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CENS द्वारा डिजाइन आरामदायक फेसमास्क लंबे समय तक उपयोग करने के लिए

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नयी दिल्ली - इस स्नग फिट मास्क से बोलने में कोई असुविधा नहीं होती है, चश्मे पर कोई फाॅगिंग नहीं होती, इसे चारों तरफ से अच्छी तरह से पैक किया जाता है जिससे सांस लेते समय व्यावहारिक रूप से रिसाव की कोई गुंजाइशनहीं रह जाती। इसकी उच्च श्वसन क्षमता इसका एक और महत्वपूर्ण लाभ है जो इसे बिना किसी असुविधा के पहनने में सक्षम बनाता है। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं ने इस प्रकार के फैब्रिक लेयर्स को चुना है कि जिससे केवल इलेक्ट्रिक चार्ज द्वारा ही जो फैब्रिक की ट्रिबोइलेक्ट्रिक प्रकृति के कारण हल्के घर्षण के तहत व्याप्त हो सकते हैं, रोगजनकों के निष्क्रिय हो जाने की संभावना पैदा हो जाती है। इससे संबंधित अग्रिम स्तर के परीक्षण किए जा रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान, सेंटर फार नैनो एंड साफ्ट मैटर साईंसेज (सीईएनएस) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मास्क के एक कप आकार की डिजाइन (पैटेंट दायर) विकसित की है जो बोलते समय मुंह के सामने के हिस्से में पर्याप्त स्थान का सृजन करने में सहायता करती है। बड़े स्तर पर इसका उत्पादन के लिए इसे बंगलुरु स्थित एक कंपनी को अंतरित कर दिया गया ह...

दस्तकारों की भागीदारी के साथ शुरू होने वाला "हुनर हाट" का थीम "लोकल से ग्लोबल" होगा

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नयी दिल्ली -"हुनर हाट, कला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है ही, साथ-ही-साथ, यह, लोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है। एक जगह है जहां इस देश की विविधता को अनदेखा करना असंभव ही है। शिल्पकला तो है ही है, साथ-साथ, हमारे खान-पान की विविधता भी है। वहां एक ही लाइन में इडली-डोसा, छोले-भटूरे, दाल-बाटी, खमन-खांडवी, ना जाने क्या-क्या था। भारत के हर हिस्से में ऐसे मेले, प्रदर्शिनियों का आयोजन होता रहता है। भारत को जानने के लिए, भारत को अनुभव के लिए, जब भी मौका मिले, जरुर जाना चाहिए। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को, जी-भर जीने का, ये अवसर बन जाता है। आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों की, विशेषकर, महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे।"  दस्तकारों-शिल्पकारों का "सशक्तिकरण एक्सचेंज", "हुनर हाट" सितम्बर 2020 से "लोकल से ग्लोबल" थीम एवं पहले से ज्यादा दस्तकारों की भागीदारी के साथ पुनः शुरू होने जा रहा है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ बताया कि पिछले पांच वर्षों में 5 लाख से ज्यादा भा...

संगम नगरी की पहचान बना भईया जी का दाल-भात 

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प्रयागराज के संगम तट पर 23 नवम्बर 2018 से अनवरत प्रतिदिन चलने वाला अन्न क्षेत्र अब यहां की मुख्य पहचान बन गया है। मां काली शक्ति साधना केंद्र की अद्वितीय पहल भूखमुक्त भारत संकल्प के साथ भईया जी का दाल-भात परिवार के बैनर तले इसके संचालक गुड्डू मिश्र व उनके साथियों के सानिध्य में 23 नवम्बर 2018 अक्षय तृतीया से प्रयागराज के संगम तट पर बंधवा वाले बड़े हनुमान मंदिर के बाएं तरफ चलने वाला यह अन्न क्षेत्र अब प्रयागराज की मुख्य पहचान बन चुका है। यहां पर आने वाले प्रत्येक भूखे को सेवा भाव से भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जाता है। भईया जी का दाल-भात अन्न क्षेत्र में आज PWS परिवार के संस्थापक/प्रबन्धक आर के पाण्डेय एडवोकेट (हाई कोर्ट इलाहाबाद), PWS व्यापार सभा के उ.प्र. अध्यक्ष अभिषेक गुप्ता, उपाध्यक्ष अनुराग जयसवाल, महामंत्री अवधेश चौहान, प्रयागराज जिलाध्यक्ष देवांशु मिश्र, जिला महामंत्री पवन गुप्ता, PWS परिवार के बाल श्रम उन्मूलन प्रभारी प्रमोद कुमार शुक्ल आदि ने श्रमदान किया। इस अवसर पर मां काली शक्ति साधना केंद्र की अलौकिक अवधारणा भूखमुक्त भारत संकल्प के साथ भईया जी का डाल-भात परिवार के बैनर तले ...

लौट कर फिर गांवों की ओर चलें

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विजय सिंह बिष्ट छोड़ा था जिन गांवों को, चलो फिर से लौट चलें। शहरों की बेबस आपा-धापी में, अब जीवन सूना सूना लगता है, खाना पानी रहना पास नहीं, यहां रहकर भी क्या करना है। जिन सीमाओं को लांघ बसे यहां, अब उन्हीं सीमाओं की ओर चलें लौट कर फिर गांवों की ओर चलें। आरोप लगाते थे जिन गांवों को, शिक्षा रोजगार का अभाव था जहां, असभ्यता की संज्ञा दे भागे यहां वहां। आज उन्ही गांवों की यादों में रोते हैं, राहें ढूंढें मन से जिन्हें संजोए होते है चलो उन्ही राहों पर लौट चलें। अज्ञात शत्रु के भय से भाग रहे हैं, बीबी बच्चों को घसीटे जा रहे हैं। मन में एक ही आश लगाए चलो चलें, गांवों की चौपालों पर चलें, आओ गांवों की ओर लौट चलें। लौट चलें उन खेतों में, जिन्होंने हमें पाला था, लौट चलें उन हसीन वादियों में, जिन्होंने मधुर संगीत सुनाया था। उस स्वर्गभूमि की ओर लौट चलें, फिर से गांव की ओर लौट चलें।