सावन आया झूम के
सुषमा भंडारी सावन आया झूम के कर लूं मैं श्रृंगार । चूड़ी कंगन झूम कर करते मुझसे प्यार।। टिप -टिप बारिश हो रही खूब पड़ें बौछार। सावन आया झूम के आजा मेरे प्यार।। मेघ गरज कर कह रहे पानी बेशुमार। कोयल कुहूक गा रही नाच रही बौछार।। हरियल मनवा गा रहा सावन आया झूम। पात पात झुक कर कहे चल धरती को चूम।। बागो में झूले पड़े तन में उठें हिलोर। घिर- घिर कर कहती घटा आओ मचायें शोर।। सखियाँ कजरी गा रही तन भीगे, मन गाय। आया सावन झूम के कली -कली मुस्काय।। तीज उत्सव ही उत्सव जहाँ ऐसा मेरा देश तीज महोत्सव भी मने घटा खोलती केश।। सावन मास की तृतीया शुक्ल पक्ष का वक्त खुशियों भरा त्यौहार है कृषक हुए सशक्त।। अनुपम छटा बिखेर कर धानी चुनरी ओढ हाट बाजार सजने लगे इक दूजे की होड़ ।। घेवर और पकवान सब बाँटें सब उपहार मायके में मनायेंगी ब्याहता ये त्यौहार।। सखियों के संग झूल पर ऊँची पींग चढाएं सखियाँ मीलजुल बाग में हँस हँस कजरी गाएँ ।। सावन व्रत गौराँ करे माँगे शिव का साथ अद्भुत भोला है बहुत डमरू रखता हाथ।।। गुंजिया,घेवर, फैनियां घर- घर बांटी जाय सिंधारे की कौथली आय बहन...