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Delhi सैफी समाज ने देश की तरक्की और सौहार्द के लिए मांगी दुआ { Qutub Mail }

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Book Released प्राकृतिक चिकित्सा से कैंसर से बचाव पर पुस्तक { Qutub Mail }

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G20 का अंतर्राष्ट्रीय महिला महाकुम्भ जयपुर में हुआ शुरू

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० आशा पटेल ०  जयपुर।  जयपुर में दो दिन तक चलने वाली जी 20 (डब्ल्यू20) की दूसरा अंतर्राष्ट्रीय महाकुम्भ का भव्य शुभारम्भ हुआ । इस अंतर्राष्ट्रीय बैठक की थीम है-महिलाओं के नेतृत्व में विकासः समावेशी विकास और सतत भविष्य को गति देने के लिए महिलाओं की अप्रयुक्त क्षमता का लाभ उठना। बैठक में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास से संबंधित महत्वपूर्ण और आवश्यक मुद्दों पर चर्चा की गई। डब्ल्यू20 इंडिया की अंतर्राष्ट्रीय बैठक का उद्घाटन 13 अप्रैल को जयपुर में डॉ संध्या पुरेचा, अध्यक्ष महिला20 इंडिया, महिला 20 इंडोनेशिया की अध्यक्ष सुश्री हद्रियानी उली सिलालाही, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य प्रो. शमिका रवि, जी20 इंडिया के शेरपा अमिताभ कांत, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदेवर पांडे, सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट और महिला20 की भारतीय प्रतिनिधि बांसुरी स्वराज,महिला20 सचिवालय की मुख्य समन्वयक श्रीमती धरित्री पटनायक समेत कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया  डब्ल्यू20 इंडिया की मुख्य समन्वयक सुश्री धरित्र

रतिकांत "कैप्सूल गिल" और आने वाली फिल्म "अनुभा" में मुख्य भूमिका में नज़र आयेंगे

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०  संत कुमार गोस्वामी ०  मुंबई - व्यक्ति का स्वभाव आत्मीयता का भाव ज़िद आसमा की छूने की हो इनकी चाहत ने मशहूर छोटे पर्दे हो या बड़े पर्दे पर अपनी छटा बिखेरी हैं बॉलीवुड में अपनी पहचान अख्तियार किए मशहूर एक्टर रतिकांत कामिला इनकी शार्ट फिल्म "भूख "जो गरीबी से जूझ रहे परिवार हर हालातों का सामना डटकर करना हिम्मत की दाद देते है । शॉर्ट फिल्म भूख ने दर्शको को देखने पर मजबूर की बहुत पॉपुलर रही बहुत तारीफ भी हुई । चांद सीट कॉलोनी में देखे जाने और स्वीकार किए जाने से ज्यादा गर्व की बात क्या हो सकती है? हर कोई बॉलीवुड सेलिब्रिटी की जिंदगी जीना चाहता है। और एक अभिनेता जिस व्यक्तित्व को चित्रित करता है वह उसे हर किसी का पसंदीदा बनाता है। रतिकांत कामिला एक ऐसे अभिनेता हैं जो प्रशंसकों के पसंदीदा साबित हुए हैं। उन्होंने कई फिल्मों में अपनी कलात्मक हुनर दिखा चुके है उनके द्वारा निभाए गए सभी पात्रों को दर्शक ने काफी सराहना करते है अंदाज वही जिसको दर्शक की पसंदीदा लगे इनको जो भी अदायेगी मिली उसे नेचुरली निभाई । रतीकांत कामिला का जन्म और पालन-पोषण भारत के ओडिशा के बालेसोर क्षेत्र के एक छोटे स

