पुस्तक : ‘ख़ुशबु तो बचा ली जाए’,‘परत-दर-परत’ और ‘झुकी डालियाँ बरगद की’ पर परिचर्चा
० संवाददारा द्वारा ० नयी दिल्ली : दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा पी.जी.डी.ए.वी. (सांध्य) कॉलेज, विनोबा पुरी के सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की पुस्तक ‘‘ख़ुशबु तो बचा ली जाए’ ( ग़ज़ल संग्रह ) पर सुषमा भण्डारी द्वारा किए गए शोध और उसी ग़ज़ल संग्रह का हाइकु और दोहा विधाओं पर किए गए रूपातंरण पुस्तक : ‘ख़ुशबु तो बचा ली जाए’, ‘परत-दर-परत’ और ‘झुकी डालियाँ बरगद की’ पर एक पुस्तक परिचर्चा का आयोजन किया गया । पुस्तक परिचर्चा पर अतिथियों के रूप में हरे राम समीप, त्रिलोक कौशिक, सुभाष नीरव, डॉ. लक्ष्मीशंकर वाजपेयी और सुधाकर पाठक की उपस्थिति थी । अतिथियों के सम्मान के बाद तीनों पुस्तकों का लोकार्पण किया गया । इस अवसर पर सुषमा भण्डारी द्वारा लिखित बाल साहित्य की पुस्तक ‘नई कहानी’ का भी लोकार्पण किया गया । इस परिचर्चा पर सभी अतिथियों ने पुस्तक पर स्पष्ट रूप से अपने-अपने विचार रखे । सभी आलोचकों एवं समीक्षकों ने अपने वक्तव्य में इस बात को रेखांकित किया कि हिन्दी साहित्यिक जगत में संभवत : इस तरह का यह पहला कार्य है कि पहले से स्थापित एक चर्चित पुस्तक क...