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सितंबर 8, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विश्व गुरु शंकराचार्य 10 नाम गोस्वामी समाज की 13 सूत्रीय मांग

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नई दिल्ली ,विश्व गुरु शंकराचार्य 10 नाम गोस्वामी समाज के बैनर तले ,दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिवसीय भूख हड़ताल तथा प्रदर्शन किया गया। इस एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन अध्यक्ष मनोरंजन गिरी के नेतृत्व में किया गया. गोस्वामी समाज ने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी दिया जिसमें 13 सूत्रीय मांग की गई.जिस में  हिंदू धर्म के प्रवर्तक आदि गुरु शंकराचार्य के प्रतिमा चौराहे पर लगाई जाए,आदि गुरु शंकराचार्य की जीवनी को हिंदी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए उनकी जीवनी सरकारी स्तर पर मनाई जाए, देश के 23 राज्यों की भांति बिहार के गोस्वामी समाज के लोगों को आरक्षण ओबीसी में दी जाए तथा केंद्र में शामिल किया जाए, राजस्थान के पुष्कर महंत का अधिकार 10 नाम समाज को दिया जाए,पंजाब उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान दिल्ली बिहार आदि राज्यों में गोस्वामी समाज के समाधि की भूमि आवंटित की जाए,पर्वतरोही बहन सीमा गोस्वामी को अन्य पर्वत रोही के समान सरकारी नौकरी दी जाए,गौ हत्या पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाई जाए जैसी मांगें प्रमुख हैं।  इस भूख हड़ताल तथा प्रदर्शन में देश भर के गोस्वामी समाज के प्रमुख लोगों की मौजूदगी देख...

दुनिया का सबसे पोषक आहार है-सहजन (मुनगा)

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दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन (मुनगा)। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फल्ली, तना, गोंद हर चीज उपयोगी होती है।             आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना :- विटामिन सी- संतरे से सात गुना अधिक। विटामिन ए- गाजर से चार गुना अधिक। कैलशियम- दूध से चार गुना अधिक। पोटेशियम- केले से तीन गुना अधिक। प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना अधिक।           स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाते हैं। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ' मोरिगा ओलिफेरा ' है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं।            सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइ...

बच्चा चोर समझ महिला को बुरी तरह से पीटा,हालत गंभीर

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गोपालगंज बिहार - गोस्वामी समाज की विक्षिप्त महिला शारदा देवी अपने गांव लरौली मठिया (गोपालगंज) से भटककर बजरमारा गांव (सिवान) पहुंच गई,बजरमारा निवासी 21 वर्षीय मोहित राय,रूदल राय,रूदल राय की पत्नी,उनकी बेटी तथा मोहित राय की चाची सहित गांव के अन्य कई अज्ञात लोग पेड़ में बांधकर मारने लगे ! आरोप लगा रहे थे कि बच्चा चोर है और मारे जा रहे थे!  इधर उनकी खोजबीन गांव में हो रही थी,लेकिन मिली नहीं, तभी किसी ने कहा कि बजरमारा में एक महिला को लोग बच्चा चोर कहकर मार रहे हैं तो लरौली से दो लोग मोटरसाइकिल से गये तो पाए कि शारदा देवी ही है, धीरे-धीरे गांव के कई लोग पहुंच गये और बताये कि इसके दिमाग का इलाज 4-5 वर्षों से चल रहा है, इसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है, फिर भी लोग मारे जा रहे थे, बहुत कहने-सुनने पर छोडवाकर लाया गया और जामो सरकारी अस्पताल में इलाज शुरू हुआ,. जो लोग भी इस घटना में शामिल हैं उन्हें सख्त से सख्त सजा मिले,इसके लिए सभी बंधुओं से आग्रह है कि शारदा देवी को न्याय दिलवाने में मदद करें! ज्ञात हो कि अभी दो-तीन माह पूर्व शारदा देवी के पति (स्व.सुरेश गिरि) का देहान्त हो गया है और वह अपने ...

