दीपक जलाएं महामारी भगाएं


विजय सिंह बिष्ट


जलाओ दिये पर रखें ध्यान इतना।
कोरोना कहीं रह न पाये।।
चमका दें तिमिर में  प्रकाश इतना।।
कोरोना दिये में स्वयं जल जाये।


मिलें परस्पर जले दीप इतने।
कोलोना कहीं छिप न जाये।
मन बचन और कर्म से दीपक जलाएं।
अंधेरा धरा पर कहीं रह न पाये।।


समर्पित हों दीपक जलाने को इतने।
कोरोना इधर कहीं टिक न पाये।।
दिलों से दिल को मिलाकर चलें।
मोदी के मन में कहीं कमी रह न पाये।।


जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना।
कोरोना भयभीत होकर भाग जाये।।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

“द ग्रेट इंडियन ट्रेवल बाजार 2024“ का आयोजन 5 से 7 मई जयपुर में

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस