सामाजिक दृष्टि बदलिए
० निर्मला सिन्हा ० एक बार की बात है। लड़की ने एम. ए के बाद एम. बी. ए फिर डी सी ए तक की पढ़ाई कंम्पलीट कर ली। पिताजी डिप्टी कलेक्टर और माताजी ने भी अपनी कालेज तक की अपनी पूरी पढ़ाई कंम्पलीट कर अपनी गृहस्थी की बागडोर अपने हाथों ले रखा था। जहां परिवार इतने शिक्षित हो वहां बच्चों का भी उच्च स्तरीय शिक्षित होना लाजमी है। शिक्षित होने के साथ साथ बहुत कम लोगों में अपनी रिती रिवाज, पुराने संस्कार नजर आते हैं। जिनके पैरेंट्स शिक्षा के साथ साथ क़दम क़दम पर संस्कार और अपने समाज के बारे में जानकारीयां देते आते हैं वैसे बच्चे समाज के लिए एक नई पहल करते हैं।और साथ ही समझने का एक नया नजरिया भी बनते हैं। समाज में उस लड़की ने अपनी एक नई पहचान बनाई। अपने रिती रिवाज और संस्कार से अपने सबका दिल जीत लिया। एक स्कूल में वह अभी प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं। और बच्चों में भी वह शिक्षा के साथ -साथ संस्कारों की शिक्षा भी दी जाती है। इत्तेफाक से उस स्कूल में मैं अपनी बच्ची का एडमिशन कराने गए, वहां उस स्कूल में प्रवेश करते ही बच्चों के संस्कार देखते ही छलक रहे थे। हाथ जोड़कर न...