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लोकसभा चुनाव में कायस्थ उम्मीदवारों को ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस समर्थन देगा

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० योगेश भट्ट ०  पटना । ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस ने लोकसभा चुनाव में देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र से किसी भी दल से या निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कायस्थ प्रत्याशियों को अपना समर्थन देने का निर्णय लिया है । इस आशय का निर्णय ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया । जीकेसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक कुमार अभिषेक ने यहां बताया कि ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस ने  लोकसभा चुनाव में आसनसोल (पश्चिम बंगाल) से तृणमूल कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा , पटना से भाजपा के रविशंकर प्रसाद , भोपाल से कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव, रांची से कांग्रेस की यशस्विनी सहाय और उत्तर प्रदेश के लखनऊ पश्चिम से विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशी ओपी श्रीवास्तव को अपना समर्थन देने का फैसला किया है । जीकेसी ने अपने सभी सदस्यों को पूरी ताकत से इन उम्मीदवारों को विजयी बनाने में लग जाने को कहा है । प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने बताया कि जीकेसी की सभी प्रदेश इकाइयों को यह निर्देश दिया गया है कि जिन क्षेत्रों से कायस्थ प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हों, चाहे वह किसी भी पार्टी से हो , उन्हें अपना भ

इमर्जेंसी मेडिकल प्रोटोकॉल (पी.ओ.ई.एम.) किताब का विमोचन

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली : डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी (बीआरसी), आचार्य मनीष एवं डॉ सुनील चव्हाण ने दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में बहुप्रतीक्षित हिम्स मेडिकल एकेडमी (एचएमए) के शुभारंभ की घोषणा की। विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर एकेडमी के ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का अनावरण किया गया। इस मौके पर, डॉ बीआरसी की 31वीं पुस्तक- पी.ओ.ई.एम. (आपातकालीन चिकित्सा प्रोटोकॉल) का विमोचन किया गया।  डॉ बीआरसी ने कहा, “एचएमए भारत का पहला व एकमात्र संस्थान है जो प्राचीन ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़ता है। एकेडमी मानती है कि चिकित्सा शिक्षा का महत्व चिकित्सा उपचार से अधिक है। इस आदर्श वाक्य के साथ, एकेडमी में बैचलर्स डिग्री प्रोग्राम और कुछ फ्लेक्सिबल सर्टिफिकेशन कोर्स कराए जाते हैं, जिनमें एकीकृत चिकित्सा पर तीन माह का एक ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स और प्राकृतिक चिकित्सा व योग विज्ञान में 4.5 साल का स्नातक डिग्री प्रोग्राम (बीएनवाईएस) शामिल है। हिम्स के संस्थापक, आचार्य मनीष ने कहा, ''जीवनशैली में परिवर्तन और आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों से प्राण-घातक रोगों का इलाज संभव है। हिम्स में