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दिसंबर 17, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Book Released गढ़वाल के बेड़ा समाज पर किताब का विमोचन

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अभिनन्दन को विश्व भारती पब्लिक स्कूल के तरंगिणी वार्षिकोत्सव में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिला

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० योगेश भट्ट ०   नोएडा , सेक्टर 24 स्थित विश्व भारती पब्लिक स्कूल में वार्षिक उत्सव के रुप में तरंगिणी नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस उत्सव में डा महेश शर्मा,सांसद , मुख्य अतिथि तथा अमोल श्रीवास्तव , आई.ए.एस. तथा श्रीमती विदुषी ममता महाराज ,कथक नर्तकी (दोनों सारस्वत अतिथि ) उपस्थित रहें । भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2018 बैच के अधिकारी अमोल श्रीवास्तव जो इसी विश्व भारती पब्लिक स्कूल के ही एल्युमिनाई रहें हैं । बच्चों ने राग फ्यूजन -ए म्यूजिकल कौंनफ्लूयेंस के कार्यक्रम के तहत भारत के विविध राज्यों के गीतों को अपने अद्भुत संगीत प्रतिभा से जान डाल कर भारत की विविध संगीत विधाओं से एक जीवन्त भारत की समां बांध दिया । उसी प्रकार भारत में विविध राज्यों से प्रवाहित होने वाली नदियों को अपने नाट्य हूनर से उनकी ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को भी दर्शक दीर्घा तक बड़े ही मनभावन ढंग से जीवन्त प्रस्तुति की ।   श्रीएसएन गन्जु अवार्ड अभिनन्दन को विश्व भारती स्कूल ,नोएडा को सत्र 2023-2024 में वर्ग 6-10 तक के एकेडमिक, एक्स्ट्रा कैल्युकुलर एक्टिविटीज , स्पोर्ट्स, लिटरेरी एक्टीविटीज तथा सोशल सर

पाठक को नकार कर कहानी आगे नहीं बढ़ सकती

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली. पाठक के अधिकार ही लेखक का कर्त्तव्य होता है। लेखक को हमेशा पाठक के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। पाठक जिन विषयों के बारे में जानना चाहता है यदि लेखक उस पर नहीं लिखेंगे तो उन्हें पाठक भी नहीं मिलेंगे। पाठक का सबसे बड़ा अधिकार यही है कि उसे जो किताब पसन्द ना हो, उसे ना खरीदें। लेकिन पाठकों की अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं होती है। यह बातें  राजकमल प्रकाशन समूह की विचार-बैठकी की मासिक शृंखला ‘सभा’ में वक्ताओं ने कही। ‘सभा’ की आयोजित परिचर्चा का विषय ‘पाठक के अधिकार’ पर केन्द्रित रहा। इंडिया हैबिटैट सेंटर के गुलमोहर हॉल में आयोजित इस परिचर्चा में लेखक ममता कालिया, सम्पादक रवि सिंह, कार्टूनिस्ट राजेन्द्र धोड़पकर, अनुवादक जितेन्द्र कुमार बतौर वक्ता उपस्थित रहे। वहीं ‘सभा’ का संचालन आलोचक मृत्युंजय ने किया। विषय प्रवेश करते हुए मृत्युंजय ने कहा,  “यह ऐसा विषय है जिस पर बहस के अनेक पहलू हैं। पहले पाठकों के पास अपनी बात पहुँचाने या फीडबैक देने के लिए विकल्प नहीं थे। अब सोशल मीडिया के आने से एक खास किस्म का लोकतंत्रीकरण हुआ है। इससे कई तरह के नए पाठक सामने आए हैं। अब

