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फ़रवरी 7, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री एजोले ने लड़कियों के शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए भारत की सराहना की

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नयी दिल्ली - शिक्षा के क्षेत्र में भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की थी। पोखरियाल ने यूनेस्को की महानिदेशक को बताया कि भारत में लड़कियों का पंजीकरण औसत पहली बार लड़कों के पंजीकरण औसत से बढ़ गया है। सुश्री एजोले ने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि भारत सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। यूनेस्को की महानिदेशक सुश्री ऑड्री एजोले ने लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए भारत की सराहना की है। भारत की तीन दिवसीय सरकारी यात्रा पर आई सुश्री एजोले ने कहा कि भारत ने महात्मा गांधी की विरासत के जरिए यूनेस्को के उद्देश्यों और उसके विज़न को प्रभावित किया है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत और यूनेस्को इन साझा मूल्यों और उद्देश्यों के आधार पर अपने रिश्ते और मजबूत बनाएंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ से अपनी मुलाकात के बारे में उन्होंने कहा कि हमारी चर्चा बहुत सकारात्मक रही और यह जानकार मुझे प्रसन्नता हुई कि भारत में समाज के हर वर्ग तक बेहतर शिक्षा पहुंचाने के शानदार प्रयास किए जा रहे हैं।  निशंक ने कहा कि 2030 तक भारत सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने

यश कुमार की फ़िल्म 'पारो' की शूटिंग जल्द

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निर्माता उपेंद्र कुमार गिरी और लेखक - निर्देशक नीलमणि सिंह की अपकमिंग फिल्म 'पारो' इन दिनों चर्चे में है। वो इसलिए कि फ़िल्म की शूटिंग अप्रैल मे शुरू होने वाली है और इस फ़िल्म में सुपर स्टार यश कुमार लीड रोल में नज़र आने वाले हैं।  दरअसल यह फ़िल्म एक क्यूट सी लव स्टोरी है, जिसे लेकर नीलमणि सिंह आ रहे हैं।  नीलमणि सिंह कहते हैं कि 'पारो' एक बेहतरीन कॉन्सपेट है। यह एक प्रेमकथा के साथ - साथ दर्शकों को मैसेज भी देगी। कहानी का प्लॉट भोजपुरिया समाज से ही है। अभी तो इसका खुलासा करना उचित नहीं होगा। लेकिन इतना तो तय है कि 'पारो' लोगों को रोमांस की एक अलग एहसास से रूबरू करवाएगा। यह फ़िल्म सामाजिक और पारिवारिक होगी। खास कर महिलाएं इस फ़िल्म को पूरे परिवार के साथ मिलकर आनंद ले पाएंगे। हमें फ़िल्म से काफी उम्मीदें हैं और हम इसके लिए जोर शोर से काम कर रहे हैं।  आपको बता दें कि 'पारो' का निर्माण उपेंद्र फिल्म्स क्रिएशन द्वारा किया जा रहा है। फिल्म में गीत प्यारे लाल यादव के होंगे और संगीत धनंजय मिश्रा का। फ़िल्म में यश कुमार और देव सिंह हैं । 8 गानों वाली इस लव स्टोरी में डां

अक्सर बुराई तभी पनपती है जहां उम्मीदें ज्यादा हो

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संत कुमार गोस्वामी आज सुबह-सुबह वह अपने मूड का ख्याल किए बिना   चिंता के गर्त में डूबते चले गए। लगभग 2 घंटे चिंताओं का  सिलसिला उनके दिमाग को थका दिया उसके बाद एक बात उनके मन में आया। काश हमें भी सब कुछ होता  सारे जहां की खुशियां मेरे पास होती ऐसे पुला वी पकवान मन में बुनते रहे तब तक पुतुल गिरी ने आवाज लगाई सूरज ......सूरज भाई उठो सुबह के 8:00 बज गए हैं इस सारी बातें सूरज की दिमाग की गतिविधि को पुतुल समझ गई हर रोज की तरह आज भी दिमाग मन को थका रहे  हैं...... फिजूल व्यर्थ की चिंता उनको हर रोज कमजोर व चिरचिरा बना दिया है l पुतुल जानते हो सूरज किसी का परवाह नहीं करता बस उम्मीदें ज्यादा करने से किसी पर पूरा ना होने के कारण भरोसा भी टूट जाता है आदमी आदमी से दूर होते चला जाता है जानते हो ऐसा क्यों होता है समझा दो मुझे पुतुल बहन...... पुतुल गुस्से में जानती है सूरज भाई इस काम के सिवा तुम्हें कुछ सूझता नहीं बस एक ही रट लगाए रहते हो कोई मेरे काम आता नहीं आएगा भला कैसे यह बातें पुतुल सूरज को समझाती हुई बोली अक्सर हम तभी टूटते हैं जब किसी पर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं यही कारण है आप सूरज भाई ज्याद

अचानक हृदय गति बंद होने की स्थिति में इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डेफ़ीब्रिलेटर मशीन हृदय वक्ष-स्थल में रोपित कर जान बचायी जा सकती है

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"सडेन कार्डियक अरेस्ट (अचानक हृदय गति का बंद होना) अकाल मृत्यु के पूर्व की ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति बेहोश हो जाता है। और दो या तीन मिनट के अंदर उस व्यक्ति का इलाज न शुरू किया जाए तो उसकी अकाल मौत हो जाती है, " यह कहना है डॉ कार्तिकेय भार्गव का जोकि मेदांता हार्ट इंस्टीट्यूट में ऐसोसिएट डायरेक्टर, इलेक्ट्रो-फ़िज़ियोलॉजी एवं पेसिंग के पद पर कार्यरत हैं। प्रस्तुत हैं उनके साथ किये गये साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश : प्रस्तुति – ज्ञानभद्र प्रश्न : सडेन कार्डियक अरेस्ट (अचानक हृदय गति का बंद होना) की वजह से अकाल मृत्यु की दर काफ़ी बढ़ गयी है। कृपया हमारे पाठकों को इससे बचने की इलाज-प्रक्रिया बताएं। उत्तर : सडेन कार्डियक अरेस्ट, जैसा कि नाम से विदित है, इस स्थिति में अचानक दिल काम करना बंद कर देता है। दिल की धड़कन-गति काफ़ी तेज़ हो जाती है। व्यक्ति बेहोश हो जाता है। दो या तीन मिनट के अंदर उसका इलाज न शुरू किया जाए, तो उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है।  ऐसा आवश्यक नहीं है कि हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति ही सडेन कार्डियक अरेस्ट की गिरफ़्त में आते हैं। वस्तुतः ऐसे व्यक्ति भी, जिनके दिल की धड़