कब तक देखेंगे,नारी पर अत्याचार
कब तक देखेंगे,
नारी तेरे पर अत्याचार
दुर्गा के रूप को धर,
फिर कर उसका संहार।
सच्छी होंगी निर्भया,
करेंगी सबका उपकार।
दुष्ट दलन को लिया था,
जिसने अवतार।
जागा सारा भारत पर,
नहीं जागी सरकार।
इसीलिए हर दिन होता,
नारी का बलात्कार।
उम्र न पूछो बलात्कारी की,
फांसी दे सरकार।
कच्ची कलियों को भी तोड़े,
नाते रिश्ते तो बेकार।
कौन रोकेगा इस धरती से,
नर पिशाचों के संस्कार।
सबल बनाना होगा नारी,
सुरक्षा का अधिकार।
मानवता की जंजीरों को,
तोड़ते कुसंस्कार।
करना होगा बलात्कारियों,
का अंतिम संस्कार।
कुचालों से नग्न नृत्य कर,
क्यों करते हो अत्याचार।
वे तो अपनी ही मां बहिना हैं
रक्षा सूत्रों से करती जो,
तुम्हारा उपकार।
कब तक कैंडल जलाते रहें,
कब जागेगी सरकार।
फांसी के फंदों पर डालो,
तब रुकेगा अत्याचार।
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