गढ़वाल के बेड़ा समाज पर पुस्तक का हुआ लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - इंदिरा गांधी राष्टीय कला केंद्र द्वारा गढ़वाल का बेड़ा समाज पर एक किताब व डोक्यूमेंट्री बनाई गई है जिसका लेखन किया है मनोज चंदोला व उनकी टीम द्वारा गढ़वाल के सुदूर छेत्रो से लुप्त होती बेड़ा समाज के इतिहास को फिर से उनको संजोने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए कई महीनों की रिसर्च के बाद यह कार्य पूरा हो सका । जिसका विमोचन इंदिरा गाँधी राष्टीय कला केंद्र दिल्ली मे हुआ। विमोचन में मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत रहे ।   इस अवसर पर प्रोफेसर के अनिल कुमार व डॉ सचितानन्द जोशी व लेखक मनोज चंदोला सहित समाज के गणमान्य लोग मौजूद रहे। लेखक मनोज चंदोला ने इस अवसर पर बेड़ा समाज पर प्रकाश डाला व उम्मीद जताई कि समाज व देश इस विधा को जान पायेगा ओर फिर से इसे संजोने का कार्य करेगा।कार्यक्रम में समाज के बुद्विजीवी वर्ग के साथ समाजसेवी,पत्रकार व कला साहित्य से जुड़े लोग भी पहुचे ओर सभी ने इस पहल का स्वागत करते हुए लेखक को बधाईयां दी।

जेकेके में मधु भट्ट तैलंग की रचना ने सभी को ध्रुवपद में रंग डाला

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० आशा पटेल ०  जयपुर: 'जवाहर कला केन्द्र मंदिर है, जय है' सधे स्वरों में कलाकारों ने ध्रुवपद की यह रचना गाकर सभी श्रोताओं को ध्रुपद के रंग में रंग दिया।  केन्द्र की ओर से आयोजित ध्रुवपद गायन प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह का। शिल्पग्राम के मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य के बीच डूंगरपुर हट के मंच पर यह प्रस्तुति दी गयी। यह विशेष रचना ध्रुवपद कार्यशाला की प्रशिक्षक रहीं प्रो. डॉ. मधु भट्ट द्वारा परिकल्पित राग 'चारूधरा' एवं गुरू पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग द्वारा रचित 6 मात्रा की नई ताल अद्धा चौताल में निबद्ध थी। कार्यशाला में 115 प्रतिभागियों ने मधु भट्ट तैलंग से ध्रुवपद गायन का प्रशिक्षण हासिल किया। समापन समारोह में केन्द्र की अति. महानिदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत, अन्य प्रशासनिक अधिकारी व बड़ी संख्या में कला प्रेमी मौजूद रहे। सुश्री प्रियंका जोधावत ने कहा कि हर आयु वर्ग के प्रतिभागी कार्यशाला में पुरातन शास्त्रीय विधा से जुड़े। इनकी मनोरम प्रस्तुति से जाहिर होता है कि बड़ी गंभीरता से इन्होंने से गुरु से मिले सबक को आत्मसात किया है। मधु भट्ट तैलंग ने बताया कि कार्यशाला में ध्रु

लैंगिक संवेदनशीलता हेतु मीडिया कार्यशाला 20 को जेंडर समानता हेतु होगा प्रशिक्षण

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० आशा पटेल ०  जोधपुर। यूनिसेफ़ एवं फ्यूचर सोसाइटी की नई पहल "जेंडर सेंसिटिव राजस्थान" का सत्र 20 दिसम्बर को सूर्यनगरी जोधपुर में होगा। ये एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आरटीडीसी होटल घूमर (ओल्ड हाई कोर्ट रोड़) में आयोजित होगी जिसमें मीडिया जगत के दिग्गज शामिल होंगे। प्रिंट मीडिया से लेकर टीवी और डिजिटल के विभिन्न संस्थानों में कार्य करने वाले पत्रकारों के लिये आयोजित की जाने वाली  इस वर्कशॉप में वरिष्ठ जेंडर विषय विशेषज्ञ और शिक्षाविद् नसीरुद्दीन द्वारा तैयार किए गए ट्रेनिंग मॉड्यूल के जरिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।  इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य है मीडिया के माध्यम से समाज में लैंगिक असमानता को दूर करने का प्रयास करना। महिला अधिकारों, महिला समानता, महिलाओं के मुद्दें समाज के सामने रखना और ये सुनिश्चित करना कि पत्रकार सक्रिय भूमिका कैसे निभा सकते है व समाज के सर्वांगीण विकास के लिए इन मुद्दों को सामने लाना क्यों जरूरी है। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अंकुश सिंह ने बताया कि परंपरागत और न्यू मीडिया दोनों माध्यमों में ही महिलाओं से जुड़े पक्षों को उजागर करना जरूरी है। इस विषय पर पत

