पुरुष प्रधान समाज से पीड़ित महिलाओं की कहानी को किया बयां
० अशोक चतुर्वेदी ० जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में जिस भी दर्शक ने रंगायन सभागार में प्रवेश किया तो खुद को महाभारत काल के भारत में पाया। सुसज्जित सैट को देखकर मन में राजमहल का दृश्य साकार हो उठा। मौका था केन्द्र की पाक्षिक नाट्य योजना के तहत नाटक 'ये पुरुष' के मंचन का। राजेन्द्र सिंह पायल के निर्देशन में हुए मार्मिक नाटक में पुरुषों की दोहरी मानसिकता और पुरुष प्रधान समाज में अस्तित्व की जंग लड़ रही महिलाओं की दुखद दास्तां को बयां किया गया। हस्तिनापुर सम्राट ययाति का पुत्र पुरु पहली शादी के सात साल बाद दूसरा विवाह करके राजधानी लौट रहा है। इस बात ने पुरु की पहली पत्नी चित्रलेखा को असहज कर दिया है। वह सोच में पड़ जाती है कि जो पुरुष पहले मुझे विश्व की सबसे सुंदर स्त्री मानता था आज वह दूसरी महिला को पत्नी के रूप में स्वीकार कर चुका है। अपने मन की पीड़ा को दबाते हुए भी वह पुरु से मिलकर उसके मनोभाव जानना चाहती हैं। इसी बीच चित्रलेखा अपनी दासी स्वर्णलता से उसके दांपत्य जीवन के विषय में पूछती हैं। स्वर्णलता भी पुरुष मानसिकता से बहुत प्रताड़ित रही है। उसके पति बसंत का ये मानना है कि हर स...