहरों और कस्बों में मुफ्त में वितरण किया जा चुका है। सुश्री आरुषि निशंक ने कहा:  खादी गांधीजी की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है और पर्यावरण के अनुकूल है और प्रधानमंत्री के आत्मनिभर भारत पहल की भावना के अनुरूप है। हज़ारों ग्रामीण महिलाओं ने कुशलतापूर्वक प्रशिक्षण पाकर खादी से निर्मित सूती मास्क तैयार कर रही है। कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा  ‘एक मुलाकात’  नामक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं को लेकर काम करने

कोरोना के प्रसार की संभावना को दूर करने का प्रयास ही इमाम हुसैन को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि होगी

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नयी दिल्ली : इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स  (IMPAR) ने मुहर्रम के पावन महीने पर जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि यह महीना समाज के एक बड़े वर्ग के लिए काफी महत्व रखता है। IMPAR ने मुहर्रम के लिए दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि लोगों को इस पवित्र महीने में इस बात का पूरा ख़्याल ईद और ईदुल अज़हा की तरह रखना चाहिए कि इस वैश्विक महामारी कि किसी गाइड लाइन का उलंघन न हो और केंद्र और राज्य सरकारों ने जो गाइड लाइन जारी की है उस के अनुरूप ही इस पविरत्र महीने के धार्मिक प्रोग्राम आयोजित किये जाएं।  इम्पार ने कहा है कि विशेषज्ञों, समुदाय के नेताओं, उलेमा, स्वास्थ्य चिकित्सकों और समुदाय के हितधारकों के स्थानीय और वैश्विक विचारों के परामर्श से दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। IMPAR ने कहा है कि वह इस बात को स्वीकार करता है कि यह सभी समुदायों के लिए अपने समारोहों और त्योहारों को प्रतिबंधित करने के लिए एक चुनौती है, लेकिन वायरस की रोकथाम में अपना योगदान देना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।  इम्पार ने कहा है कि जो लोग मुहर्रम के दौरान सार्वजनिक प्रेक्षणों के लिए दबाव डाल रहे हैं, उन्हे

पँख फैलाने दे उसे,अपनी चाह पाने दे उसे

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स्वच्छ,  निर्मल और  तारो भरे शून्य मे। अपने भबिष्य की लम्बी चाह की उडान मे। अपने आगे पीछे हर दिशा के उस वक्षस्थल मे। जिधर उडे उडने दे उसे,पँख फैलाने दे उसे। भबिष्य की इक लम्बी लकीर पढने दे जीवन की तस्वीर। आडी तिरछी रेखाओँ को चीर। पढने दे मन की वह तस्वीर। तब आभास सुखद का हो उसे पँख फैलाने दे उसे। दर्द,पीडा,दुख की अनुभूति जब तक न करे इसकीवह पूर्ति। ठोकरोँ की टीस,काटोँ की चुभन। भूख प्यास से पीडित हो तन। कुछ तो एहसास लगे तब उसे। पँख फैलाने दे उसे। कुछ पाने को कुछखोना जरूरी। हँसने के लिये रोना है जरूरी। अपने मँजिल की उस चाह मे। खोज भबिष्य कीहर राह मे। मँजिल को पाने दे उसे। पँख फैलाने दे उसे। अपनी चाह पाने दे उसे।