मेरी सुध अब लीनी श्री राम .......



प्रो.आर.पी.सेठी "कमाल"
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मेरी सुध अब लीनी श्री राम ........                                                                                                                          हाँ मैं अयोध्या ! सूर्य वंश की
गाथा में विख्यात 
जब जब भी तुम चले घुटनियां
चूमा तुमरा माथ
हाँ ! पृथवी की जाई तुम्हारे 
वाम अंग में आई 
हाँ, वो निरपराध स्वेच्छा 
मुझमें आन समाई 
अब आओ मत देर लगाओ
मेरे नयन अभिराम !
           मेरी सुध अब ...........


मोसो भली अहिल्या , शबरी
मोसो भलो निषाद,
जुग बीतयो मैं रही पथराई
कीनो क्या अपराध !
तुमरे कारन झेले मैने
सगरे दंश विषाद 
युग बीते पर सुना नहीं
तुमने मेरा कोहराम !
             मेरी सुध अब लीनी श्री राम......


चिर निद्रा में सोए हुए थे
अब तक मेरे वीर,
जाग उठे हुंकार के 
देखो सुन कर मेरी पीर
जब लहराई राम ध्वजा
नारद ने मंगल गाए
देवी देव दिखें आकाश में
पुलकित और हर्षाए
धर्मध्वजा लेकर निकला
इक धरतीपुत्र निष्काम !


                मेरी सुध अब .........


मुरली मधुर बजाते देखो 
आए कृष्ण कन्हाई
और फिर दर्शन हेतु पधारे
एक कंठ विषपायी
दशों महाविद्या आई हैं
पावन करने धाम !
मेरी सुध अब ..........


एक फटी तिरपाल के नीचे 
सदियाँ पाँच बिताईं
राजनीति और वोट नीति
ने करी नहीं सुनवाई
द्यूत चला दिल्ली में अब तक
विधि ने खेल रचाया
अब कि कृष्ण ने पासा फेंका
तो शकुनि चकराया
पथ के कंटक रही बीनती
शबरी आठों याम !
             मेरी सुध अब ............


कल्प तरु ने आकर प्रभु जी
बंदनवार सजाया
और कुबेर ने सोना चाँदी 
खुलकर है बरसाया
सप्त ऋषि, अरु ब्रह्म ऋषि 
हाँ, राज ऋषि भी आए
विश्वकर्मा ने प्रखर कला से 
अद्भुत महल बनाया
सिंहासन ज्योतिर्मय ऐसा
कि पहले कभी ना सुना बताया 
चौदह भुवन अरु दसों दिशाऐं
पुलकित चारों धाम ,
धन्य करो प्रभु ! करे अयोध्या 
बारम्बार प्रणाम !
             मेरी सुध अब लीनी श्री राम......      


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