महिला पत्रकारों के समक्ष चुनौतियां सम्मान के लिए और संघर्ष करना होगा
गीता यादव, वरिष्ठ पत्रकार 1960 के दशक के बाद, पत्रकारिता में महिलाओं ने कदम रखा। शुरूआती दौर में इस क्षेत्र में मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग की महिलाएं आईं। 1980 के दशक से परिदृश्य बदला। महिलाएं पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़ी संख्या में आने लगीं। आज कई महिलाएं संपादक, रिपोर्टर और टेलीविज़न एंकर के पदों पर काम कर रही हैं। मीडिया में महिलाओं की बढ़ती भगीदारी के साथ ही महिला पत्रकारों के समक्ष नित नई चुनौतियां उभरकर सामने आ रही हैं। महिला पत्रकारों को एक ओर जहां परिवार के स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर समाज और कार्यस्थल पर भी उनकी चुनौतियां कम नहीं हैं। मीडिया ऐसा क्षेत्र है, जहां आपको वक्त, बेवक्त कहीं भी आने-जाने के लिए तैयार रहना पड़ता है। बड़ी खबरें रात के 12 बजे आए या 2 बजे, कवर करना ही होगा। घर और परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए, ऐसा कर पाना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है। मां बनने के बाद 40 प्रतिशत महिलाओं को नौकरी छोडऩी पड़ती है। वैसे देखा जाए तो मीडिया में पहले की तुलना में अब महिलाओं के लिए ज्यादा अवसर हैं, लेकिन जो चीज बदलती नहीं दिख ...