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मई 18, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

होम स्कूलिंग में ऑनलाइन ट्यूटर्स सबसे ज्यादा मददगार

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नयी दिल्ली : ब्रेनली ने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रचलित होम स्कूलिंग ट्रेंड्स के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए अपने भारतीय यूजर-बेस में सर्वेक्षण किया। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म ने ~ 3,267 प्रतिभागियों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के माध्यम से इस विषय पर दिलचस्प जानकारी हासिल की। ब्रेनली मौजूदा स्थिति का आकलन करने और भारतीय छात्रों व अभिभावकों से जानकारी प्राप्त करने के लिए समय-समय पर अपने प्लेटफार्म पर प्रासंगिक सर्वेक्षण करता है। एक-तिहाई सर्वेक्षण उत्तरदाताओं (या 30.7%) ने कहा कि ई-लर्निंग को भारत में छात्र नियमित स्कूली शिक्षा के मुकाबले प्राथमिकता देते हैं। अन्य 32% ने कहा कि उनके लिए यह तय करना मुश्किल है कि क्या अधिक फायदेमंद है जबकि लगभग 37.3% ने कहा कि वे ई-लर्निंग को पारंपरिक लर्निंग से ज्यादा पसंद करते हैं। एक सिमेट्रिक पैटर्न भी देखा गया जब छात्रों से पूछा गया कि क्या वे रिमोट स्कूलिंग को चुनौतीपूर्ण मानते हैं। 42.8% छात्रों ने कहा इस प्रश्न पर सकारात्मक जवाब दिया जबकि 33.2% ने नकारात्मक उत्तर दिया। सर्वेक्षण

सीखें घर बैठे अंग्रेजी ऑनलाइन क्लास से 

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नयी दिल्ली - कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है़। आज पृथ्वी का कोई भी हिस्सा इस महामारी के तांडव से नहीं बचा है। ऐसे में सबसे ज्यदा जो क्षेत्र प्रभावित हुआ है वो है शिक्षा। युवा वर्ग  अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनकी चिंता स्वाभाविक है। पर अब छात्रों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है ख़ासकर  उनकी  इंग्लिश कम्युनिकेशन स्किल्स को लेकर। अंग्रेजी  प्रशिक्षण  के संदर्भ में , छात्रों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठाया है देश के जाने-माने अंग्रेजी के विद्वान व ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक डॉ बीरबल झा ने। अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत के नामचीन चेहरे डॉ बीरबल झा कहते हैं जब सभी राहें बंद हो जाती हैं तो नई राह खुलती है।  साथ हीं  विपदा  की  घडी में भी  सम्पदा के लिए अवसर होता है। छात्रों को अपने भविष्य को लेकर चिंतित  होने की आवश्यकता नहीं है बलि्क इस कोरोना त्रासदी को अवसर में तब्दील करने की आवश्यकता है। छात्रों के साथ कदमताल करने के लिए डॉ  बीरबल की संस्था ब्रिटिश लिंग्वा  ऑनलाइन क्लास आगे आई है। ब्रिटिश लिंग्वा को अंग्रजी पढाने के क्षेत्र में महारथ हासि

छपरा के अनूप नारायण सिंह बने मिस्टर हैंडसम इंडिया के प्रथम रनरअप

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बिहार - मशरक, (सारण)  छपरा जिले के मशरक प्रखंड के अरना गांव निवासी टीवी पत्रकार व फिल्म समीक्षक अनूप नारायण सिंह राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित मिस्टर हैंडसम प्रतियोगिता में प्रथम रनरअप चुने गए हैं. यह प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैशन डिजाइनिंग में बिहार का नाम रोशन करने वाले हैं नीतीश चंद्रा के द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें पूरे देश दुनिया से लोग ऑनलाइन वोटिंग कर रहे थे. प्रतियोगिता को लेकर सारण जिले में खासा उत्साह का कारण के लोग अपने लाल को जिताने के लिए दिन रात ऑनलाइन वोटिंग कर रहे थे और 84 प्रतिभागियों में लोगों ने वोट करके अनूप को दूसरे स्थान तक पहुंचाया था जीत की खबर मिलते ही उनके गृह प्रखंड मशरक समेत पूरे जिले जिले में खुशी की लहर है. रिजल्ट जारी होने के बाद मुंबई से दूरभाष पर अनूप ने बताया कि उन्होंने अर्जित सारण जिले के अपने अभिभावकों मित्रों को समर्पित किया है पूरे प्रतियोगिता में देश-दुनिया से जितना वोट नहीं मिला है उससे ज्यादा लोगों ने छपरा से उन्हें वोट किया है उन्होंने कहा कि हार-जीत से बड़ा था अपने क्षेत्र के लोगों का मिल रहा अपने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अब अपने जिले

