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करोना: एक मानवीय त्रासदी    

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आज करोना एक ऐसी महामारी बन चूका है जिससे समूची मानवजाति त्रस्त है। इस को अब एक बीमारी कहना काफी न होगा। इस ने समूची मानवजाति को प्रभावित कर दिया है. यहाँ यह कहना सही नहीं होगा की करोना  सिर्फ मानव स्वस्थ्य के लिया चुनौती है,  करोना  ने ना केवल स्वस्थ्य सम्बन्धी चुनौती दी है बल्कि बहुत सारे अन्य छेत्रों में भी अपना प्रभाव छोड़ा है. इसने सामाजिक और आर्थिक स्तर पर एक अनोखी व्यवस्था को जन्म दिया है.   आर्थिक क्षेत्र में तो इस का प्रभाव साफ़ देखा जा सकता है मगर इस के आलावा भी इस ने इंसानी रिश्तों को भी एक हद तक प्रभावित कर दिया है. आज हर व्यक्ति दूसरे को संशय की नज़र से देखता है , विवाद बढ़ रहे है और साथ ही सामाजिक जटिलताय भी. प्रवासी मज़दूरों के साथ भेद भाव के किस्से हम सब को पता है , मकान मालिककिरायेदारों के साथ सख्त व्यवहार कर रहे है और कम्पनिया अपने कर्मचारियों के साथ .    करोना ने अर्थव्यस्था को काफी नुक्सान पहुंचाया है , करोना  और उस के कारण  लॉकडाऊन  लाखों  लोगो को बेरोज़गार कर दिया। बहुत से बेघर हो गए तो लाखों की संख्या में लोग लम्बे रास्तों पर चलने को और दो जून की रोटी के मोहताज हो गए.