लघु कथा // शहादत
सुषमा भंडारी आज स्वतंत्रता दिवस है।आज के दिन हमें आजादी मिली थी बच्चों , आज हम उत्सव मनाएंगे अपना झन्डा फहराएंगे मैडम ने कहा । आजादी ? क्या होती है आजादी कौतुहलता से चौथी कक्षा की रानी ने पूछा। आजादी का मतलब होता है , अपनी जीवन को जीवन की तरह जीना , अपनी इच्छा से रहना , खाना, पीना ,पढ़ना, लिखना, सोना यानि किसी की गुलामी न करना। गुलामी ? ये गुलामी क्या होती है मैडम। गुलामी ये देखो ! इस किताब में एक खच्चर यानि ( गधा) जा रहा है , उस पर देखो कितना बोझ लादा हुआ है और उसका मालिक उसे मार रहा है। रानी उदास हो गई। तो क्या हम खच्चर थे ? नहीं बेटा खच्चर नहीं खच्चर की तरह से हमें अन्ग्रेज रखते थे । उन्होने हमें धोखे से गुलाम बनाया था मुझे गुलाम नहीं बनना, चीखते हुये रानी रोने लगी। अरे ! अरे ! चुप हो जाओ बेटा --- यहां आओ मेरे पास , कहते हुये मैडम ने रानी को प्यार किया। बेटा अब हम गुलाम नहीं है हमारे देश के बहुत से छोटे- बडे लोगों की शहादत से हमारा देश आजाद हो चुका है। शहादत ? क्या होती है शाहदत । शहादत , ये देखो ! इस किताब में देखो , अपनी आजादी वापस लेने के ...