लॉक डाउन हर- पल ,हर-क्षण खौफ़ का तजुर्बा

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सुषमा भंडारी लॉक डाउन का तजुर्बा  लॉक डाउन जीवन का सबसे बड़ा तजुर्बा  मेरे लिए ही नहीं समस्त मानव जाति के लिये हर- पल ,हर-क्षण खौफ़ का तजुर्बा अपने ही घर में कैद होने का तजुर्बा भूख- प्यास- बदहाली का तजुर्बा सबके साथ रहकर भी अकेलेपन का तजुर्बा आदमियत का तजुर्बा इंसानियत का तजुर्बा रुपये की कीमत का तजुर्बा अहम व औकात की कहानी का तजुर्बा चहल- पहल से सूनेपन तक जाने का तजुर्बा अपने गाँव, अपने रिश्ते, अपने परिवारों के विस्थापन का तजुर्बा विदेशों की चकाचौंध का तजुर्बा घर लौटते प्रवासियों का तजुर्बा मालिकों का तजुर्बा मजदूरों का तजुर्बा दिहाड़ी मजदूरों की भूख का तजुर्बा सरकार का तजुर्बा सरकारी कर्मचारियों का तजुर्बा घंटों तक कतार में लगने के बाद खाना व राशन मिलने का दर्दनाक तजुर्बा सडकों पर ही नवजातों का तजुर्बा बिलखते बच्चों का तजुर्बा रेल की पटरियों पर चलते, मरते ,कटते मजदूरों जा तजुर्बा स्वच्छता की अनदेखी करने पर मिले हादसों क तजुर्बा स्वच्छता को सुरक्षित रखने के साधनों का तजुर्बा स्वच्छ्ता सैनिकों के कार्य , उनकी मौत का तजुर्बा बीमारों की सेवा करने वाले सेवकों ( डॉक्टर, नर्स) का तजुर्बा याता

जिन्दगी इक राग है अनुराग है

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सुषमा भंडारी गीत  जिंदगी इक राग है अनुराग है । कौन कहता है कि ये बैराग है माना कि छाई हुई वीरानगी  घर में जैसे कैद हो दीवानगी थम गया है हर शहर और गांव भी पेट में फिर भी जले क्यूँ आग है हर पहर और हर घड़ी सोचें यही आ न जाए वायरस हम में कहीं  खुद से ही खुद डर के क्यूँ जीने लगे दिखता खुद में ही भयंकर दाग है जब से घर में आ गई खामोशियाँ  पंछियों में छा रही मदहोशियाँ साफ है आकाश पंछी झूमते माना कि उनका तो आया फाग है जिन्दगी इक राग है अनुराग है कौन कहता है कि ये बैराग है ====================   स्वप्न जब स्वप्न आँख में लिये हुये मैं  कर्मभूमि पे जाती हूं उलझी डोरी ये रिश्तों की  मुझको उसमें उलझाती है सागर की गहरी तलहट में यादों के मोती रह्ते हैं और जीव -जन्तुओं की अनगिन वो चोटें सहते रहते हैंं छाले ये पांव के चल - चल कर तब फूट-फूट कर रोते हैं तब पीड़ा बनकर गीत हृदय में सुर- संगीत सजाती है उलझी डोरी ये रिश्तों की मुझको उसमे उलझाती है जब स्वपन आँख में लिये हुये---- पंछी से सीख उड़ान भरूं जो नभ को माप दिखाता है अपने नन्हे बच्चों के लिये दाना वो चोंच में लाता है घर बार - बार टूटे फिर भी या बिखरें तिनक