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130 करोड़ हिंदुस्तानियों का मान पूरी दुनिया में प्रदाशित करता है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस:- स्वामी विक्रमादित्य

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० इरफ़ान राही ०  नई दिल्ली-अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2022 के भव्य आयोजन में विवेकानंद योग आश्रम दिल्ली के संस्थापक डॉक्टर स्वामी विक्रम आदित्य ने 130 करोड़ भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा के योग सिर्फ 130 करोड़ हिंदुस्तानियों को आपस में जोड़ता ही नहीं बल्कि इनकी एकता अखंडता और मान को पूरे विश्व पटल पर प्रस्तुत करता है आज भारत सरकार के आयुष मंत्रालय व प्रधानमंत्री के साथ मिलकर हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस स्वास्थ्य,शक्ति और एकता की डोर में ओतप्रोत होकर बना रहे हैं । इस कार्यक्रम में राज्यसभा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आह्वान करते हुए कहा के योग के अर्थ हैं जोड़ इसलिए आज 130 करोड़ भारतीयों का जोड़ है यानी योग दिवस है जिसे पूरा विश्व बहुत ही तन्मयता के साथ मना रहा है यह भारत देश की संस्कृति और एकता अखंडता का बहुत बड़ा प्रतीक है जिसे हम सबको मिलकर एकता और अखंडता के साथ मनाना चाहिए और विश्व को गांधी के देश की छवि प्रदर्शित करनी चाहिए। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ फ़हीम बेग ने अपनी बात रखते हुए कहा योग किसी धर्म किसी जाति से ताल्लुक नहीं रखता यह 130 करोड़ हिंदुस्तानियों के लिए ही नहीं ब

क्रिप्टो, स्टॉक और गोल्‍ड: इन परिसंपत्ति वर्गों के लिए क्या होनी चाहिए आपकी रणनीति

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - बाजार में परिसंपत्ति वर्गों के बीच प्रतिस्पर्धा जारी है। निवेश विकल्पों की भरमार के साथ निवेश निर्णय लेना एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। जबकि सोना अभी भी अपनी पारंपरिक चमक को बरकरार रखे हुए है, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-परिसंपत्तियां पिछले कुछ वर्षों से बाजार में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। वैकल्पिक रूप से, शेयर बाजार एक आकर्षक निवेश अवसर के रूप में गति हासिल कर रहा है। परिसंपत्ति वर्गों में इसके अलावा बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, कमोडिटीज शामिल हैं, और यह सूची आगे बढ़ती ही जा रही है। यहां, महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उच्च-रिटर्न वाला निवेश कैसे किया जाए। इसका जवाब है कि अनुकूल परिसंपत्ति वर्गों को अपने पास रखा जाए या उनमें निवेश को जारी रखा जाए जो जोखिम को कम करते हुए स्थायी रिटर्न सुनिश्चित करते हैं। क्रिप्टो क्रिप्टो करेंसी पिछले दस वर्षों में एक विशिष्ट परिसंपत्ति वर्ग के रूप में उभरी है। यह एक सट्टा संपत्ति है जिसमें उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न की संभावना है। उदाहरण के लिए, पिछले कुछ महीनों में, हमने देखा है कि कैसे एक ट्वीट इसके मूल्य को 20% तक बढ़ा

सुप्रसिद्ध गायिका मनीषा ए अग्रवाल ने "स्प्रिचुअल सिम्फनी” भक्ति संगीत समारोह से श्रोताओं को भक्तिभाव से परिपूर्ण किया

