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सितंबर 28, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गुणवत्ता में बदलाव नहीं हुआ लेकिन अब संगीत की मात्रा में बदलाव आया है :संतूर महानायक पं. शिव कुमार शर्मा

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पं. शिव कुमार शर्मा  एक हाथ से शास्त्रीय गायन, एक अज्ञात 100, तारांकित (शततंत्री वीणा) संगीत वाद्ययंत्र, शास्त्रीय भारतीय संगीत वाद्ययंत्र और संगीत के पवित्र पोर्टल्स के ज्ञाता हैं। पं. शिव कुमार शर्मा ने संतूर को पूरे विश्व में एक अलग पहचान दी, जिसके कारण इसे वैश्विक लोकप्रियता हांसिल हुई। वह भारतीय फिल्मों में संतूर पेश करनेवाले पहले व्यक्ति भी रह चुके हैं। कोलकाता :  कुछ अदृश्य दैवीय शक्तियों ने जीवनभर मेरा मार्गदर्शन किया है और मेरा पूरा ध्यान संतूर शिक्षा पर केंद्रीत किया है। संगीत किसी संगीत कार्यक्रम के जरिये नहीं बल्कि संगीत यहां दिल और दिमाग में हर समय चलता है। श्री सिमेंट एवं कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘एक मुलाकात’ कार्यक्रम के ऑनलाइन सत्र में भारत के अष्टकोणीय संत कथा के पंडित शिव कुमार शर्मा ने यह बातें कही। वह सुप्रसिद्ध लेखक, जीवनी लेखक और कला ज्ञानी इना पुरी के साथ विचारों के आदान प्रदान के दौरान अपनी पुरानी यादों को ताजा कर रहे थे। इस ऑनलाइन सत्र में देश के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे शहरों में मौजूद सैकड़ों संगीत प्रेमियों

कविता // जीवन की आधारशिला हैं बेटियां

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कै० सुरेंद्र सिंह बिष्ट मन मंदिर , घर मंदिर है तो, उस मंदिर की मूर्ति हैं बेटियां, स्वप्नो की संम्पूर्ण संसार हैं जीवन की आधारशिला हैं बेटियां, भारतीय संस्कृति की पहचान, भारत मां की शान हैं बेटियां।। बेटी नहीं होती तो, देवी शक्ति नहीं होती, वंदे मातरम् भी नहीं होता, नहीं रानी झांसी होती, कोई साक्षी मलिक नहीं, नहीं पी बी सिंधु ही होती।। हे दमनकारी मानव, अहंकार में क्यों डूबा है, कुदरत का कर अपमान, कैसा तिरस्कार कर रहा है, बेटी के जन्म पर मातम मना रहा, बेटे के जन्म पर खुशियां बांट रहा है।। भारत मां के झूठे नारे लगाने वालों, सत्तर सालों से लगा रहे हो, जो बची हुई हैं बेटियां, उन पर क्यों जुल्म ढा रहे हो। अब बेटी बचाओ और पढ़ाओ,   के स्वर में स्वर मिला रहे हो।। नारे बदलने से सोच कहां बदलती है, अत्याचारों की अभी झड़ी लगी है। बेटियां तो भारत मां की शान हैं। बेटियों के पीछे ही भारत महान है।। कभी ये भारत सोने की चिड़िया था, सम्पूर्ण भारत देवभूमि देवतुल्य था। बेटियां हैं तो जहान हैं, वरना दुनियां फिर कब्रिस्तान है बेटियां हैं तो भारत महान है, बूटियों से मिला हमें भारत मां, वंदे मातरम् का सम्मान ह

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक पहल

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उ०प्र० झांसी की नीलम सारंगी ने एक ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया । जिसमें उन्होंने लोगों को पुरानी वस्तुओं को सजावटी सामान में परिवर्तित करना सिखाया । इस कला के माध्यम से इस आर्थिक संकट के समय में जीविका कमाने का एक माध्यम भी बताया और इस कला को एक मार्केट के तौर पर प्रदर्शित किया। आयोजित सेमिनार में लोगों ने काफी उत्सुकता से इस विषय में रुचि दिखाते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। नीलम सारंगी कई सालों से स्वार्थ रहित होकर एक हरित झांसी  स्वच्छ झांसी के लिए लोगों को प्रेरित करती आई हैं ।और अब उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए भी आगे आकर लोगों को प्रेरित करना शुरू कर दिया है ।इस सेमिनार में डॉ नीति शास्त्रीय ,स्वप्निल  मोदी ,दिल्ली नगर निगम से सुषमा भंडारी ,रायबरेली से डॉक्टर ममता शुक्ला के साथ-साथ विभिन्न अन्य शहरों के लगभग 60 गणमान्य लोगों ने सहभागिता की।