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मीडियाकर्मियों को लोकमंगल के साथ-साथ आत्ममंगल पर भी विचार करना चाहिए

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० योगेश भट्ट ०  नागपुर । ''पत्रकारों को जीवन और जीविका के बीच संतुलन बनाए रखने की जरुरत है। सकारात्मक होने के लिए सकारात्मक जीवन जीना आवश्यक है। मीडियाकर्मियों को लोकमंगल के साथ-साथ आत्ममंगल पर भी विचार करना चाहिए। ध्यान, प्राणायाम और नेचुरोपैथी को अपना कर पत्रकार मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं और अपने पत्रकारिता कर्म को श्रेष्ठ बना सकते हैं।'' यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने 'मेंटल हेल्थ ऑफ यंग मीडिया प्रोफेशनल्स' विषय पर आईआईएमसी, अमरावती एवं यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। नागपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दैनिक भास्कर, नागपुर के समूह संपादक प्रकाश दूबे ने की। आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्र