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0  योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली  : विश्व संगीत दिवस के अवसर पर अर्पण फाउंडेशन की संस्थापक और ट्रस्टी, मनीषा ए. अग्रवाल ने कमानी सभागार में भक्ति संगीत के सुरों में डूबा एक अनोखा कॉन्सर्ट “स्प्रिचुअल सिम्फनी” प्रस्तुत किया। भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री. किशन रेड्डी ने इस भव्य समारोह का उद्घाटन किया। भक्ति संगीत से लबरेज़ इस कॉन्सर्ट को “आज़ादी का अमृत महोत्सव” और संगीत नाटक अकादमी के “ज्योर्तिगमय” के तहत पेश किया गया। “स्प्रिचुअल सिम्फनी” में पद्मभूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट, पदमश्री अनूप जलोटा, मनीषा ए. अग्रवाल, पदमश्री अनवर खान और रवि पवार ने संगीतमय सुरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इस कॉन्सर्ट को 108 कलाकार, पंडित-पुरोहित और क्रू ने ऐसा पिरोया, के पूरे माहौल को भक्ति भावना से परिपूर्ण कर दिया। इस अवसर पर मनीषा ए. अग्रवाल ने कहा, “संगीत में लोगों को जोड़ने की अदभुद शक्ति है। मैं संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की आभारी हूं, जिन्होंने संगीत के माध्यम से भारत की एकता का जश्न मनाने का हमें मौका दिया।“ मनीषा ने बताया, “हमने इस कॉन्सर्ट को ख़ास “आज़ादी का अमृत महोत्सव” के लिए रचा है।

सूरज तिवारी की पुस्तक 'विश्वविद्यालय जंक्शन' का विमोचन

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली । हिंदी के प्रख्यात कवि एवं ललित निबंधकार अष्टभुजा शुक्ल ने कहा है कि आज कागज पर लिखने की संभावनाएं खत्म होती जा रही हैं। हम आभासी समय में जी रहे हैं। 'ग्लोबल विलेज' की अवधारणा ने हमें 'वर्चुअल वर्ल्ड' में पहुंचा दिया है। शुक्ल मंगलवार को भारतीय जन संचार संस्थान के छात्र  सूरज तिवारी की पुस्तक 'विश्वविद्यालय जंक्शन' के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। पुस्तक का प्रकाशन यश पब्लिकेशंस ने किया है। इस अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, हिंदी पत्रकारिता विभाग के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. आनंद प्रधान, डॉ. राकेश उपाध्याय, यश पब्लिकेशंस के निदेशक जतिन भारद्धाज एवं पुस्तक के लेखक सूरज तिवारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए अष्टभुजा शुक्ल ने कहा कि एक वक्त था जब साहित्य का केंद्र दिल्ली हुआ करता था। दिल्ली पर गालिब ने भी अपनी कविता लिखी। लेकिन अब दिल्ली में साहित्य का जो केंद्रीकरण हो रहा था, उसका अब विकेंद्रीरण हो रहा है। छोटे शहरों, नगरों और

अपने कार्यों को कुशलता पूर्वक करना ही योग है और यह उत्तम जीवन शैली है

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली -  केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस दिवस मनाया गया। इस उपलक्ष्य में इस विश्वविद्यालय के विविध राज्यों में अवस्थित परिसरों ने भाग लिया। इस उपलक्ष्य में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, मुख्यालय, दिल्ली में नेशनल हार्ट इन्स्टीट्यूट, दिल्ली के जाने माने वरिष्ठ हृदय रोग चिकित्सक डा हरीश द्विवेदी ने इस योग दिवस के एक संगोष्ठी में व्याख्यान देते कहा कि योग की ऐतिहासिकता गीता में श्रीकृष्ण तथा अर्जुन के संवाद में भी स्पष्टत: पढ़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा है महर्षि पतंजलि ने इसकी दार्शनिक स्थापना की।  उनका मानना था कि अपने कार्यों को कुशलता पूर्वक करना ही योग है और यह उत्तम जीवन शैली है। इससे मनुष्य का जीवन बहुत ही अच्छा बनाया जा सकता है। उन्होंने योग दर्शन के प्रणायाम तथा अनुलोम - विलोम यौगिक क्रियाओं के महत्त्व को बताते हुए कहा कि इसने कोविड-19 महामारी में भी जीवनोपयोगी प्रमाणित हुआ है। डा द्विवेदी के अनुसार योग से न्यूरांस अर्थात चेतना अंश प्रखर हो उठता है। उन्होंने विशेष कर यु

