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बीएसडीयू जयपुर ने मौजूदा और नए छात्रों के लिए 100 फीसदी शुल्क माफी की घोषणा की

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जयपुर - भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) जयपुर की स्पाॅन्सर बाॅडी राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरयूजेसीटी) ने सत्र 2020-21 के लिए बी. वोक और एम. वोक कार्यक्रमों में नामांकित विश्वविद्यालय के सभी मौजूदा छात्रों के लिए ट्यूशन फीस माफी की घोषणा की है।   बीएसडीयू के प्रेसिडेंट डॉ. अचिन्त्य चैधरी  संकट के इस दौर में राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि हालांकि भारत के पास दुनिया के कुछ बहुत अच्छे शैक्षणिक संस्थान हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों से कुछ खास बदलाव नहीं आया है। उन्होंने आगे कहा कि ट्यूशन फीस में माफी, निश्चित रूप से इच्छुक छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाएगी, साथ ही उनके माता-पिता को भी सहारा मिलेगा जो कोविड-19 के चलते आर्थिक समस्याआंे से जूझ रहे हैं।   बीएसडीयू ने कहा कि विश्वविद्यालय ने नया प्रवेश लेने वाले बी.वोक के ऐसे छात्रों के लिए 100 फीसदी ट्यूशन फीस माफी नीति को भी आगे बढ़ाया है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय रुपए चार लाख से अधिक नहीं है। छात्रों द्वारा जिन वित्तीय कठिनाइयों का सामना किया जा रहा है, उन्हें देखत

कविता // बुढ़ापे के पायदान पर

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मौत को स्वीकारें, लम्बी यात्रा से थके-हारे, झील के किनारे, दीवार के सहारे, सांझ और सकारे, बैठे रहते हैं अनेकों बृद्ध, अनेकों पार्को में या सड़क के किनारे। श्वेत वस्त्र धारे, श्वेत केशों का पहने मुकुट, बगुले भगत  बने हैं  सब अनुभवी प्रबुद्ध, अतीत में खोई धूमिल आंखें, उदासी के कोहरे से घिरी, मधुमयी रोशनी तलाशती, थोड़ी सी भी मिल जाए कहीं से, सहानुभूति किसी अपने पराये से, शब्दों की मधुर चासनी में नहाई हुई।। बस अब इतना ही काफी है, उजड़ चुकी है मधुशाला, कोई नहीं अब साकी है। अब अतीत को जीते हैं, बीती यादों का रस पीते हैं, यादों के झरोखे समेटे हैं। चेहरे का रंग उतरने लगा है, चस्में का नम्बर बदलने लगा है, रिश्तों की गरमाहट शीतल हो रही है, मिलने जुलने की चाहत घटने लगी है, प्रश्नों का भंडार बढ़ने लगा है, उत्तर खो गये,घनी विस्मृतियों में, भावनाओं का मेला छंटने लगा है, बासी हंसी हंसते हैं अपने पराये, झूठ कहकर खुद को छलते हैं, गांठ के दाम गवांकर, बाजार को देख तरसते हैं।।

आईआईएम उदयपुर ग्लोबल एफटी एमआईएम रैंकिंग में लगातार शामिल होने वाला सबसे युवा बी.स्कूल

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इंडियन इंस्टीयूट आॅफ मैनेजमेंट का गुणवत्ता और प्रवीणता का गौरवशाली रिकाॅर्ड रहा है। आईआईएम उदयपुर इसी स्थापित परम्परा को आगे बढ़ा रहा है। आईआईएम, उदयपुर विश्वस्तरीय रिसर्च और छात्रों की पढ़ाई का तरीका बदलने  की दिशा में फोकस करते हुए नवाचार कर रहा है। उदयपुर ,  इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, उदयपुर को इसके दो वर्षीय एमबीए पाठयक्रम के लिए प्रतिष्ठित एफटी मास्टर्स इन मैनेजमेंट- 2020 की ग्लोबल रैकिंग मंे 72वीं रैंक मिली है। एफटी एमआईएम दुनिया भर के श्रेष्ठ 90 मास्टर्स इन मैनेजमेंट पाठयक्रमों की रैंकिंग करता है। आईआईएमयू वर्ष 2019 की रंैकिंग के मुकाबले इस बार चार रैंक उपर चढ़ा है। पिछली बार इसकी रैंकिंग 76 थी। इतना ही नहीं, आईआईएम अहमदाबाद, कोलकाता और बैंगलौर के बाद के बाद यह चैथा आईआईएम है, जिसे इस वर्ष इस रैंकिंग में जगह मिली है। एफटी रैंकिंग में मैनेजमेंट संस्थानों का कई मापदण्डों पर आकलन किया जाता है। इनमें एलुमनाई कॅरियर प्रोग्रेस और स्कूल डायवरसिटी और रिसर्च शामिल है। आईआईएम, उदयपुर ने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के मामले में प्रभावशाली 78 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं और सम्पूर्ण संतुष्टि

