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सामाजिक दृष्टि बदलिए

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०   निर्मला सिन्हा  ०  एक बार की बात है। लड़की ने एम. ए के बाद एम. बी. ए फिर डी सी ए तक की पढ़ाई कंम्पलीट कर ली। पिताजी डिप्टी कलेक्टर और माताजी ने भी अपनी कालेज तक की अपनी पूरी पढ़ाई कंम्पलीट कर अपनी गृहस्थी की बागडोर अपने हाथों ले रखा था। जहां परिवार इतने शिक्षित हो वहां बच्चों का भी उच्च स्तरीय शिक्षित होना लाजमी है। शिक्षित होने के साथ साथ बहुत कम लोगों में अपनी रिती रिवाज, पुराने संस्कार नजर आते हैं। जिनके पैरेंट्स शिक्षा के साथ साथ क़दम क़दम पर संस्कार और अपने समाज के बारे में जानकारीयां देते आते हैं वैसे बच्चे समाज के लिए एक नई पहल करते हैं।और साथ ही समझने का एक नया नजरिया भी बनते हैं। समाज में उस लड़की ने अपनी एक नई पहचान बनाई। अपने रिती रिवाज और संस्कार से अपने सबका दिल जीत लिया। एक स्कूल में वह अभी प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं। और बच्चों में भी वह शिक्षा के साथ -साथ संस्कारों की शिक्षा भी दी जाती है। इत्तेफाक से उस स्कूल में मैं अपनी बच्ची का एडमिशन कराने गए, वहां उस स्कूल में प्रवेश करते ही बच्चों के संस्कार देखते ही छलक रहे थे। हाथ जोड़कर न...

इम्पैक्ट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ऑन रीडिंग हैबिट्स” विषय पर वेबिनार

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली : विश्व पुस्तक दिवस अवसर पर दिल्ली के भारती विद्यापीठ एवं जयपुर से प्रकाशित कम्युनिकेशन टुडे के संयुक्त तत्वावधान में “इम्पैक्ट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ऑन रीडिंग हैबिट्स” विषय पर वेबिनार आयोजित हुई । इस वेबिनार में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की अध्यक्ष डॉ शुचि यादव ने कहा कि पुस्तकें पढ़ना हमारे सामाजिक परिवेश का हिस्सा है। पुस्तक पढ़कर ही हम प्राथमिक स्रोतों की खोज कर सकते हैं।  चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी सिरसा के पत्रकारिता जनसंचार विभाग के प्रोफेसर डॉ सेवा सिंह बाजवा ने कहा कि ऑनलाइन माध्यमों में हमें इनफॉरमेशन, मिस इनफॉरमेशन और डिसइनफॉरमेशन को भी समझना होगा । उन्होंने शैक्षिक मूल्य में हो रही गिरावट पर भी चिंता प्रकट की। साथ ही एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान की पत्रकारिता की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ तनुश्री मुखर्जी ने कहा कि तकनीक ने नए द्वार खोले हैं। अब एआई जनित टेक्नोलॉजी ने एक क्लिक पर हजारों पृष्ठों तक हमारी पहुंच को आसान बना दिया है।  राजस्थान विश्वविद्यालय में जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष एवं कम्यूनिकेशन टुडे के सं...

कीफा इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड -2024

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्य) दिल्ली विश्वविद्यालय में कीफा इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल  अवार्ड  -2024 संपन्न हुआ। जिसमें मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री से अपने समय की मशहूर फिल्म अभिनेत्री पद्ममनी कोल्हापुरी व गोविंद पांडे सहित अनेक फिल्मी सितारे आये। समारोह का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि बहुत सारी फिल्मों के बीच ओमप्रकाश ढौंडियाल द्वारा उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर बनी व निर्देशित हिंदी फिल्म प्रवासी को Best Critic Appreciation Award मिला। जिसे कालेज के सभागार में फिल्म के निर्देशक ओमप्रकाश ढौंडियाल ने मशहूर फिल्म अभिनेत्री पद्ममनी कोल्हापुरी से प्राप्त किया। इससे पूर्व पुरस्कृत फिल्मों की कड़ी में हिंदी फिल्म प्रवासी का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर फिल्म की पूरी टीम उपस्थित थी, मुझे भी फिल्म देखने का अवसर मिला। इस फिल्म को मैं इसलिए भी देखना चाहता था कि सैकड़ों फिल्मों के बीच इस फिल्म ने कैसे जूरी को प्रभावित कर अपने लिए जगह बनाकर पुरस्कार प्राप्त किया। निश्चित रूप से फिल्म में उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति की सच्चाई को बड़ी साफगोई से बयां किया गया ह...