बच्चों की परवरिश में पिता की भूमिका' पर आधारित छायाचित्रों की तीन दिवसीय प्रदर्शनी

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० कल्याण सिंह कोठारी ०  जयपुर - जवाहर कला केंद्र के सुरेख ऑर्ट गैलरी में 'बच्चों की परवरिश में पिता की भूमिका' पर आधारित छायाचित्रों की तीन दिवसीय प्रदर्शनी का समापन हुआ। प्रदर्शनी अंतराष्ट्रीय फादर्स डे के अवसर पर 'खाना- खेल- प्यार' के विषय पर आयोजित की गई। राजस्थान यूनिसेफ एवं लोक संवाद संस्थान के तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी में देश के विभिन्न भागों से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। छाया चित्रों में से प्रदर्शनी के लिए विशेष जूरी द्वारा 38 छाया चित्रों का चयन किया गया। जयपुर स्थित चयनित प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र यूनिसेफ के संप्रेषण विशेषज्ञ अंकुश सिंह, प्रदर्शनी क्यूरेटर डॉ. ताबिना अंजुम, फोटोग्राफर प्रो. हिमांशु व्यास, पुरुषोत्तम दिवाकर, महेश स्वामी, सचिव कल्याण सिंह कोठारी द्वारा प्रदान किए गए। प्रतिक्रिया देने वाले अनेकों दर्शकों में शामिल पूर्व आई ए एस अधिकारी राजेन्द्र भानावत दर्शक पुस्तिका में लिखा कि 'तस्वीरें एक फ्रेम में इतना कुछ कह देती हैं जो हजार शब्दों में नहीं कहा जा सकता।' इस प्रदर्शनी को लेकर जयपुरवासियों में बहुत उ

एक शाम सुपरिचित कवि, लेखक, अनुवादक, संपादक और समीक्षक सुरेश सलिल के नाम

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० ओम पीयूष ०  नयी दिल्ली-  प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित अपने जीवन के इक्यासीवें सोपान को स्पर्श कर रहे सुपरिचित कवि, लेखक, अनुवादक, संपादक और समीक्षक  सुरेश सलिल ने जीवन सफ़र की ऊबड़- खाबड़ या यूं कहें टेढ़ीमेढ़ी पगडंडियों पर अपने सधे कदम अदम्य हिम्मत से आगे बढ़ाते हुए अपनी रचनात्मक जिजीविषा का विशिष्ट आयाम गढ़ने में अप्रतिम कामयाबी हासिल की है। विगत साठ साल से लेखन की श्रम साधना में वह सतत संलग्न हैं।  19 जून 1942 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के ग्राम गंगादासपुर में जन्मे सुरेश सलिल ने भिन्न भिन्न पत्र पत्रिकाओं में काम करने के अतिरिक्त पांच साल 1983-87 तक पाक्षिक युवक धारा का संपादन किया।साठोत्तरी कविता 1967 में एक कवि के बतौर प्रथम प्रस्तुति और जापानी साहित्य की झलक में भी वह सहभागी बने। इसके बाद उनके छः कविता संग्रह तथा एक गद्य संग्रह पढ़ते हुए प्रकाशित हुए। इसके अतिरिक्त बीसवीं सदी के विश्व कविता का संचयन रोशनी की खिड़कियाँ तथा नाज़िम हिकमत, पाब्लो नेरूदा, लोर्का, इशिकाना, ताब्सुबोकु (जापानी) , निकोलास गीयेन, हंस माग्नुस, एन्तसेन्स, बर्गर कवाफी के काव्यानुबादों के संचयन स्वतंत