आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को संस्कृत भाषा के लिए सन् 2024 का 'कर्तृत्व समग्र सम्मान '

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली -  संस्कृत कवि, उपन्यासकार, नाट्यकार आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को संस्कृत भाषा तथा साहित्य में योगदान देने के लिए राष्ट्रीय 'कर्तृत्व समग्र सम्मान 'से नवाजे जाने के कारण न केवल संस्कृत साहित्य ,अपितु हिन्दुस्तानी अदब तथा अनेक शैक्षणिक संस्थानों में भी खुशी का माहौल है।  भारतीय भाषा परिषद,कोलकाता की स्थापना भारतीय भाषा तथा साहित्य के उन्नयन के लिए सन् 1975 में की गयी थी और हिन्दुस्तानी भाषाओं तथा उनके साहित्यों का अधिक से अधिक संरक्षण तथा संबर्धन हो सके । इसी भावना को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए यह ' कर्तृत्व समग्र सम्मान ' वरिष्ठ तथा युवा भारतीय साहित्यकारों के लिए सन् 1980 में शुरू किया गया था।

 इस साल का यह पुरस्कार संस्कृत भाषा तथा उसके साहित्य के उन्नयन में महनीय योगदान देने के लिए आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी के साथ हिन्दी (भगवानदास मोरवाल), पंजाबी (जसवीर भुल्लर), मलयालम (एम.मुकुंदन) भाषाओं को यह सम्मान दिया गया है । साथ ही युवा पीढ़ी को प्रोत्साहन वर्धन के लिए आरिफ़ रजा ,संदीप शिवाजीराव जगदाले, गुंजन श्री तथा जसिंता केरकेट्टा को क्रमशः कन्नड़,मराठी मैथिली और हिंदी भाषाओं के लिए दिया गया है ।

 आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी संस्कृत विश्व के वर्तमान शताब्दी के सर्वाधिक चर्चित नामों में अग्रणी हैं जिन्होंने संस्कृत की लोक धारा को पुर्नाविष्कृत करने में भागीरथ प्रयास किया है , संस्कृत की जो वैदिक तथा पौराणिक लोक धारा औपनिवेशिक कुनीतियों के कारण ओझल हो गयी थी ,उसे उन्होंने फिर से अन्वेषित करने का बड़ा ही सार्थक प्रयास कर रहे हैं ,वह वस्तुत: समय की मांग है , वह भी भारतीय ज्ञान परम्परा (आई.के. एस.) के नजरिए तो अनिवार्य आवश्यकता हो गयी है ।

 भारतीय ज्ञान की यह मूल पिपासा संस्कृत के ज़रिए विकसित भारत -2047 के नव निर्माण में सभी को मिलजूल आगे आना होगा ,ताकि हम दुनिया के सामने हम अपनी संस्कृत तथा संस्कृति की सार्वभौमिक , सार्वजनिक तथा सार्वकालिक औचित्य तथा समीचीनता फिर से उजागर कर सकें । आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को समझने के लिए बहुकोणीय फलक से उनके समन्वित दर्शन को समझने तथा समझाने की खा़स आवश्यकता है ।

राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय श्रेणी के तक़रीबन 37 पुरस्कारों से सम्मानित तथा 175 मूल संस्कृत व नवधारा के बहुप्रतिष्ठ -बहुपठित-बहुसमीक्षित और पुष्कल स्वतन्त्र समीक्षा पुस्तकों और 270 शोधपत्र के चर्चित आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी जिनके सहकारी वैदुष्य भरे मार्गदर्शन में 42 शोध छात्रों को पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है और संस्कृत भाषा तथा उसके साहित्य के संबर्धन में अमूल्य योगदान देने के लिए साल 2024 के लिए ' कर्तृत्व समग्र सम्मान ' भारतीय भाषा परिषद,कोलकता द्वारा एलान किया जाना कोई बहुत बड़ा आश्चर्य नहीं लगता है , लेकिन इसकी गुंज वहां तक पहुंचनी चाहिए जो आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को थोड़ा और फिर से समझना चाहते हों ।

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