लम्हें" ने बिखेरा जोश, तक्षिला बिजनेस स्कूल में हुआ आयोजन

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० आशा पटेल ०  जयपुर : तक्षिला बिजनेस स्कूल के परिसर में दो दिनों तक चले "लम्हें" इंटर-कॉलेज फेस्ट ने छात्रों के जीवन में रंगीन पन्ने जोड़ दिए। 15 और 16 दिसम्बर को आयोजित इस फेस्ट में 1000 से अधिक उत्साही छात्रों ने भाग लिया, जहां नृत्य और संगीत की मधुर धुनों से लेकर स्पोर्ट्स की जोशपूर्ण प्रतियोगिताओं ने पूरे वातावरण को हर्ष उल्लास से भर दिया। यह आयोजन तक्षिला बिजनेस स्कूल के संस्थापक प्रो. किशोर शर्मा और अनुराधा मेहता , कॉलेज के डीन प्रो. रजत बोहरा , डायरेक्टर प्रो. डॉ अलका जैन , डिप्टी डायरेक्टर प्रो. डॉ लवीना खिलनानी , सहायक प्रो. डॉ संजोली जैन , सहायक प्रो. डॉ रिद्धि तांबी के सनिगद्ध में तक्षिला बिजनेस स्कूल के छात्रों द्वारा किया गया। फेस्ट का नाम "लम्हें" खुद ही अपने मायने कहता है। ये लम्हें थे प्रतिभागिता, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और सफलता के, जिन्होंने छात्रों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। डांस, गायन, फुटसल, डॉजबॉल, बैडमिंटन और स्टैंडअप कॉमेडी के रोमांचक मुकाबलों ने प्रतिभागियों को अपनी प्रतिभा को निखारने का एक मंच दिया फेस्ट में छात्रों की ऊर्जा और जोश देख

पत्रकारों को जेंडर संवेदनशीलता को समझने और उस पर कलम चलाने की सख्त जरूरत है

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० संवाददाता द्वारा ०  जयपुर। आज के दौर में पत्रकारों को जेंडर संवेदनशीलता को समझने और उस पर कलम चलाने की सख्त जरूरत है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो समाज में जेंडर भेदभाव को मिटाने की लड़ाई मजबूती से नहीं लड़ पाएंगे। कुछ ऐसे ही विचार शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (एचजेयू) और लोक संवाद संस्थान के सहयोग से एचजेयू के छात्रों के लिए जेंडर संवेदनशीलता की समझ बढ़ाने के लिए चलाए गए  चार महीने के प्रोजेक्ट के समापन पर निकलकर सामने आए। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एचजेयू की कुलपति प्रोफेसर सुधि राजीव कहा कि इस तरह के कार्यक्रम पत्रकारिता के छात्रों को जेंडर संवेदनशीलता को बारीकी से समझने में मदद करेंगे। एचजेयू आगे भी यूएनएफपीए के सहयोग से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। विशिष्ट अतिथि यूएनएफपीए के स्टेट हेड डॉ. दीपेश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में जेंडर संवेदनशील पाठ्यक्रम शामिल करने की पहल और जेंडर समानता के मूल मूल्यों का समावेश छात्र-छात्राओं को लैंगिंक भेदभाव के खिलाफ जागरूक करना है। यूएनएफपीए का मानना है कि पितृसत्तात्