‘राष्ट्रीय बाल साहित्यकार वेबीनार 2020 : बाल साहित्य का महत्व वैसा ही है जैसा घर में बालक का
साहित्य में एकांकी विद्या भी अत्याधिक लोकप्रिय है। यह भी कहानी का संवाद रूप है जिसमें मंचन के वक्त अभ्निव का समावेष हो जाता है। उन्होंने अनेक उदाहरणों द्वारा बाल नाटकों को जीवन रूपांतरण का महत्वपूर्ण आयाम बताया। नयी दिल्ली - राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत एवं सलिला संस्था सलूंबर के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय बाल साहित्यकार पर आधारित दो दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें देशभर के बाल साहित्यकारों ने सक्रिय सहभागिता निभाई। संस्था की संस्थापक एवं अध्यक्ष डाॅ विमला भंडारी ने सलिला के बाल साहित्य कार्यक्रमों व परंपराओं का उल्लेख किया। कार्यक्रम का प्रारंभ शकुंतला सरूपरिया की मधुर भावपूण सरस्वती वंदना से हुई। राष्ट्रीय बाल साहित्यकार वेबीनार 2020 के उद्धधाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के अध्यक्ष प्रो गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि ‘‘बाल साहित्य का महत्व वैसा ही है जैसा घर में बालक का। साहित्य में बाल साहित्य के बिना अधुरापन है, सूनापन है। प्रोढ़ साहित्य में भाव व रस के विभिन्न स्वरूप हमें दिखाई देतेे है मगर बाल साहित्य सात्विक, सरल व निर्मल होता ...