ट्रिप्स के मामले में दिल्ली-एनसीआर ऊबर के सर्वोच्च 10 बाजारों में

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ऊबर भरत की पहली राईड शेयरिंग कंपनी है, जिसने 40,000 प्रीमियम सेडान में फ्लोर-टू-सीलिंग सुरक्षा स्क्रीन या सेफ्टी ‘कॉकपिट’ इंस्टॉल की हैं। साथ ही ऊबर ने बजाज के साथ उद्योग की प्रथम साझेदारी की है, जिसके तहत देश में 1 लाख ऑटो में सुरक्षा स्क्रीन इंस्टॉल की गई हैं। नयी दिल्ली , ऊबर ने घोषणा कर बताया कि दिल्ली एनसीआर सितंबर माह में ली गई ट्रिप्स की संख्या के मामले में दुनिया के सर्वोच्च 10 बाजारों में आ गया है। दिल्ली एकमात्र भारतीय शहर है, जो सर्वोच्च 10 की सूची में आया है। इससे ऊबर के ग्लोबल पोर्टफोलियो में शहर का सामरिक महत्व प्रदर्शित होता है। यहां पर नागरिक हर हफ्ते 1 मिलियन से ज्यादा राईडस लेते हैं। दिल्ली के नागरिक लंबे लॉकडाऊन के बाद यात्रा पुनः शुरू कर रहे हैं। ऊबर के आंकड़े प्रदर्शित करते हैं कि कार आवागमन के सबसे चहेते माध्यम के रूप में उभरी है। इसके बाद कम खर्च वाले किफायती साधन, जैसे ऑटो एवं मोटो आते हैं। अन्य दिलचस्प राईडर ट्रेंड लंबी दूरी की ट्रिप्स की संख्या में वृद्धि दिखाते हैं। सप्ताह में सबसे व्यस्त घंटे सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच होते हैं। दिल्लीवासी ऊबर राईड के साथ न

आयुर्वेद आधुनिक समय में स्वास्थ्य और कल्याण के सभी मुद्दों का जवाब है

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नयी दिल्ली : स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में प्रीमियम नेचरल प्रोडक्ट उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूती देते हुए आयुर्वेदिक ज्ञान के साथ रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने वाले भारत के सबसे तेजी से बढ़ते आयुर्वेदिक ब्रांड उपकर्म आयुर्वेद ने अब अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को विस्तार दिया है। चूंकि, महामारी के दौरान स्वस्थ रहने पर ध्यान बढ़ गया है, इसलिए उपकर्म आयुर्वेद ने इम्युनिटी बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स की एक रेंज लॉन्च की है। नए लॉन्च किए गए प्रोडक्ट्स में शामिल हैं: इम्युनिटी-बूस्ट करने वाले ज्यूस (आंवला ज्यूस, एलोवेरा ज्यूस और तुलसी गिलोय ज्यूस) इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले ड्रॉप्स (आंवला ड्रॉप्स, करक्यूमिन ड्रॉप्स, गिलोय ड्रॉप्स, जिंजर ड्रॉप्स, तुलसी ड्रॉप्स)। प्रीमियम क्वालिटी च्यवनप्राश, जिसमें 30+ जड़ी-बूटियों और मसालों जैसे- आंवला, दालचीनी, पिप्पली, लौंग और अन्य की अच्छाई को शामिल किया है। शिलाजीत लिक्विड आयुष क्वाथ यह तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च और सौंठ के साथ अल्टिमेट काढ़ा है।   उपकर्म आयुर्वेद की इम्युनिटी-बूस्टिंग रेंज अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, न्याका जैसे सभी प्रम

