कूटनीति में कोई देश किसी का स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता
0 आर.के. सिन्हा 0 जब भारत की चीन और पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर तनाव कई महीनों से बरकरार चला आ है. तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दिवाली पर देश की सीमाओं की रखवाली करने वाले जवानों के साथ रहना अत्त्यॅंत ही महत्वपूर्ण है। वे तो पिछले कई वर्षों से दीपोत्सव देश के जवानों के साथ ही मनाते रहे हैं। उन्होंने कहा की उनकी दिवाली तभी पूर्ण होती है जब वह जवानों के साथ होते हैं , चाहे वह बर्फ से ढके पहाड़ हों या रेगिस्तान। इस बार प्रधानमंत्री ने साफ संकेतों में चीन और पाकिस्तान को सॅंयुक्त रूप से यह बता दिया है कि “ आज का भारत समझ और पारस्परिक अस्तित्व में विश्वास तो जरूर रखता है लेकिन अगर हमारे धैर्य की परीक्षा ली जाएगी तो हम उसी भाषा में हम भी बराबरी से जवाब देंगे।” कहना न होगा कि उनका संदेश बीजिंग से लेकर इस्लामाबाद तक तो चला ही गया होगा। चीन-पाकिस्तान को ललकारने का मतलब भारत अपने इन चिऱ शत्रुओं से सरहद पर प्रति दिन ही लोहा ले रहा है। लेकिन , भारत को तो अपने इन दुष्ट पड़ोसी मुल्कों की नापाक हरकतों का मुकाबला करने के लिए हर वक्त चौकस और तैयार तो रहना ही होगा। ये द