विवान शाह और संजय मिश्रा की फ़िल्म "कोट" का पोस्टर जारी, 26 मई को होगी रिलीज

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०  संत कुमार गोस्वामी  ०  मुंबई - बॉलीवुड में उत्तर भारत विशेष रूप से पूर्वांचल की कहानियों पर आधारित फ़िल्मों और वेब शोज़ को दर्शकों ने हमेशा पसंद किया हैं गंगाजल, गैंग्स ऑफ वासेपुर, ख़ाकी द बिहार चैप्टर, मिर्जापुर, जहानाबाद, महारानी, सूपर ३० जैसी पूर्वांचल की कहानियों हिट रही। जिला नालंदा बिहार शरीफ के युवा लेखक की कहानी पर आधारित फ़िल्म कोट रिलीज़ के लिए तैयार हैं। विवान शाह और संजय मिश्रा स्टारर हिंदी फ़िल्म कोट की रिलीज डेट पोस्टर फिल्म के निर्माताओं ने सोशल मीडिया पर जारी किया गया । फिल्म देश भर के सिनेमागृह में 26 मई को रिलीज होगी। यह कहानी बिहार के एक छोटे से गांव के लड़के माधो की है, जो सरल लेकिन सपने देखने वाला है। वह और उसके पिता सुअर पालन करते हैं, जो भारतीय गाँव में निम्न श्रेणी का व्यवसाय है। भारत में तेजी से बढ़ती इस टेक्नोलॉजी व्यवस्था में वह भी अच्छा दिखना और कुछ बड़ा करना चाहता है। लेकिन वह ऐसा कैसे कर रहा है। एक दिन कुछ एनआरआई उनके गाँव में आते हैं जहाँ उन्होंने उनकी पोशाक (कोट) देखता हैं । माधो अपने लिए उसी तरह का सूट पाने के लिए कुछ तरकीब लगाता है लेकिन असफल रहता ह

डा बाबा साहब ने न केवल सामाजिक अपितु भाषिक समरसता पर बल दिया

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - डा बाबा साहब ने न केवल सामाजिक अपितु भाषिक समरसता पर बल दिया और वे एक बहुभाषाविद् के रुप में सम्मानित रहें । यही कारण है कि संस्कृत को वे राष्ट्र भाषा के रुप में स्थापित करना चाहते थे । संभवतः इसलिए भी कि लगभग सभी भारतीय भाषाओं पर संस्कृत की प्रत्यक्ष या परोक्ष छाया भाषा संरचना या शब्दावली के रुप में देखी जा सकती है । आज जो भाषा के नाम पर विवाद खड़ा किया जा रहा है ,उसका भी समाधान इससे खोजा जा सकता था ।  केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने भारत के महान सपूत भारत रत्न डा भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के उपलक्ष्य पर कहा है कि वे राष्ट्र निर्माणकर्ताओं में से एक अति महत्त्वपूर्ण स्तम्भ थे । उन्होंने संविधान निर्माण तथा सामाजिक समरसता तथा न्याय, स्त्री जागृति,शिक्षा और समाज के अन्त्योदय के विकास के लिए जो अमूल्य योगदान दिया उसके लिए नियमवेत्ता, अर्थशास्त्री राष्ट्रचिन्तक , बहुभाषाविद्, मानव अधिकार संरक्षक तथा समाज सुधारक डा बाबा साहेब का राष्ट्र सदा ऋणी रहेगा । कुलपति प्रो वरखेड़ी ने इस बात पर बल देते य

अंबेडकर के संघर्ष ने दी लाखों लोगों को उम्मीद : डॉ. जाधव

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली। भारत के संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती पर भारतीय जन संचार संस्थान द्वारा आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुए पूर्व राज्‍यसभा सांसद एवं पुणे विश्‍वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. नरेन्‍द्र जाधव ने कहा कि अंबेडकर ने अपना जीवन विषम परिस्थितियों में व्यतीत किया और उनके संघर्ष ने लाखों लोगों को उम्मीद दी। उन्होंने कहा कि भारत को इतना व्यापक संविधान देने के उनके प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।  इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार सहित सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थि‍त रहे। ‘भारत रत्‍न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर : एक बहुआयामी प्रतिभा’ विषय पर आयोजित व्‍याख्‍यान को संबोधित करते हुए डॉ. जाधव ने कहा कि डॉ. अंबेडकर के व्‍यक्तित्‍व के अनेक ऐसे पक्ष हैं, जिन पर अलग-अलग लंबी चर्चा की जा सकती है। इनमें वे एक महान अर्थशास्‍त्री, शिक्षाविद्, समाज सुधारक, कानूनविद्, संविधानविद्, एंथ्रोपोलॉजिस्‍ट, आर्थिक प्रशासक, जातिप्रथा के उन्‍मूलक जैसे विभ