सिर्फ दिन विशेष पर हिंदी के सम्मान का प्रचलन है वह बंद हो

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बैंक ऑफ इंडिया को मिला कीर्ति पुरस्कार। बैंक के प्रधान कार्यालय में हिंदी माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं जैसे सुलेख चित्र कहानी लेखन यूनिकोड में हिंदी टाइपिंग अखिल भारतीय स्तर पर ऑनलाइन राजभाषा ज्ञान प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया गया जिसमें सभी स्टाफ सदस्यों ने उत्साह पूर्वक सहभागिता की। नयी दिल्ली : बैंक ऑफ इंडिया को राजभाषा हिंदी में उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार वर्ष 2019 -20 भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया है । ज्ञातव्य है कि बैंक ऑफ इंडिया हिंदी भाषा के प्रयोग के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी अनुक्रम में बैंक में 15 अगस्त से 14 सितंबर तक हिंदी माह मनाया गया, हिंदी माह के समापन के अवसर पर बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ ए के दास,कार्यपालक निदेशक पी.आर  राजगोपाल एवं महाप्रबंधक धर्मवीर सिंह शेखावत की उपस्थिति में हिंदी में कार्य करने का संकल्प लिया गया। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री माननीय अमित शाह एवं कैबिनेट सचिव महोदय से प्राप्त संदेशों का वाचन भी किया गया। अपने संदेश में बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ ए के दास ने कहा कि कीर्ति प

नीलम सारंगी हरित झांसी स्वच्छ झांसी के लिए लोगों को प्रेरित करती हैं

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Bihar सरकार बेखबर बाढ़ का पानी गाँव,खेत में घुसा

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भारत का पहला लार्ज कैप फंड जो भारतीय एवं अमेरिकी कंपनियों में निवेश करेगा

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मुंबई , प्रिंसिपल असैट मैनेजमेन्ट ने नए फंड ऑफर (एनएफओ) प्रिंसिपल लार्ज कैप फंड का लॉन्च किया है, यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है, जिसे मुख्य रूप से लार्ज कैप स्टॉक में निवेश के लिए लॉन्च किया गया है। एनएफओ 28 सितम्बर से 12 अक्टूबर 2020 तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। फंड अपने 80-85 फीसदी कोष का आंवटन मार्केट कैप के द्वारा टॉप के 100 भारतीय लार्ज कैप स्टॉक्स में करेगा और 15 फीसदी तक निवेश 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर से उच्च मार्केट कैप के साथ यूएस स्टॉक में किया जाएगा। भारतीय एवं अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं तथा गिरती मुद्रा से विकास के अवसर प्राप्त करना लार्ज कैप फंड का मुख्य उद्देश्य है। यह फंड का बेंचमार्क निफ्टी 100 टोटल रिटर्न इंडैक्स के कम्पोज़िट इन्डैक्स के लिए बेंचमार्क होगा। जोखिम प्रबंधन एवं अस्थिरता को कम करते हुए, लार्ज कैप कंपनियों की इक्विटी एवं इक्विटी संबंधी सिक्योरिटी सहित विविध पोर्टफोलियो में निवेश द्वारा पूंजी के मूल्य में दीर्घकालिक वृद्धि को सुनिश्चित करना प्रिंसिपल लार्ज कैप फंड का उद्देश्य है। यह फंड प्रिंसिपल की विश्वस्तरीय विशेषज्ञता एवं अनुभव से प्राप्त किया जाएगा और

गुणवत्ता में बदलाव नहीं हुआ लेकिन अब संगीत की मात्रा में बदलाव आया है :संतूर महानायक पं. शिव कुमार शर्मा

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पं. शिव कुमार शर्मा  एक हाथ से शास्त्रीय गायन, एक अज्ञात 100, तारांकित (शततंत्री वीणा) संगीत वाद्ययंत्र, शास्त्रीय भारतीय संगीत वाद्ययंत्र और संगीत के पवित्र पोर्टल्स के ज्ञाता हैं। पं. शिव कुमार शर्मा ने संतूर को पूरे विश्व में एक अलग पहचान दी, जिसके कारण इसे वैश्विक लोकप्रियता हांसिल हुई। वह भारतीय फिल्मों में संतूर पेश करनेवाले पहले व्यक्ति भी रह चुके हैं। कोलकाता :  कुछ अदृश्य दैवीय शक्तियों ने जीवनभर मेरा मार्गदर्शन किया है और मेरा पूरा ध्यान संतूर शिक्षा पर केंद्रीत किया है। संगीत किसी संगीत कार्यक्रम के जरिये नहीं बल्कि संगीत यहां दिल और दिमाग में हर समय चलता है। श्री सिमेंट एवं कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘एक मुलाकात’ कार्यक्रम के ऑनलाइन सत्र में भारत के अष्टकोणीय संत कथा के पंडित शिव कुमार शर्मा ने यह बातें कही। वह सुप्रसिद्ध लेखक, जीवनी लेखक और कला ज्ञानी इना पुरी के साथ विचारों के आदान प्रदान के दौरान अपनी पुरानी यादों को ताजा कर रहे थे। इस ऑनलाइन सत्र में देश के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे शहरों में मौजूद सैकड़ों संगीत प्रेमियों

