आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज' की 43वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम हुए

नयी दिल्ली - देश भर के साहित्यकारों ने संताल परगना के महान साहित्यकार आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज' को उनकी 43वीं पुण्यतिथि पर ऑनलाइन कार्यक्रमों की मार्फ़त श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनको अवदानों को संजोये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। 


संताल परगना, झारखंड के समर्पित स्वाधीनता सेनानी, हिन्दी, संस्कृत और बँगला भाषा-साहित्य के उद्भट विद्वान, रवीन्द्र-साहित्य और तुलसी-साहित्य के मर्मज्ञ अध्येता बेहद लोकप्रिय शिक्षक, 1950 के दशक के महत्वपूर्ण हिन्दी कवि, ऐतिहासिक "पंकज-गोष्ठी" साहित्यिक आंदोलन के प्रेरणा-पुंज, संताल परगना महाविद्यालय, दुमका के संस्थापक-शिक्षक सह हिन्दी विभागाध्यक्ष, आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज' की 43वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 14 से 17 सितंबर तक दुमका से लेकर दिल्ली तक, स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कई कार्यक्रम संपन्न हुए। 


वक्ताओं और साहित्यकारों ने इस अवसर पर अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि देर से ही सही, आचार्य पंकज के अनुदानों का समग्र मूल्यांकन का सिलसिला अब शुरू हो चुका है, जिसकी शुरुआत उनके जन्म शताब्दी वर्ष से, 2019 से हिन्दी के महान कवि, कथाकार, उपन्यासकार और आलोचक स्वर्गीय डाॅ गंगा प्रसाद विमल जी द्वारा संकलित और संपादित 'पंकज' की पुस्तकों  से हो चुकी है।  इस सिलसिले में दुमका के कर्मठ युवा गीतकार अंजनि शरण ने बताया कि हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय महत्वपूर्ण कार्यक्रम में संताल परगना के अन्य दिवंगत साहित्यकारों के साथ-साथ आचार्य 'पंकज' की ऐतिहासिक भूमिका को याद करते हुए उनका फोटो लगाया गया और उन्हें भाव-भीनी श्रद्धांजलि अर्पित  गयी।


दुमका के इस यशस्वी युवा गीतकार अंजनी शरण द्वारा अपने अन्य युवा कवि-मित्रों, अमरेंद्र कुमार, विद्यापति झा, पंकज मिश्र और रोहित अम्बष्ट के साथ मिलकर 16 सितम्बर को आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज' स्मृति संध्या का "गूगल मीट" पर सफल आॅनलाइन कार्यक्रम संपन्न किया, जिसका संचालन महत्वपूर्ण उदीयमान युवा ग़ज़लगो रोहित अम्बष्ट ने किया। इस कार्यक्रम में अन्य महत्वपूर्ण साहित्यकारों के अतिरिक्त आचार्य 'पंकज' के शिष्य, वयोवृद्ध गीतकार शंभूनाथ मिस्त्री ने और वयोवृद्ध विद्वान साहित्यकार डाॅ राम वरण चौधरी ने अपने-अपने अमूल्य विचार रखे। संताल परगना की साहित्यिक पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार और प्रोफेसर तथा चर्चित ग़ज़लकार डाॅ अमर नाथ झा ने भी अपना विचार साझा किया।


इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए "पंकज-गोष्ठी न्यास (पंजीकृत)" के तत्वावधान में "गूगल मीट" पर ही बहुत बड़े स्तर पर  "अखिल भारतीय कवि सम्मेलन" के एक त्रिसत्रीय कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें देश के दुमका, राँची, धनबाद, मुंबई, लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ, कोटा,, बस्ती, लुधियाना, आगरा, गाज़ियाबाद और दिल्ली से, 25 वरिष्ठ व युवा साहित्यकारों ने आचार्य 'पंकज' को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी स्मृति में  काव्य पाठ किया।  उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता मेरठ के मशहूर वयोवृद्ध उस्ताद शायर डाॅ कृष्ण कुमार बेदिल ने की जिसके मुख्य अतिथि थे ग़ज़लों की दुनिया के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति लब्ध वरिष्ठ शायर, आगरा के अशोक रावत। इस सत्र में भागीदारी कर रहे अन्य चर्चित हस्तियों में देश के वरिष्ठतम शायरों कुँवर कुसुमेश (लखनऊ), ओमप्रकाश नदीम (लखनऊ) शरद तैलंग (कोटा) तथा डाॅ कृष्ण कुमार नाज़ थे। इस सत्र का संचालन डाॅ कृष्ण कुमार नाज़ ने किया।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र की अध्यक्षता गाज़ियाबाद के वरिष्ठ गीतकार और उपन्यासकार डाॅ राजीव पांडेय ने की तो संचालक की भूमिका में थे गाज़ियाबाद के ही प्रसिद्ध युवा कवि प्रवीण कुमार । इस सत्र के अन्य प्रमुख आकर्षण रहे; मेरठ की सुश्री आदर्शिनी श्रीवास्तव, मुंबई के राजीव कुमार मिश्र, लखनऊ के विनोद कुमार भावुक, धनबाद के बिष्णु देव महतो, दुमका के अंजनी शरण, लुधियाना के हरदीप बिर्दी, दिल्ली के डाॅ वेद मित्र शुक्ल, दिल्ली के डाॅ नीरज कुमार मिश्र तथा गाज़ियाबाद की सुश्री सीमा सिंह। तृतीय सत्र की अध्यक्षता राँची के प्रख्यात साहित्यिक-संगीतकार और गायक, झारखंड-रत्न की उपाधि से विभूषित परेश दत्त द्वारी ने की तो कार्यक्रम का संचालन रुड़की के चर्चित युवा शायर पंकज त्यागी 'असीम ने की। इस सत्र को सर्वश्री  मधुसूदन गौतम (कोटा), डाॅ वीरेंद्र कुमार शेखर ( गाज़ियाबाद), डाॅ बिनोद सिन्हा (दिल्ली), डाॅ पंकज कुमार सोनी (बस्ती), डाॅ सुषमा भंडारी (दिल्ली), डाॅ यास्मीन मूमल (मेरठ) तथा डाॅ दिव्या जैन (दिल्ली) ने अपनी ग़ज़लों से रंगीन बनाया।


कार्यक्रम में सभी साहित्य-मनीषियों का स्वागत करते हुए पंकज-गोष्ठी न्यास (पंजीकृत) के अध्यक्ष डाॅ विश्वनाथ झा ने साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में दिये गये आचार्य ज्योतीन्द्र प्रसाद झा 'पंकज' के अवदानों को रेखांकित किया और न्याय द्वारा किये जा रहे कार्यो की संक्षिप्त जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक डाॅ अमर नाथ झा ने सभी कवियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।


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