आत्मा जानती है सत्य क्या है

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आस्था ईश्वरीय शक्तियों का उपयोग है,हम जिस प्रकार की भावनाओं को अपने मन मस्तिष्क में उजागर करते हैं उसका फल कर्म से जुड़ा होता है आत्मा जानती है सत्य क्या है किन्तु चुनौती तो मन को समझाने में है। आस्था का संगम मन बचन और कर्म की त्रिवेणी है। इस में से एक का भी लोप होना  पाताल गंगा जैसा है। अर्थात फल प्राप्त न होना। फसलें किसान इस उम्मीद और आस्था से बोता है कि उसे लाभ मिले, किंतु बर्षा के अभाव में वह यदि वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करता तो चाहे आप इंन्द्र देव पर कितनी ही आस्था क्यों न रखो, कर्म फल नहीं मिलेगा। संसार में कई धर्मालम्बी हैं।धर्म ग्रंथ हैं सबकी शिक्षा और उद्देश्य  एक ही हैं, फिर हम सब में एक जैसी आस्था क्यों नहीं रखते। इस लिए कि हमारी आस्था भिन्न भिन्न धर्मों में कर्म के अनुसार अलग-अलग हैं । रामायण में श्री राम, गीता में भगवान कृष्ण, शिव पुराण में शिव , तथा अन्य पुराणों में आस्था के नामेंद्र  कई भगवान माने जाते हैं इनके कर्म ज्ञान और शिक्षा के आधार पर हम इन्हें अपना प्रतीक मानते हैं।   आस्था शव्द आस एवं मनौती शव्दो के प्रर्यायवाची  हैं। हमारे देश में तेंतीस...

मेहनत और ईमानदारी से लड्डू गोपाल भी प्रसन्न होते हैं

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किसी गांव में मक्खन बेचने वाला एक व्यापारी मक्खन लाल रहता था वह स्वभाव से बहुत कंजूस था लेकिन जो भी काम करता था बड़ी मेहनत और ईमानदारी से करता था उसके मक्खन को लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे एक 1 दिन उसकी दुकान पर उसका जीजा और बहन आए वह सीधा वृंदावन से आए थे वह उसके लिए लड्डू गोपाल जी को लेकर आए थे वह कहते इस को घर लेकर जाना और इस की प्राण प्रतिष्ठा के साथ पूजा करना मक्खन लाल बहुत ही कंजूस प्रवृत्ति का था वह जो सोचता कि अगर यह घर लेकर जाऊंगा तो मेरी बीवी इस पर सिंगार और पूजा में खूब खर्च करेगी इसलिए वह कहता कि मैं इसको दुकान पर ही रखूंगा उसकी बहन कहती तू सुबह जब दुकान पर आया करेगा तो लड्डू गोपाल को दुकान से ही थोड़ा सा मक्खन निकाल कर भोग लगा दिया कर यह सुनकर मक्खन  लाल  थोड़ा सा हैरान हो गया कि अब इसके लिए भी मुझे मक्खन निकालना पड़ेगा लेकिन फिर भी उसने अपनी बहन को हां कर दिया अगले दिन जब वह दुकान पर आया तो उसको याद था कि मक्खन का भोग लगाना है लेकिन वह कहता कि कोई बात नहीं अभी कल ही तो इसको लाए हैं मैं अभी दो दिन बाद लगाऊंगा वह कहता गोपाला अभी तो तू खा कर आया होगा मैं  ...

माया रुपी संसार में परमात्मा के आने का कारण

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बिहार - श्री राम चरित्र मानस में संत शिरोमणि श्री तुलसी दास गुसाईं ने लिखा है कि जो ज्ञान और अज्ञान के भेद को दर्शाते हैं पक्षपात और पारदर्शिता को दर्शाते हैं अज्ञान यानी कि माया रुपी संसार में परमात्मा के आने का कारण संसार रूपी शब्दों में श्री गुसाईं जी दर्शाते हैं  विप्र धेनु सुर संत हित लीन मनुज अवतार बड़ा सुंदर यह लेख गुसाई जी ने दिया है संसार के लिए संसार रूपी शब्द में दूसरी तरफ देखिए जो ज्ञान रूपी कांड उसमें ज्ञान रूपी शब्दों में सत्य सनातन  की भाषा शैली  का अर्थ सत्य माने परमात्मा ईश्वर दूसरा शब्द सनातन  सृष्टि के आरंभ से अंत तक श्री गुसाईं जी उत्तराखंड में लिखते हैं   जब जब होई धर्म की हानि बाढ़ हे असुर अधम अभिमानी  तब तब धर प्रभु मनोज शरीरा आ रही कृपानिधि सज्जन पीरा  विचार करने वाली बात है यही संसार का सत्य है अब दोनों ही शब्द ईश्वर के भूलोक पर आना स्पष्ट करते हैं परंतु कारण बताने में भेद है और वही भेद है हमें हमारी क्रिया में और संसार में और संसार की क्रिया में बाकी आप हो सभी ज्ञानी संत बुद्धिजीवी हैं आप सभी को सादर होम नमो नारायण हर हर महाद...