कविता // जीवन की आधारशिला हैं बेटियां

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कै० सुरेंद्र सिंह बिष्ट मन मंदिर , घर मंदिर है तो, उस मंदिर की मूर्ति हैं बेटियां, स्वप्नो की संम्पूर्ण संसार हैं जीवन की आधारशिला हैं बेटियां, भारतीय संस्कृति की पहचान, भारत मां की शान हैं बेटियां।। बेटी नहीं होती तो, देवी शक्ति नहीं होती, वंदे मातरम् भी नहीं होता, नहीं रानी झांसी होती, कोई साक्षी मलिक नहीं, नहीं पी बी सिंधु ही होती।। हे दमनकारी मानव, अहंकार में क्यों डूबा है, कुदरत का कर अपमान, कैसा तिरस्कार कर रहा है, बेटी के जन्म पर मातम मना रहा, बेटे के जन्म पर खुशियां बांट रहा है।। भारत मां के झूठे नारे लगाने वालों, सत्तर सालों से लगा रहे हो, जो बची हुई हैं बेटियां, उन पर क्यों जुल्म ढा रहे हो। अब बेटी बचाओ और पढ़ाओ,   के स्वर में स्वर मिला रहे हो।। नारे बदलने से सोच कहां बदलती है, अत्याचारों की अभी झड़ी लगी है। बेटियां तो भारत मां की शान हैं। बेटियों के पीछे ही भारत महान है।। कभी ये भारत सोने की चिड़िया था, सम्पूर्ण भारत देवभूमि देवतुल्य था। बेटियां हैं तो जहान हैं, वरना दुनियां फिर कब्रिस्तान है बेटियां हैं तो भारत महान है, बूटियों से मिला हमें भारत मां, वंदे मातरम् का सम्मान ह

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक पहल

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उ०प्र० झांसी की नीलम सारंगी ने एक ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया । जिसमें उन्होंने लोगों को पुरानी वस्तुओं को सजावटी सामान में परिवर्तित करना सिखाया । इस कला के माध्यम से इस आर्थिक संकट के समय में जीविका कमाने का एक माध्यम भी बताया और इस कला को एक मार्केट के तौर पर प्रदर्शित किया। आयोजित सेमिनार में लोगों ने काफी उत्सुकता से इस विषय में रुचि दिखाते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। नीलम सारंगी कई सालों से स्वार्थ रहित होकर एक हरित झांसी  स्वच्छ झांसी के लिए लोगों को प्रेरित करती आई हैं ।और अब उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए भी आगे आकर लोगों को प्रेरित करना शुरू कर दिया है ।इस सेमिनार में डॉ नीति शास्त्रीय ,स्वप्निल  मोदी ,दिल्ली नगर निगम से सुषमा भंडारी ,रायबरेली से डॉक्टर ममता शुक्ला के साथ-साथ विभिन्न अन्य शहरों के लगभग 60 गणमान्य लोगों ने सहभागिता की।

पलायन रोका जा सकता है,धरती सोना उगल सकती है यदि हाथ सबल हों

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विजय सिंह बिष्ट उत्तराखंड की धरती में यदि काम करने वाले परिश्रमी हों तो धनार्जन के लिए शहरों की ओर उन्मुख होना आवश्यक नहीं है।उत्तराखंड की धरती में नकदी फसलों के रूप में मिर्च,चौलाई, और सोयाबीन को प्रमुखता से पैदा किया जाय तो, छः माह में आदमी हजारों रुपए कमा सकता है। वेदीखाल*क्षेत्र बीरोंखाल ग्राम भरपूर छोटा में श्रीमती हिमानी रावत एक कुशल गृहिणी है।वह अपने परिवार में सास ससुर के साथ घर में खेती पाती करती है। ड्राइवर मोहन सिंह अपनी टैक्सी चलाते थे और अब अपनी खेती पाती में जुड़ गए हैं। ऐसा इसलिए कि जितना ड्राइवरी में नहीं निकलता अपने खेतों में मेहनत करके निकल आता है। इनके खेत में मिर्चो की लहलहाती फसल को देखकर कितने आनंद की अनुभूति होती है। ऐसे यदि इनके चार खेतों में मिर्ची लगी हो और सुखाने पर वह एक क्विटल निकल आए तो तीन सौ रुपए किलो बिकने वाली मिर्ची से कितना लाभ होगा। ऐसे ही सोयाबीन भी  पिछले सालों अस्सी रुपए किलो के भाव गया था अब बढ़कर ही जायेगा। चौलाई का भाव भी चालीस रुपए किलो के लगभग होता है। ये सारी फसलें बरसाती फसलें है। इसमें छोटा सा छोटा किसान वर्ष भर में पच्चास हजार रुपए कमा स